
Hajj 2025
Hajj quota: भारत और सऊदी अरब ( Saudi Arab) के बीच 2025 हज यात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है, जिसमें 1,75,025 भारतीय हज तीर्थयात्रियों को सऊदी अरब जाने की इजाजत दी जाएगी। यह समझौता 2024 के अगस्त महीने में फाइनल हुआ था, और अब इसे अंतिम रूप से सऊदी अरब ( Saudi Arabia) के हज और उमराह मंत्री तौफीक बिन फौजान अल-रबिया और भारतीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने जेद्दा में हस्ताक्षर कर किए हैं। सऊदी अरब सरकार ने हज यात्रा के लिए सरकारी और निजी कोटा (Hajj quota) तय किया है, उसमें 70 प्रतिशत सरकारी और 30 प्रतिशत टूर आपरेटर्स के लिए कर दिया है। पहले यही कोटा 80 प्रतिशत सरकारी और 20 प्रतिशत प्राइवेट टूर आपरेटर्स के लिए था। इसी तरह पहले 300 हाजियों पर एक खादिमुल हुज्जाज (हज सेवक) का प्रावधान था और अब 150 खादिमुल हुज्जाज पर एक हज सेवक का प्रावधान किया गया है।
इस समझौते का उद्देश्य हज तीर्थयात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाना है। दोनों देशों के बीच यह सहयोग भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए हज यात्रा को सुविधाजनक और व्यवस्थित बनाने के दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। समझौते के तहत, हज यात्रा के सभी पहलुओं, जैसे यात्रा की व्यवस्था, आवास, और अन्य सुविधाओं पर ध्यान दिया जाएगा, ताकि भारतीय तीर्थयात्रियों को सर्वोत्तम अनुभव मिल सके। यह समझौता भारतीय हज तीर्थयात्रियों के लिए एक ऐतिहासिक और सकारात्मक पहल है, और यह दोनों देशों के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करेगा।
हज में भारत का कोटा एक महत्वपूर्ण विषय है, क्योंकि हज यात्रा को लेकर भारत और सऊदी अरब के बीच ऐतिहासिक समझौते और व्यवस्थाओं का लंबे समय से चलन रहा है। हज यात्रा के लिए भारत का कोटा समय-समय पर बदलता रहा है, और यह कई कारकों जैसे मुस्लिम जनसंख्या, आवेदनों की संख्या और अंतरराष्ट्रीय समझौतों के आधार पर निर्धारित होता है। भारत, एक बड़े मुस्लिम आबादी वाले देश के रूप में, हमेशा से हज के लिए एक महत्वपूर्ण कोटा प्राप्त करता रहा है।
ब्रिटिश शासन के दौरान भारत से हज यात्रियों का एक नियमित प्रवाह सऊदी अरब के मक्का और मदीना होता था। हालांकि, तब यात्रा की संख्या अपेक्षाकृत कम थी और व्यवस्था ब्रिटिश प्रशासन के अधीन थी। आजादी के बाद हज यात्रा के प्रबंधन और व्यवस्था में बदलाव हुआ। भारत सरकार ने हज यात्रियों के लिए एक औपचारिक व्यवस्था शुरू की। भारतीय मुसलमानों के हज जाने के लिए एक निर्धारित कोटा तय किया गया।
1990 के दशक में भारत सरकार ने हज यात्रा की व्यवस्था और अधिक सुव्यवस्थित की। हज के लिए आवेदनों की संख्या लगातार बढ़ रही थी, और इस दौरान भारतीय मुसलमानों को यात्रा के लिए उचित मार्गदर्शन और सहायता दी जाने लगी। वहीं सन 1995 में भारत और सऊदी अरब के बीच एक समझौते के बाद हज यात्रा के लिए एक स्थिर कोटा तय किया गया।
सन 2000 के दशक में, भारतीय मुसलमानों की बढ़ती संख्या और हज यात्रा के प्रति बढ़ते उत्साह के मददेनजर भारत का हज कोटा बढ़ाया गया। खासतौर पर सन 2001 के बाद भारत में मुस्लिम समुदाय के हज यात्रा के लिए आवेदन की संख्या तेजी से बढ़ी ।
