
meeting people
किसी भी व्यक्तित्व की पहचान उसके द्वारा बोले जानी वाली भाषा और शब्दों से की जा सकती है या दूसरे शब्दों में कहें तो वह किस तरह के शब्दों का उपयोग करते है, इससे उस व्यक्ति के व्यक्तित्व का पता लगाया जा सकता है।
शब्द हमें बना देते हैं या मिटा देते हैं। बस चुनाव हमारा ही होता है कि हम किस तरह के शब्दों का उपयोग हमारी जिंदगी में करते हैं। इस दुनिया में जितने भी प्रभावशाली व्यक्तित्व जैसे-महात्मा गांधी, अब्दुल कलाम , स्वामी विवेकानंद, मार्टिन लूथर किंग द्वितीय आदि हुए हैं यदि ध्यानपूर्वक उनके जीवन को देखेंगे तो पाएंगे कि ये सब अपनी भाषा में ऊर्जावान शब्दों का उपयोग करते थे। मतलब साफ है कि हमारे संवाद में शब्द हमारे मस्तिष्क पर इस तरह प्रभाव डालते हैं कि जिस तरह के शब्द हम बोलते हैं, उसी तरह की सोच व आदतें हमारे अंदर बनने लगती हैं। अब चाहे ये शब्द स्वयं के बारे में हों या दूसरों के बारे हों, व्यक्तिगत जीवन में या कार्य स्थल पर हों, ये शब्द ही हमारी मानसिक अवस्था और हमारी जिंदगी के स्तर का आधार होते हैं। प्रभावशाली व्यक्तित्व हर स्थिति में स्वयं और दूसरों के लिए सकारात्मक शब्दों का ही इस्तेमाल करता है। इसलिए जीवन में हर व्यक्ति को शब्द विज्ञान को समझना जरूरी है।
आंतरिक संवाद बदलाव की पहली सीढ़ी
हमारे विचार ही हमारा स्वभाव बनते हैं यानी कोई भी भाषा या शब्द सबसे पहले हमारे दिमाग में पनपती है। इसका मुख्य स्रोत हमारे विचार होते हैं। यदि इन विचारों की गहराई में जाएं तो हम स्वयं से जो बातचीत करते हैं या स्वयं के लिए जो सोचते हैं, वहीं से हमारे व्यक्तित्व का निर्माण शुरू होता है। लेकिन ज्यादातर लोगों की स्वयं के बारे में ही सोच नकारात्मक होती है और उन्हें अपनी क्षमताओं पर संदेह होता है। नतीजतन उनके स्वयं के साथ उनका आंतरिक वार्तालाप नकारात्मक और ऊर्जाहीन शब्दों से भरा रहता है। अपने आंतरिक संवाद में यदि हम सकारात्मक शब्दों को शामिल कर लें तो खुद को अच्छा महसूस करवा सकते हैं।
शब्दों का चुनाव सोच-समझकर करें
परिस्थितियां चाहे कैसी भी हों, यह हमारे चुनाव पर निर्भर करता है कि हम बातचीत में कैसे शब्दों का उपयोग करते हैं। सही परिणाम नहीं मिलने पर हम नकारात्मक शब्दों उपयोग कर जाते हैं और धीरे-धीरे यह हमारी आदत बन जाता है। यदि हम इन स्थितियों में ऐसे शब्दों का उपयोग करें, जिससे किसी व्यक्ति विशेष व स्वयं को भी बुरा न लगे तो सबको फायदा होता है।
प्रभावकारी शब्दों से दोस्ती करें
यदि हम हमारी जिंदगी में स्वयं और दूसरों के साथ बातचीत करते वक्त कुछ ऐसे शब्दों को शामिल कर लें, जो संभावनाओं व सकारात्मकता से पूर्ण हो, उम्मीद व प्रेरणादायक हो तो हम पाएंगे की हम स्वत: ही अपने दिन को ऊर्जावान बनाते जा रहे हैं और प्रत्येक दिन सकारात्मकता की कहानी बनता जा रहा है। जब हम इन शब्दों को बोलते हैं तो स्वयं के साथ-साथ दूसरों को भी प्रेरित करते हैं और यह करने का आसान तरीका है कि अपने आप से एक सवाल करें कि जो भी विचार, सोच या शब्द अभी हम सोच रहे हैं या बोल रहे हैं क्या वह मुझे और दूसरों को प्रेरित करते हैं।
सराहना व्यक्तित्व बदल सकती है
प्रशंसा सुनना सबको अच्छा लगता है और हम सब इसके अवसर तलाशते रहते हैं और पाया गया है कि वास्तविक सराहना हमारे दिमाग के एक खास हिस्से को सक्रिय करती है जो कि डोपामाइन हार्मोन के लिए जिम्मेदार होता है और जब यह हार्मोन बनता है तो हम खुश महसूस करते हैं। अब हमारी प्रशंसा कोई करे, यह हम तय नहीं कर सकते लेकिन यह अवसर हमारे पास हमेशा रहता है कि हम अन्य लोगों की सकारात्मक सराहना करें। हम इसके लिए बड़े अवसरों का इंतजार करते हैं जो कि बहुत कम आते हैं। पूरे दिन में ऐसे कई अवसर हमें अपने आस-पास मिल जाएंगे, जब हम छोटी-छोटी वजहों के लिए दूसरों की सराहना कर सकते हैं।
प्रशंसा करें तो कुछ बातों का ध्यान रखें...
उस कार्य या व्यवहार का उल्लेख जरूर करें, जिसके लिए आप उसकी प्रशंसा कर रहे हैं।
यह जरूर बताएं कि उस कार्य से उसमें किस अच्छी आदत या गुण का समावेश हो सकता है या मौजूद है।
उस व्यक्ति को बताएं कि आपने क्या-क्या देखा या कौनसी बातों ने आपका ध्यान खास आकर्षित किया।
अंत में उनको प्रेरित करें कि वह आगे भी उस आदत या व्यवहार को बनाए रखें।
हमारी जिंदगी शब्दों का ही ताना-बाना है। यदि हमने थोड़ा सोच-समझ कर बना लिया तो हम मनचाहा रंग और डिजाइन बना सकते हैं और स्वयं के साथ-साथ दूसरों को भी प्रेरित कर सकते हैं।
Published on:
29 Jan 2018 09:07 am
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