15 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में 16 जुलाई को दी जाएगी फांसी, जानें क्या है पूरा मामला

निमिषा प्रिया केरल के पलक्‍कड़ की रहने वाली हैं। निमिषा नर्सिंग ट्रेनिंग का कोर्स पूरा करने के बाद 2011 में यमन चली गई थी।

2 min read
Google source verification

भारत

image

Ashib Khan

Jul 08, 2025

निमिषा को 16 जुलाई को दी जाएगी फांसी (Photo-X @goloko777)

केरल की 37 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में 16 जुलाई को फांसी दिए जाने की तारीख निर्धारित की गई है। निमिषा को 2017 में एक यमन नागरिक की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था। निमिषा प्रिया ने 2008 में बेहतर अवसरों की तलाश में यमन की राजधानी सना में नर्स के रूप में काम शुरू किया। मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम के मुताबिक निमिषा एक यमन नागरिक की हत्या के आरोप में जेल में हैं। हालांकि निमिषा को इस बारे में आधिकारिक तौर पर जानकारी नहीं दी गई है।

कौन है निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया केरल के पलक्‍कड़ की रहने वाली हैं। निमिषा नर्सिंग ट्रेनिंग का कोर्स पूरा करने के बाद 2011 में यमन चली गई थी। दरअसल, उसके माता-पिता दिहाड़ी मजदूर थे। वह अपने माता-पिता को अच्छी जिंदगी देने के मकसद से यमन गई थी। यमन में शुरुआत में निमिषा ने कई अस्पतालों में काम किया। हालांकि बाद में उसने खुद का क्लिनिक खोलने का फैसला किया। साल 2014 में वह तलाल अब्दो महदी के संपर्क में आई। बाद में तलाल ने निमिषा को यमन में क्लिनिक शुरू करने में मदद का वादा किया। 

महदी के साथ खोला क्लिनिक

यमनी कानून के अनुसार, विदेशी नागरिकों को व्यवसाय शुरू करने के लिए स्थानीय साझेदार की जरूरत होती है। इसीलिए निमिषा ने तलाल अब्दो मेहदी को अपना साझेदार बनाया। हालांकि बाद में दोनों के बीच मतभेद हो गए। इसके अलावा महदी ने उसका पासपोर्ट भी ले लिया जिससे वह यमन से बाहर नहीं जा सके। 

महदी की हुई मौत

2017 में निमिषा ने तलाल महदी से अपना पासपोर्ट वापस लेने की कोशिश की। इसके लिए उन्होंने तलाल को बेहोशी का इंजेक्शन दिया, लेकिन दवा की अधिक मात्रा के कारण तलाल की मृत्यु हो गई। 

एक साल से सना में है निमिषा की मां

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक निमिषा की मां प्रेमा कुमारी पिछले एक साल से सना में हैं और अपनी बेटी की रिहाई के लिए प्रयासरत हैं। सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम बास्करन, जो प्रेमा कुमारी की ओर से यमन में बातचीत कर रहे हैं, का कहना है कि अभी भी कुछ विकल्प बाकी हैं।