सऊदी अरब ने हज यात्रा के लिए अंतरराष्ट्रीय कोटे का निर्धारण किया है, जिसे विभिन्न देशों की मुस्लिम आबादी के हिसाब से तय किया जाता है। यह कोटा आमतौर पर उस देश की मुस्लिम जनसंख्या के प्रतिशत के आधार पर निर्धारित होता है। इसके अलावा, सऊदी सरकार ने हज यात्रा की प्रक्रिया और अधिक सुविधाजनक और पारदर्शी बनाने के लिए कई सुधार किए हैं।
सन 2024 में भारत का हज कोटा 1,75,025 रहा, जो पिछले साल की तुलना में अधिक था। यह कोटा भारत और सऊदी अरब के बीच एक समझौते के तहत तय किया गया था, जिसे भारत के अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजीजू और सऊदी अरब के हज और उमराह मंत्री तौफीक बिन फौजान अल-रबिया ने जेद्दा में हस्ताक्षर किए थे। भारत के हज कोटे में बढ़ोतरी का उद्देश्य हज यात्रा को और अधिक सुविधाजनक बनाना और अधिक तीर्थयात्रियों को इस पवित्र यात्रा का अवसर प्रदान करना है।
भारत में हज यात्रा के लिए आवेदन करने वाले मुसलमानों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। हालांकि, हज कोटे की संख्या सीमित होती है, जिससे हर साल अधिक आवेदन प्राप्त होते हैं। इसलिए, आवेदकों के बीच चयन प्रक्रिया होती है, जिसमें उम्र, स्वास्थ्य और पहले हज यात्रा पर न जाने की स्थिति पर विचार किया जाता है।
भारत में हज यात्रा की व्यवस्था भारतीय हज कमेटी की ओर से की जाती है, जो भारतीय मुसलमानों को हज यात्रा के लिए चयनित करने, यात्रा की व्यवस्थाओं संकलित करने और यात्रा के दौरान सहायता प्रदान करने का कार्य करती है।
भारत और सऊदी अरब के बीच हज यात्रा के लिए कोटा तय करने के लिए नियमित समझौते होते हैं। इन समझौतों में यात्रा की सुविधाओं, टिकटों, आवास और अन्य धार्मिक सेवाओं का विवरण होता है।
भारतीय हज कोटे में समय-समय पर बदलाव होते हैं। कभी कोटे में वृद्धि होती है, तो कभी इसे घटाया भी जा सकता है, यह मुख्यत: सऊदी अरब के नियमों, भारतीय मुस्लिम जनसंख्या और हज यात्रा की प्रशासनिक क्षमता के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
भारत और सऊदी अरब के बीच हज यात्रा के लिए बेहतर व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के लिए लगातार समन्वय जारी है। हाल के वर्षों में, हज यात्रा के लिए भारतीय मुसलमानों की संख्या में वृद्धि के साथ-साथ यात्रा और अधिक सुविधाजनक और सुरक्षित बनाने के लिए नई योजनाएं भी बनाई जा रही हैं। समझौते और व्यवस्थाओं में सुधार के कारण भारतीय मुसलमानों को हज यात्रा की बेहतर सुविधा मिल रही है, और भारत का हज कोटा भविष्य में और बढ़ सकता है, ताकि अधिक से अधिक लोग इस पवित्र यात्रा का लाभ उठा सकें।
हज इस्लाम धर्म के पांच प्रमुख स्तंभों में से एक है और इसे हर मुसलमान पर जीवन में एक बार, यदि वह शारीरिक और वित्तीय रूप से सक्षम हो, करना अनिवार्य होता है। हज, मुसलमानों के लिए एक धार्मिक यात्रा है, जो सऊदी अरब के मक्का शहर में स्थित काबा (काबा घर) के चारों ओर घूमने (तवाफ) के रूप में पूरी होती है। यह यात्रा इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने जिल्हिज्जा में होती है और इस्लामिक अवधारणा है कि मुसलमानों का मानना है कि हज करना उन्हें उनके पापों से मुक्ति दिलाता है और उनकी आध्यात्मिक सफाई का मार्ग प्रशस्त करता है।
हज का मुख्य उद्देश्य अल्लाह के आदेशों का पालन करना और अपने पापों को माफ कराना है। यह एक यात्रा है जो मुसलमानों को एकजुट करती है और उनके दिलों में एक दूसरे के प्रति भाईचारे की भावना उत्पन्न करती है। हज के दौरान, मुसलमान अपनी ईमानदारी, त्याग और समर्पण का प्रदर्शन करते हैं।
