
Taslima nasrin
Taslima Nasrin: मशहूर लेखिका और मानवाधिकार कार्यकर्ता तस्लीमा नसरीन ने बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथ की बढ़ती जड़ों पर चिंता जताई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि बांग्लादेश में हिन्दुओं के घर फूंके जा रहे है हैं और छात्र आंदोलन के नाम पर इस्लामी कट्टरपंथियों ने माहौल को भड़काया और बांग्लादेश को अफगानिस्तान जैसा बना देने की साजिश की है।
तसलीमा नसरीन (Taslima Nasrin) ने कहा कि बांग्लादेश में छात्रों का आंदोलन ( Bangladesh coup) था ही नहीं, इस्लामी कट्टरपंथियों ने इसकी रूपरेखा बनाई और पैसा लगाया। यह तब समझ में आया जब उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाओं, संग्रहालयों और राष्ट्रीय धरोहरों को मिटाना शुरू किया।
उनका कहना है कि इस्लामी कट्टरपंथी युवाओं को भ्रमित कर के भारत विरोधी, हिन्दू विरोधी, पाकिस्तान और जिहाद समर्थक बनाने में लगे हैं, जिसके चलते उन्हें डर है कि बांग्लादेश कहीं दूसरा अफगानिस्तान न बन जाये।
नसरीन ने एक इंटरव्यू में कहा कि जब छात्रों ने जुलाई में कोटा प्रणाली के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किये तो महिला अधिकार, मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करने वाले हम सभी ने उनका समर्थन किया। लोग शेख हसीना से खफ़ा थे जिन्होंने हमेशा कट्टरपंथियों का तुष्टीकरण कर के लोगों की जुबां बंद कर रखी थी.। उन्होंने कहा कि ऐसी तानाशाह सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू में उन्हें इस उम्मीद में सही लगा कि देश में निष्पक्ष चुनाव होंगे तथा लोकतांत्रिक तरीके से सरकार चुनी जायेगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
उल्लेखनीय है कि तसलीमा नसरीन को उनकी किताबों को लेकर विवाद के बाद 1994 में बांग्लादेश छोड़ना पड़ा. ‘लज्जा’ की लेखिका तब से निर्वासित हैं और 2005 से (2008 से 2010 को छोड़कर) भारत में रह रही हैं।
तसलीमा के मुताबिक, मुहम्मद यूनुस का कहना है कि प्रदर्शनकारी जीत का जश्न मना रहे हैं लेकिन यह कैसा जश्न है जिसमें हिंदुओं के घर फूंके जा रहे हैं, जबकि जंग के दौरान लाखों लोगों की हत्या करने वाली और महिलाओं से बलात्कार करने वाली पाकिस्तानी सेना से जुड़ी प्रतिमायें जस की तस हैं। उन्होंने कहा ,‘‘ यूनुस को पता है कि देश में जिहादियों का राज होगा और उन्हें इससे कोई दिक्कत भी नहीं है । ये कट्टरपंथी बांग्लादेश को अगला अफगानिस्तान या ईरान बनाने पर तुले हैं जो भयावह है ।. ’उन्होंने कहा कि यूनुस ऐसे लोगों के खिलाफ न तो कोई कार्रवाई कर रहे हैं और न ही उनकी आलोचना कर रहे हैं । ‘इससे भविष्य को लेकर कोई उम्मीद नजर नहीं आती।
तसलीमा नसरीन ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौजूदा हालात के लिये जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि कट्टरपंथियों ने अचानक सिर नहीं उठाया है। उन्होंने कहा ,‘‘ इसके लिये हसीना दोषी हैं जिन्होंने सत्ता में रहने के लिये कट्टरपंथियों का तुष्टीकरण किया। उन्होंने 560 मॉडल मस्जिदें बनवाईं और मदरसों की डिग्री को यूनिवर्सिटी डिग्री के समकक्ष बनाकर शिक्षा प्रणाली को ध्वस्त कर दिया।.’ उन्होंने कहा कि सिर्फ कुरान और हदीस पढ़ कर लोग यूनिवर्सिटी में पढ़ाने लगे, जहां पढ़ाई की बजाय ‘वाज़ महफिलें’ होने लगीं और महिलाओं के लिये बुर्का और हिजाब जरूरी कर दिया गया।
बांग्लादेश में अपने निजी अनुभव के बारे में उन्होंने कहा कि अब वहां भारत विरोधी भाव चरम पर है। तसलीमा ने कहा ,‘‘ मुझे खालिदा जिया ने 1994 में बांग्लादेश से निकाला और हसीना ने सत्ता में आने के बाद मुझे अपने देश लौटने नहीं दिया। 1998 में कैंसर के कारण आखिरी सांसें गिन रही अपनी मां से मिलने मैं गई, लेकिन उनके निधन के बाद हसीना ने फिर मुझे देश से निकाल दिया और दोबारा आने नहीं दिया ।’’ उन्होंने कहा कि अपनी संपत्ति बेचने और पैतृक संपत्ति का अपना हिस्सा लेने के लिये उनके पास पावर आफ अटॉर्नी थी जिसे सत्यापित कराने के लिये उन्होंने यूरोप, अमेरिका, भारत… हर दूतावास का दरवाजा खटखटाया, लेकिन हसीना के प्रभाव में सभी ने इनकार कर दिया।
तसलीमा ने कहा ,‘‘ मैं इसलिये हसीना के खिलाफ नहीं हूं कि उन्होंने मुझे प्रताड़ित किया बल्कि इसलिये कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में यकीन नहीं रखतीं। जिहादियों ने अचानक वहां सिर नहीं उठाया है बल्कि हसीना के शासन में हिंदुओं पर सबसे ज्यादा हमले हुए।’’ उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में युवाओं को भारत और हिंदुओं के खिलाफ भड़काया जा रहा है। उन्होंने कहा ,‘‘ अब वहां सात प्रतिशत से भी कम हिंदू बचे हैं। पूजा के दौरान, चुनाव के दौरान या संपत्ति पर कब्जा करने के लिये उन पर हमले होते रहे हैं।
हसीना ने हिंदू विरोधी, महिला विरोधी उपदेशों की अनुमति दी, जब युवाओं को इस तरह से भ्रमित किया जायेगा तो यह नयी पीढ़ी हिंदू विरोधी, भारत विरोधी, महिला विरोधी, पाकिस्तान और जिहाद समर्थक ही तो बनेगी.’’ ढाका और मेयमनसिंह में बिताया गया समय और अपने अपनों की यादें उनके जेहन में आज भी ताजा हैं, लेकिन तसलीमा ने अब अपने वतन लौटने की हर उम्मीद छोड़ दी है।
उन्हें चिंता यह भी है कि भारत में रहने का उनका वीजा परमिट बढ़ाया नहीं गया है। उन्होंने कहा ,‘‘ खालिदा और हसीना ने तो मुझे कभी लौटने नहीं दिया और अब जिहादियों के इशारे पर चल रही इस सरकार में भी मुझे कोई उम्मीद नहीं है।.’’ तसलीमा ने कहा कि पिछले कई साल से भारत में रहने के कारण अब यही उनका घर हो गया है और वह यहीं रहना चाहती हैं । उन्होंने कहा ,‘‘ हैरानी की बात यह है कि मेरा रिहाइश का परमिट बढ़ाया नहीं गया और अभी तक कोई सूचना भी नहीं है। यह 27 जुलाई को खत्म हो गया था। आम तौर पर समय सीमा से पहले ही इसे बढ़ा दिया जाता है. मेरी समझ में नहीं आ रहा कि क्या करूं।
Published on:
05 Sept 2024 07:15 pm
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