
How Sunday holiday started
Sunday: पूरे हफ्ते काम करने के बाद जब हफ्ता का आखिरी दिन शनिवार आता है तो हर एक शख्स के चेहरे पर अलग ही खुशी आ जाती है। लोग शुक्रवार से ही प्लानिंग करने लग जाते हैं कि संडे को क्या करेंगे, कहां घूमने जाएंगे? लेकिन क्या आपको पता है कि जिस संडे के दिन लोग इतना खुश और फ्रेश मूड में रहते हैं, वो दिन छुट्टी के लिए कैसे चुना गया था। यानी ये कब एक किसने चुना गया कि रविवार का दिन छुट्टी वाला जिन होगा और पूरी दुनिया में इस दिन को हर एक कामकाजी व्यक्ति की छुट्टी रहेगी। हालांकि अभी भी दुनिया में ऐसे कई देश हैं जहां पर अभी भी संडे को छुट्टी नहीं होती है। हम आपको यहां बता रहे हैं कि कैसे और कब दुनिया में रविवार का दिन छुट्टी के लिए तय किया गया।
आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरी दुनिया में संडे (Sunday) की छुट्टी घोषित हुए 100 साल भी नहीं हुए हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक छुट्टी के लिए रविवार का दिन कई धार्मिक परंपराओं से आया है। उदाहरण के तौर पर, मुस्लिम समुदाय के लोग शुक्रवार को आराम का दिन रखते हैं। जबकि यहूदी समुदाय के लोग शनिवार (Saturday) को छुट्टी रखते थे। तो वहीं ईसाई धर्म के लोग रविवार के दिन छुट्टी मनाते थे।
19वीं शताब्दी में यानी 1800 की शुरूआत में औद्योगिक क्रांति आने के दौरान दैनिक वस्तुओं का उत्पादन करने वाली बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां पारंपरिक कृषि अर्थव्यवस्था को औद्योगिक अर्थव्यवस्था में बदलना शुरू कर रही थीं, तो जैसे-जैसे किसानों ने कारखानों में काम करना शुरू किया, तो वो इस 12-13 घंटे की नौकरी के अनुरूप खुद को ढाल नहीं पाते थे। क्योंकि उन्हें अपने खेतों में भी काम करना होता था। इसलिए फैक्ट्रियों में उन्हें ये पसंद नहीं आ रहा था। उन्हें ये बात भी पसंद नहीं आ रही थी कि फ़ैक्ट्री मालिक उनसे सप्ताह में सातों दिन काम करने को बोलते थे और बाध्य करते थे। वो शिकायत करने लगे और परिवार के साथ समय बिताने की मांग करने लगे। धीरे-धीरे ये शिकायत पूरे अमेरिका में आंदोलन का रूप लेने लगी। फिर पूरे अमेरिका में संगठित श्रमिक हड़तालों में बदल गई।
इन हड़तालों के दौरान कानून प्रवर्तन और प्रदर्शनकारियों के बीच अक्सर तनाव बढ़ जाता था आपको बता दें कि इस टकराव में कई मजदूरों की मौत तक हो गई थी कई गंभीर रूप से घायल हो गए थे। धीर-धीरे समय के साथ फ़ैक्ट्री मालिकों को महसूस हुआ कि मजदूरों को शनिवार और रविवार दोनों दिन छुट्टी देना सबसे कारगर होगा। क्योंकि श्रमिकों में यहूदी भी थे और ईसाई भी…इसके बाद धीरे-धीरे वीकेंड की छुट्टी का प्रवाधान हर कंपनी में बन गया। ईसाई बहुल कंपनियों में रविवार को छुट्टी होने लगी।
साल 1938 में प्रमुख कार कंपनी के मालिक हेनरी फोर्ड (Henry Ford) ने वीकेंड की छुट्टी देने की शुरूआत की। उन्होंने शुरुआत में अपने कर्मचारियों को 2 दिन की छुट्टी देने का नियम बनाया था।
दरअसल हेनरी फोर्ड उन कारों को बेचना चाहते थे जो उनके कर्मचारी बना रहे थे। क्योंकि उन्हें अहसास हुआ कि उनके कर्मचारी ही उनके सबसे अच्छे ग्राहक थे और अगर वो ज्यादा से कारें बेचना चाहते हैं तो उनके कर्मचारियों को गाड़ी चलाने और उनका आनंद लेने के लिए छुट्टी देने की जरूरत होगी।
1- 7 मार्च 321 को रोम के पहले ईसाई सम्राट ने आदेश दिया कि रविवार को रोमन अवकाश दिवस के तौर पर मनाया जाएगा।
2- 1844 में ब्रिटिश गवर्नर जनरल ने स्कूल जाने वाले छात्रों के लिए 'रविवार की छुट्टी' का प्रावधान शुरू किया।
3- 10 जून 1890 को ब्रिटिश सरकार ने भारत में रविवार की छुट्टी घोषित कर दी।
1- दरअसल हिंदू कैलेंडर रविवार को शुरू होता है और ऐसा माना जाता है कि रविवार को सप्ताह शुरू होने से जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
2- जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था तब मिल मजदूरों को सप्ताह में सातों दिन काम करना पड़ता था और उन्हें आराम करने के लिए कोई छुट्टी नहीं मिलती थी।
3- तब मिल मजदूरों के नेता नारायण मेघाजी लोखंडे ने अंग्रेजों के सामने साप्ताहिक अवकाश का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि 7 दिनों तक कड़ी मेहनत करने के बाद मजदूरों को एक दिन अपने देश और समाज की सेवा के लिए मिलना चाहिए।
4- रविवार हिंदुओं की आस्था के प्रतीक सूर्य देवता का दिन माना जाता है।
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बता दें ज्यादातर मुस्लिम देशों में शुक्रवार को दिन इबादत का माना जाता है। इसके चलते वहां रविवार की जगह शुक्रवार को छुट्टी रहती है।
Updated on:
30 May 2024 04:39 pm
Published on:
30 May 2024 03:45 pm
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