हज की यात्रा मक्का (सऊदी अरब) में होती है, जहाँ काबा स्थित है। यह काबा घर इस्लाम के सर्वोत्तम और पवित्रतम स्थल के रूप में माना जाता है। माना जाता है कि काबा को इब्राहीम और उनके बेटे इस्माइल ने बनाया था, और यह स्थल अब पूरी दुनिया के मुसलमानों के लिए एक धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्र है। काबा के चारों ओर तवाफ (घूमना) किया जाता है, जो हज यात्रा का प्रमुख हिस्सा है।
हज यात्रा के दौरान कुछ अनिवार्य काम हैं, जिनका पालन किया जाता है। ये काम इस प्रकार हैं:
एहराम: हज यात्रा की शुरुआत में मुसलमान एहराम (विशेष सफेद वस्त्र) पहनते हैं। यह एक आध्यात्मिक शुद्धता की स्थिति है, जो शारीरिक और मानसिक रूप से एक नया आरंभ दर्शाती है।
तवाफ: मुसलमान हज यात्री काबा के चारों ओर सात चक्कर लगाते हैं, यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण और धार्मिक कृत्य होता है।
सई: काबा के पास स्थित सफा और मरवा पर्वतों के बीच सात बार दौड़ने की प्रक्रिया को सई कहा जाता है।
अराफात: हज का एक प्रमुख भाग है। मक्का के बाहर स्थित अराफात मैदान में एक दिन का रुकना, जहां हज यात्री अल्लाह से माफी मांगते हैं।
रम्य अल-जमरत: यह एक क्रियावली है, जिसमें हज यात्री पत्थर फेंकते हैं जो शैतान के प्रतीक माने जाते हैं।
कुर्बानी: हज यात्रा के दौरान एक बलि दी जाती है, जो पैगंबर इब्राहीम की याद में होती है, जिन्होंने अपने बेटे इस्माईल को अल्लाह के आदेश पर बलि देने का संकल्प लिया था।
तवाफ अल-विदा: यात्रा के अंत में, मुसलमान काबा के चारों ओर एक और तवाफ करते हैं, जिसे तवाफ अल-विदा कहा जाता है। यह यात्रा के समापन का प्रतीक होता है।
हज यात्रा मुसलमानों को एक समुदाय के रूप में एकजुट करती है, जहां वे विभिन्न देशों, संस्कृतियों और जातियों के लोगों के साथ मिलकर एक ही उद्देश्य के लिए जुटते हैं। यह यात्रा व्यक्ति की आध्यात्मिक और मानसिक शांति को बढ़ावा देती है और जीवन के व्यर्थ के भौतिक पक्षों से परे जाकर एक उच्चतर आध्यात्मिक स्थिति प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है।
हज के दौरान, मुसलमानों को मक्का में अपने कृत्य करने के अलावा अन्य धार्मिक स्थलों का दौरा भी करना पड़ता है, जैसे मिना, मक्का से कुछ दूर स्थित मुज़दलफा और अराफात, जहां हज यात्रा का सबसे अहम दिन मनाया जाता है। हज का एक बड़ा हिस्सा क़ुर्बानी और शांति की भावना व्यक्त करना है, जो इस्लाम धर्म के सिखाए गए मूल्यों के अनुकूल है।
आध्यात्मिक सफाई: हज यात्रा से मुसलमानों के पाप माफ हो जाते हैं और उनका जीवन एक नई शुरुआत होती है।
सामाजिक एकता: हज यात्रा में शामिल लोग विभिन्न देशों और भाषाओं से आते हैं, जिससे इस्लाम के वैश्विक भाईचारे की भावना बढ़ती है।
धार्मिक समर्पण: हज के अनुष्ठानों के माध्यम से मुसलमान अपनी धार्मिक प्रतिबद्धता और अल्लाह के प्रति श्रद्धा को और गहरा करते हैं।
हज का महत्व : हज इस्लामिक जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग है, जो न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह यात्रा हर मुसलमान के लिए एक सपने जैसा होता है, और इसे जीवन में एक बार करना अनिवार्य है, यदि व्यक्ति इसके लिए शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम हो।
Updated on:
15 Jan 2025 12:59 pm
Published on:
15 Jan 2025 12:51 pm
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