
NRI Dholi Meena in Craft fair
Dholi Meena: राजस्थान की बेटी और दौसा की बहू धोली मीणा ने माल्टा, यूरोप में अमेरिकी दूतावास की ओर से आयोजित एक विशेष कला मेले में भागीदारी निभाई। यह मेला महिलाओं की ओर से निर्मित हस्तशिल्प वस्तुएं प्रदर्शित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था, जिसमें यूरोप के विभिन्न देशों की महिलाओं ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। मेले में प्रदर्शित वस्तुओं में खासकर हाथ से बुने हुए कपड़े, सुंदर मिट्टी के बर्तन, पेपरमैसी के काम, कढ़ाई की हुई वस्त्र और विभिन्न प्रकार के आभूषण शामिल थे। इन सभी ने महिलाओं की कलात्मकता और सृजनात्मकता दिखाई।
प्रवासी भारतीय सोशल मीडिया इन्फ्लूएन्सर धोली मीणा ने इस आयोजन के दौरान कहा कि आज के समय में जब व्यावसायिक उत्पादन की होड़ में हस्तशिल्प कला कमजोर पड़ रही है, तब यूरोपीय महिलाओं का यह प्रयास प्रेरणादायक है। उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान की महिलाओं को इस मार्ग पर चलना चाहिए और अपनी सांस्कृतिक विरासत जैसे ब्लॉक प्रिंटिंग, बांधनी, लहरिया और कठपुतली निर्माण को आगे बढ़ाना चाहिए। धोली का मानना है कि इससे न केवल स्थानीय कला को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन न केवल सांस्कृतिक समझ को बढ़ाते हैं, बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम हैं। इस मेले ने विभिन्न देशों की महिलाओं को एक साथ लाकर वैश्विक समुदाय की भावना को मजबूत किया है।
धोली मीणा ने लोगों को बताया कि वह राजस्थान राज्य से आती हैं और उन्होंने राजस्थान सरकार के राजविका योजना के बारे में भी जानकारी दी। धोली ने बताया कि राजविका की ओर से 14-30 दिसंबर 2024 तक जयपुर में राष्ट्रीय मेला आयोजित किया जाएगा, जिसमें हुनरमंद महिलाएं अपनी समृद्ध कला और संस्कृति का प्रदर्शन करेंगी।
इस मेले के दौरान धोली मीणा ने अमेरिकी दूतावास के मिशन उप-प्रमुख केन टोको (Ken Toko) और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों से मुलाकात की। इन मुलाकातों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान के साथ-साथ भविष्य में ऐसे आयोजनों की संभावनाओं पर चर्चा की गई। धोली मीणा ने अमेरिकी दूतावास के मिशन उप-प्रमुख केन टोको का आभार जताया, जिन्होंने उन्हें इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर आमंत्रित किया और राजस्थानी संस्कृति को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने का अवसर दिया।
बहरहाल धोली मीणा की यह यात्रा राजस्थानी संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास साबित हुई। इस घटना ने एक नया मार्ग खोला है, जिसमें भारतीय और यूरोपीय संस्कृतियाँ मिलकर एक-दूसरे को समृद्ध कर सकती हैं। धोली ने यह भी कहा कि ऐसे आयोजनों से न केवल हस्तशिल्प कला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है, बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि महिलाएं अपने हुनर के माध्यम से विश्व स्तर पर योगदान दे सकती हैं।
Updated on:
25 Oct 2025 03:51 pm
Published on:
22 Dec 2024 05:19 pm
बड़ी खबरें
View Allविदेश
ट्रेंडिंग
