अमित देसाई बचपन में बहुत शर्मीले थे और बात करने में हिचकते थे। अब कोर्ट में जब पक्ष रखते हैं तो दूसरा पक्ष खुद को कमजोर मानने लगता है।
अमित देसाई बचपन में बहुत शर्मीले थे और बात करने में हिचकते थे। अब कोर्ट में जब पक्ष रखते हैं तो दूसरा पक्ष खुद को कमजोर मानने लगता है। वकीलों के परिवार से हैं। दादा वकील थे तो पिता सीनियर काउंसिल थे और क्रिमिनल लॉ के एक्सपर्ट थे। परिवार में करीब 70 दशक से ये सिलसिला जारी है। बी-कॉम के बाद लॉ की पढ़ाई का इरादा नहीं था और एमबीए कर बिजनेस के क्षेत्र में जाना चाहते थे। घर पर बात कर लॉ की पढ़ाई का फैसला किया। लॉ पूरी होने पर इन्हें भाई रेगे, दिलीप उदेशी और अशोक मोदी जैसे वरिष्ठ वकीलों के साथ
काम का मौका मिला। 1982 में बार जॉइन किया। 1984 में भोपाल गैस ट्रैजेडी मामले को करीब से देखा है। बोफोर्स घोटाले ने रुचि क्रिमिनल लॉ में बढ़ा दी।
सलमान खान से जुड़े एक आपराधिक मामले का केस लड़ चुके हैं। कहते हैं कि आपराधिक मामलों को लेकर किसी अधिवक्ता पर पैसा लगा रहे हैं तो इनसे बेहतर कोई भी नहीं है।