
first woman
यूं तो जीवन का हर पहला कदम संघर्षभरा होता है लेकिन इन महिलाओं ने अपने दायरे से निकलकर ऐसे क्षेत्रों में मुकाम हासिल किया है जिन्हें पुरुषप्रधान माना जाता था। ये उपलब्धि इन्हें खास बनाती है। हाल ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी 112 ‘प्रथम महिलाओं’ को सम्मानित किया। जानते हैं ऐसे कुछ किरदारों की कहानी -
ऐसा बैंक जहां रोज 15 रुपए देकर भी चुका सकते हैं कर्ज
देश के पहले... ग्रामीण महिला बैंक की फाउंडर - चेतना सिन्हा
मुंबई मेंं जन्मी और पली-बढ़ीं चेतना पेशे से अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता रही हैं। महाराष्ट्र के किसान व सोशल एक्टिवस्ट विजय सिन्हा से शादी के बाद इन्होंने खेती-किसानी में ही कॅरियर बनाने की सोची। आर्थिक रूप से कमजोर ग्रामीणों को समृद्ध बनाने के लिए ग्रामीण बैंक बनाने का सपना देखा। काफी संघर्ष के बाद महाराष्ट्र के सतारा जिले में १९९६ में मणदेसी महिला सरकारी बैंक खुला जिसे सिर्फ महिलाएं ही संचालित करती हैं। यहां छोटी-छोटी जरूरतों के लिए लोन लेकर १५ रुपए रोजाना देकर भी चुकाया जा सकता है। यह पहला ऐसा बैंक है जिसे आरबीआई से को-ऑपरेटिव लाइसेंस मिला है। भारत सरकार और महिला व बाल विकास मंत्रालय ने चेतना को राष्ट्रीय महिला कोष का मेंबर भी बनाया है। इन्हें एंटरप्रेन्योरशिप अवॉर्ड, रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार, श्री नानाजीदेशमुख समेत कई अवॉर्ड मिल चुके हैं।
चेतना का कहना है - मैं किसी से चैरिटी या आर्थिक मदद नहीं लेना चाहती थी। मेरा मानना था कि लोग अपने और फैमिली का भविष्य सुरक्षित करें और बचत करें। इसका लक्ष्य मजदूरों की छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करना है। साथ ही छोटी राशि के लिए भी उन्हें लोन उपलब्ध कराना है।
देश की पहली... महिला म्यूजिक टेक्नीशियन - साजिदा खान
संगीत के हर फन में माहिर नेशनल अवॉर्ड विनर साजिदा
सिंगिंग में नेशनल अवॉर्ड पाने वाली हैदराबाद की साजिदा को डबिंग, साउंड इफेक्ट, बैकग्राउंड म्यूजिक में भी महारत हासिल है। बतौर ऑडियो इंजीनियर व प्रोग्राम प्रोड्यूसर इस क्षेत्र से जुड़ी साजिदा तमिल-तेलूगु फिल्मों के अलावा भक्ति गीत, जिंगल, डॉक्यूमेंट्रीज, ऑल इंडिया रेडियो और कई कमॢशयल विज्ञापनों के लिए भी काम ? कर चुकी हैं।
देश के पहले... सेनेट्री पैड बैंक की स्थापना की - डॉ. भारती लावेकर
महिलाओं को पैड दिलाने वाली ‘पैड वुमन’
मुंबई के वर्सोवा से भाजपा विधायक डॉ. भारती को जनहित के मुद्दे उठाने के लिए भी जाना जाता है। इस क्रम में पहल है देश के पहले सेनेट्री पैड बैंक की स्थापना। इन्होंने २००९ में एक एनजीओ की शुरुआत की, जिसका लक्ष्य भू्रण हत्या रोकना, स्वच्छता, महिला शिक्षा और महिला-पुरुष की बराबरी के लिए काम करना है। 2011 जनगणना में महिला-पुरुषों की संख्या के आंकड़ों में बड़े अंतर के बाद महिलाओं के लिए काम करना शुरू किया। उन्होंने देखा कि गांव में महिलाएं पीरियड के दौरान ऐसे कपड़े इस्तेमाल करती हैं जिनसे संक्रमण की आशंका अधिक रहती है। 2014 में चुनाव जीतने के बाद उनका पहला वादा महिलाओं को सेनेट्री पैड उपलब्ध कराना था। जिसकी स्थापना 28 मई 2017 को की।
डॉ. लावेकर कहती हैं - देश में 27 प्रतिशत महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर से मौत हो जाती है। जिसका कारण पीरियड के दौरान संक्रमित कपड़ों का इस्तेमाल है। इस पहल के बाद मेरा अगला कदम स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाना है ताकि लोग स्वस्थ रह सकें।
Published on:
04 Feb 2018 01:03 pm
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