11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Rahat Indori :’उर्दू की बदहाली के लिए उर्दू वाले ही ज़िम्मेदार’ राहत इंदौरी ने अपने आखिरी इंटरव्यू में कहा था

Rahat Indori: राहत इन्दौरी भारत के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त उर्दू शायर और बॉलीवुड फिल्मों के गीतकार थे। वे उर्दू साहित्य के प्राध्यापक भी रहे। उनका 11 अगस्त 2020 को अमेरिका में निधन हो गया था। उनकी बरसी पर जोधपुर में लिया गया उनका आखिरी इंटरव्यू पढ़ें:

4 min read
Google source verification
Rahat Indori sweet memories

Rahat Indori sweet memories

Rahat Indori : अमेरिका में दुनिया से रुखसत होने वाले भारत के विश्वप्रसिद्ध उर्दू शायर राहत इंदौरी ने भारत के जोधपुर शहर में पत्रिका को दिए गए अपने आखिरी इंटरव्यू में कहा था कि उर्दू की बदहाली के लिए उर्दू वाले ही ज़िम्मेदार हैं। पढ़िए ये संस्मरण:

प्रख्यात शायर राहत इंदौरी पत्रिका को इंटरव्यू देते हुए। फाइल फोटो

यह हिंदुस्तान वह नहीं

हमारे बुजुर्गों ने जिस हिंदुस्तान के ख्वाब देखे थे, यह वह हिंदुस्तान नहीं है। हमारा हिंदुस्तान मोहब्बतों और अपनाने वाला हिंदुस्तान है। नफरतें कुछ लोग ले कर आ जाएं तो उसकी उम्र कम ही है। ये अल्फाज आज भी कानों में गूंजते हैं। दुनिया भर में मशहूर शाइर राहत इंदौरी ने इस पंक्तियों के लेखक से 22 दिसंबर 2019 को जोधपुर दौरे के दौरान उम्मेद भवन पैलेस में पत्रिका से इंटरव्यू में यह बात कही थी। आज जब राहत नहीं रहे। राहत इंदौरी की शाइरी और उनकी शख्सियत लोग भूल नहीं सकते। उनकी 4 दिसंबर 2019 को ही बायोग्राफी रिलीज हुई थी। राहत की हिन्दी और उर्दू में आठ किताबें प्रकाशित हुईं।

विख्यात शायर राहत इंदौरी पत्रिका को इंटरव्यू देते हुए। फाइल फोटो

अपनी जिम्मेदारी खुद समझें

आज भी याद है कि उन्होंने उस इंटरव्यू में कहा था कि शाइरी व शेर का ताल्लुक शऊर से है। शऊर ही शेर है और शऊर ही शाइरी है। वरना वह प्रोज यानी गद्य रह जाता है और पद्य नहीं बन पाता। जो लोग यह कहते हैं कि मुल्क में उर्दू का भविष्य रोशन नहीं है, इसकी बदहाली के लिए उर्दू वाले ही जिम्मेदार हैं, क्यों कि उर्दू वालों के बच्चे कॉन्वेंट में पढ़ते हैं। इसलिए उर्दू वाले अपनी जिम्मेदारी खुद समझें।

आखिरी इंटरव्यू

पूरे देश की तरह उनका जोधपुर के साथ भी बहुत पुराना रिश्ता रहा। वो पिछले साल 22 दिसंबर को जोधपुर के उम्मेद क्लब में आयोजित हास्य कवि सम्मेलन में शिरकत करने के लिए आए ,तब मैंने उनका यह साक्षात्कार लिया था। उस रोज हावड़ा एक्सप्रेस बहुत लेट आई थी, इसलिए वो बहुत थके हुए थे,लेकिन जब मैंने उनसे इंटरव्यू लेने के लिए कहा तो वे तैयार हो गए। इस तरह उनसे यह आखिरी इंटरव्यू रहा।

मशहूर शायर राहत इंदौरी जोधपुर में इंटरव्यू देते हुए। फाइल फोटो

बहुत ही खूबसूरत शहर

उन्होंने उस इंटरव्यू में कहा था कि यह बहुत ही खूबसूरत शहर है। यहां के श्रोता बहुत समझदार हैं और साहित्य की समझ रखते हैं। राहत इंदौरी का जोधपुर के साथ 30 बरसों तक रिश्ता रहा । पुरानी बात करें तो वे बरसों पहले यहां स्टेडियम में आयोजित मुशायरे में शिरकत करने के लिए जोधपुर आए थे। उस मुशायरे में खुमार बाराबंकी, शमीम जयपुरी और जोधपुर के शाइर एम ए गफ्फार राज वगैरह कई शाइरों ने शिरकत की थी। उसके बाद कभी आईआईटी, कभी अनुबंध वृद्धजन कुटीर तो कभी किसी कार्यक्रम में जोधपुर आते ही रहे।

राहत इंदौरी ने सुनाए ये शेर

राहत इंदौरी आखिरी बार 22 दिसंबर 2019 को जोधपुर आए थे। उस दिन उन्होंने उन्होंने पत्रिका के पाठकों के लिए कुछ शेर सुनाए थे। जो आज भी याद आते हैं :

पानी बहता है सर के ऊपर से,
क्या शिकायत करें समंदर से

घर की खिड़की का कुछ इलाज नहीं,
हर कोई झांकता है बाहर से

आज इतनी ज़मीं है कब्जे में,
ये पता कीजिए सिकंदर से

रोशनी में कदम नहीं रखता,
मेरी परछाई में तेरे डर से

हूं परीशां कि एक नई आवाज
आज आई है तो नंबर से

सजाई थी खूबसूरत शाम

शाख से जो टूट जाएं वो पत्ते नहीं हैं हम,

आंधी से कोई कह दे कि औकात में रहे

शाख से जो टूट जाएं वो पत्ते नहीं हैं हम,
आंधी से कोई कह दे कि औकात में रहे…,

जिस दिन से तुम रूठीं रूठे रूठे हैं,
चादर वादर तकिया वकिया सबकुछ…।

वाहवाही पाई थी

राहत इंदौरी ने जोधपुर के उम्मेद क्लब में 22 दिसंबर 2109 को वीकएंड की शाम आयोजित कवि सम्मेलन में खूब वाहवाही पाई थी। राहत इंदौरी ने मौजूदा हालात पर शेर सुनाए थे तो गणमान्य श्रोताओं ने उन्हें खूब दाद दी थी। विश्वप्रसिद्ध शाइर राहत इंदौरी ने तब खूबसूरत शेर सुना कर खूब वाहवाही पाई थी। उन्होंने श्रोताओं की फरमाइश पर…रोज तारों को नुमाइश में खलल पड़ता है, चांद पागल है अंधेरे में निकल पड़ता है…आदि कई शेर सुना कर वाहवाही पाई थी। जोधपुर शहर के श्रोताओं के लिए वह यादगार शाम थी।

ये भी पढ़े:Island of Dolls: चारों तरफ लटक रहीं गुड़ियां, खौफ़ के साये में पूरा शहर, रहस्य जान कर कांप जाएगी रूह

पाकिस्तान की किताबों में भारत के बारे में पढ़ाई जा रही ये “गंद”