
(फोटो सोर्स: पत्रिका)
तुर्की (Turkey) में पिछले कुछ समय से राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है। देश में नया राष्ट्रपति चुना जाना है और इसके लिए चुनाव का ऐलान भी पहले ही हो चुका था। चुनावी जंग सिर्फ दो उम्मीदवारों के बीच ही थी। तुर्की के वर्तमान राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdoğan) का मुकाबला उनके विरोधी 6 दलों की ओर से चुने गए उम्मीदवार केमल किलिकडारोग्लू (Kemal Kilicdaroglu) से है। ऐसे में दोनों उम्मीदवारों में से तुर्की का नया राष्ट्रपति चुनने के लिए आज चुनाव हुए। पर इसके बावजूद नया राष्ट्रपति चुना नहीं जा सका।
एर्दोगन की पार्टी बनी चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी, पर सीटें घटी
तुर्की में आज हुए राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव में वर्तमान राष्ट्रपति एर्दोगन की जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। पर इसके बावजूद उनकी सीटें घट गई। तुर्की की संसद में 600 सीटें हैं। पिछली बार उन्हें 296 सीटें मिली थी, जो इस बार घटकर 266 ही रह गई।
क्यों नहीं चुना जा सका राष्ट्रपति?
तुर्की में राष्ट्रपति बनने के लिए 50% से ज़्यादा वोट ज़रूरी हैं। पर इस चुनाव में न तो एर्दोगन को 50% से ज़्यादा वोट मिले, और न ही उनके प्रतिद्वंद्वी किलिकडारोग्लू को। ऐसे में आज हुए चुनाव में किसी को भी विजेता नहीं चुना जा सका।
अब आगे क्या?
अब तुर्की के नए राष्ट्रपति को चुनने के लिए एक बार फिर से चुनाव होंगे, जिसके लिए 28 मई का दिन तय किया गया है। दूसरे दौर का चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार को ही तुर्की का नया राष्ट्रपति चुना जाएगा। एर्दोगन के समर्थकों का कहना है कि वह एक बार से देश के राष्ट्रपति बनेगे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एर्दोगन 11 साल तक देश के प्रधानमंत्री और 9 साल तक राष्ट्रपति रहे हैं। ऐसे में 28 मई को अगर वह चुनाव जीतते हैं तो उनके राष्ट्रपति पद का कार्यकाल और भी लंबा होगा।
वहीं किलिकडारोग्लू समर्थकों का मानना है कि उनके उम्मीदवार ही देश के नए राष्ट्रपति बनेंगे। ऐसे में 28 मई को ही इस बात का पता चलेगा कि दोनों उम्मीदवारों में से कौन तुर्की का राष्ट्रपति बनता है।
Updated on:
04 Jul 2025 05:28 pm
Published on:
15 May 2023 06:42 pm
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