
पाकिस्तानी सेना बलूचिस्तान में लोगों को जबरन गायब कर रही है। (सांकेतिक फोटो: एएनआई)
Forced Disappearances in Balochistan: बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना (Balochistan Pakistani army)की ओर से बलूची नागरिकों को जबरन गायब करने की घटनाओं (Balochistan enforced disappearances) में लगातार वृद्धि हो रही है, जहां हाल के दिनों में पांच बलूच नागरिकों को अपहरण (Balochistan missing persons) का शिकार बनाया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 11 जून को पाकिस्तान के समुद्र तटीय शहर ओरमारा में सगीर बलूच और उसके दोस्त इकरार को पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ( Pakistan Army News) ने हिरासत में लिया। ये दोनों लोग एक ही परिवार से हैं, और अब उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।
इसी तरह, 4 जून को पाकिस्तानी सेना ने झाओ, अवारन जिले के कोरेक गांव से अशरफ के बेटे मुख्तार को हिरासत में लिया था, जबकि एक स्थानीय ठेकेदार बशीर अहमद को लासबेला से झाओ जाते वक्त अगवा कर लिया गया। इन घटनाओं के बाद उनके परिवारों ने सुरक्षाबलों के खिलाफ चुप रहने और मीडिया से बात न करने के लिए दबाव डालने की बात की है।
नागरिक अधिकार संगठनों और बलूच समाज के समूहों का कहना है कि पाकिस्तान के सुरक्षा बलों की ओर से यह अपहरण एक संगठित प्रयास के तहत किया जा रहा है, जिसमें विशेष रूप से छात्र, राजनीतिक कार्यकर्ता और संघर्ष प्रभावित क्षेत्र के लोग निशाने पर हैं।
टीबीपी (बलूचिस्तान पोस्ट) के अनुसार, इस बार एक और आश्चर्यजनक घटना सामने आई है, जब पाकिस्तानी सेना ने तुर्बत से कराची जाते हुए बलूच छात्र सगीर अहमद को गिरफ्तार किया गया, जो पहले भी अपहरण का शिकार हो चुका था। इन घटनाओं की बढ़ती संख्या के बीच मानवाधिकार संगठन यह आरोप लगा रहे हैं कि पाकिस्तान सरकार और सुरक्षाबल इन घटनाओं से इनकार कर रहे हैं, जबकि बलूच परिवारों को डराया जा रहा है कि वे चुप रहें।
सन 2025 में जबरन गायब होने की घटनाओं में और वृद्धि होने की आशंका जताई जा रही है, और स्थानीय मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि पाकिस्तान सरकार इस संकट के प्रति गहरी चुप्पी साधे हुए है। बलूचिस्तान के नागरिकों के लिए यह अत्यंत कठिन समय है, जहां उन्हें अपने प्यारों की सुरक्षा की चिंता लगातार परेशान कर रही है।
पाकिस्तानी सेना की ओर से बलूचिस्तान के नागरिकों की जा रही जबरन ग़ायब होने वाली घटनाओं की बढ़ती संख्या गंभीर चिंता का विषय है। यह न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह इलाके के भीतर भय और अशांति की स्थिति को और बढ़ाता है। ऐसी घटनाओं में बढ़ोतरी से यह सवाल उठता है कि पाकिस्तान के सुरक्षा बलों को क्यों किसी जवाबदेही का सामना नहीं करना पड़ रहा है, और क्यों इन लोगों के परिवारों को एक सुनवाई के बिना मौन रहने पर मजबूर किया जाता है? जबरन गायब होने की घटनाएं न केवल बलूच समुदाय, बल्कि पूरे क्षेत्र की सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता के लिए खतरा साबित हो सकती हैं।
अब यह सवाल उठता है कि पाकिस्तान सरकार और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन इस मामले पर और क्या कदम उठाएंगे? कई वैश्विक मानवाधिकार संगठनों ने पहले भी पाकिस्तान पर दबाव डाला है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नजर नहीं आई। क्या बलूचिस्तान में अपहरण और ग़ायब होने की घटनाओं को रोकने के लिए कुछ प्रभावी पहल उठाई जाएगी, या यह सिलसिला इसी तरह चलता रहेगा ?
क्या पाकिस्तान की सरकार को इस पर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन की आवश्यकता है? इन घटनाओं की बढ़ती संख्या के मद्देनजर, अब सवाल उठता है कि क्या दुनिया इस पर चुप रहेगी या पाकिस्तान सरकार को वैश्विक दबाव का सामना करना पड़ेगा?
बहरहाल दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसियों पर लगातार ऐसे आरोप लग रहे हैं कि वे छात्रों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं, और सामाजिक एक्टिविस्ट्स को निशाना बना रहे हैं, खासकर बलूच समुदाय से संबंधित लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। क्या इस तरह के व्यवस्थित अपहरण और ग़ायब होने की घटनाएं पाकिस्तान के लिए एक नीति बन चुकी हैं, या ये केवल हालिया परिस्थिति का परिणाम हैं? इस पर और अधिक गहराई से विचार करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह भविष्य में और अधिक विस्फोटक हो सकता है।
(एक्सक्लूसिव इनपुट क्रेडिट: बलूचिस्तान पोस्ट)
Updated on:
14 Jun 2025 02:47 pm
Published on:
14 Jun 2025 02:45 pm
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