IMEC कॉरिडोर यूएई और सऊदी अरब के रास्ते होकर जाएगा
डोनाल्ड ट्रंप का इशारा इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर की ओर है, जो चीन के बेल्ट एंड रोड के जवाब में अमेरिका और भारत मिल कर बनाने जा रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump) भारत और इज़राइल को जोड़ने वाले कॉरिडोर की प्रशंसा कर रहे हैं तो इसका मतलब समझें कि अब चीन उनके निशाने पर है, और इस कॉरिडोर के जरिए वे खाड़ी देशों में ड्रैगन का बढ़ता वर्चस्व कम करना चाहते हैं। IMEC कॉरिडोर यूएई और सऊदी अरब के रास्ते होकर जाएगा। अगर यह कॉरिडोर कामयाब रहता है तो इससे इजराइल और सऊदी के बीच संबंधों में तनाव कम होगा ध्यान रहे कि पीएम मोदी ( PM Modi) ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (emmanuel macron)के साथ मुलाकात के बाद इस कॉरिडोर की खूब प्रशंसा की है। उनका कहना है कि यह कॉरिडोर द्विपक्षीय हितों, रणनीतिक सप्लाई चेन बढ़ाने और आर्थिक, ऊर्जा और स्वास्थ्य सेक्टर में न केवल भारत, यूरोप और मिडिल ईस्ट में सुरक्षा तंत्र और मजबूत करेगा।’
यूरोप का प्रवेश द्वार बनेगा यह कॉरिडोर
दरअसल पीएम मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया है कि IMEC कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा। ध्यान रहे कि IMEC को साल 2023 में दिल्ली में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान शुरू किया गया था। इसे लेकर भारत, अमेरिका, यूएई, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के बीच एक एमओयू पर हस्ताक्षर हुए थे। इसके बाद गाजा युद्ध शुरू हो गया और यह पूरा कॉरिडोर ठंडे बस्ते में चला गया। हालांकि अब गाजा में सीजफायर और ट्रंप के आने के बाद यह प्रोजेक्ट एक बार फिर से रफ्तार पकड़ सकता है। यह कॉरिडोर भारत, यूरोप और खाड़ी देशों को जोड़ देगा। इससे भारत के यूरोप जाने का स्वेज नहर के अलावा एक और रास्ता खुल सकता है।
दुनिया भर के जहाज अफ्रीका का चक्कर लगाते हुए यूरोप-अमेरिका जा रहे
इस मार्ग की एक मुश्किल यह है कि अभी हूती विद्रोही स्वेज नहर के रास्ते पर हमले कर रहे हैं जिससे दुनिया भर के जहाजों को अफ्रीका का चक्कर लगाते हुए यूरोप और अमेरिका जाना पड़ रहा है। ध्यान रहे कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने पिछले साल कहा था कि IMEEC में दो अलग-अलग कॉरिडोर होंगे। पूर्वी कॉरिडोर भारत और खाड़ी के देशों को जोड़ेगा। वहीं उत्तरी कॉरिडोर खाड़ी देशों को यूरोप से जोड़ेगा। इससे जहां आसानी से व्यापार हो सकेगा, वहीं ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम होगा। इधर IMEEC के लिए वर्ष 2027 तक 600 अरब डॉलर तक जुटाने की तैयारी की गई है, ताकि इससे जुड़े देशों में आधारभूत ढांचा विकसित किया जा सके। इस कॉरिडोर से भारत की समुद्री सुरक्षा मजबूत होगी और सामान का आवागमन आसान और तेज गति से हो सकेगा।