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Global Economy: अमेरिका और जापान में बढ़ती बॉन्ड यील्ड क्या ग्लोबल इकोनॉमी के लिए बन सकती है खतरा?

Bond Yields: भारत में स्टॉक और बॉन्ड मार्केट्स दूसरे देशों के मुकाबले मजबूत स्थिति में हैं। वहीं जापान में 40 साल के बॉन्ड्स की यील्ड 3.5% पर पहुंच गई है।

भारतMay 23, 2025 / 08:29 am

Devika Chatraj

Bond Yields

अमेरिका और जापान में बढ़ती बॉन्ड यील्ड (प्रतीकात्मक फोटो)

Global Economy: दुनियाभर में बॉन्ड यील्ड (प्रतिफल) का बढ़ना किसी बड़े संकट का संकेत हो सकता है। हालांकि, एनालिस्ट्स का कहना है कि भारत में स्टॉक और बॉन्ड मार्केट्स दूसरे देशों के मुकाबले मजबूत स्थिति में हैं। अमेरिका में 30 साल के बॉन्ड का प्रतिफल 5% के पार निकल गया है। जापान में भी 40 साल के बॉन्ड्स की यील्ड 3.5% पर पहुंच गई है। अमेरिका में बॉन्ड यील्ड बढ़ने की वजह ट्रंप सरकार के भारी खर्च को माना जा रहा है, इससे अमेरिका का फिस्कल डेफिसिट बढ़ सकता है।

कर्ज में दबा अमेरिका

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने इंटरेस्ट रेट्स में कमी की मांगों को अनसुना कर दिया है। इंटरेस्ट रेट में कमी नहीं होने से ट्रंप सरकार को कर्ज का ब्याज चुकाने में दिक्कत आ रही है। इससे बॉन्ड्स में निवेशकों की दिलचस्पी घटी है। निवेशक अमेरिका में बॉन्ड्स पर ज्यादा ब्याज की मांग कर रहे हैं। 30 साल के अमेरिकी बॉन्ड्स की यील्ड 5% से ऊपर पहुंच जाने का मतलब है कि बॉन्ड्स के निवेशकों को अपने पैसे की सुरक्षा को लेकर डर सता रहा है। इसलिए वे ज्यादा रिटर्न की मांग कर रहे हैं। अमेरिका में सरकार के कर्ज और जीडीपी का रेश्यो 122% पर पहुंच गया है। जापान में यह यह रेश्यो 255% से अधिक है। कर्ज और जीडीपी का रेश्यो इस लेवल पर पहुंच जाना इकोनॉमिक स्टैबिलिटी के लिए ठीक नहीं है।

वैश्विक बॉन्ड यील्ड की स्थिति

नीचे दी गई लिस्ट में विभिन्न देशों में 10 साल की परिपक्वता वाले बॉन्ड्स की यील्ड और उनके मासिक प्रदर्शन को दिखाया गया है:

देशबॉन्ड यील्डमासिक प्रदर्शन
अमेरिका4.60%+0.22%
ब्रिटेन4.76%+0.20%
जापान1.55%+0.23%
ऑस्ट्रेलिया4.52%+0.32%
जर्मनी2.64%+0.20%
कनाडा3.41%+0.15%
ब्राजील14.21%+2.54%
रूस15.76%+1.52%
भारत6.20%-0.10%

भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में

इधर, भारत में स्थिति काफी बेहतर है। महंगाई नियंत्रण में है। यह 4% से नीचे बना हुआ है। बॉन्ड यील्ड 6.2% है। इंडिया के विदेशी मुद्रा भंडार में 691 अरब डॉलर हैं। ऐसे में अगर ग्लोबल इकोनॉमी में किसी तरह का बड़ा संकट आता है तो उभरते बाजारों में भारत इसका ज्यादा बेहतर तरीके से मुकाबला कर सकता है। इंडियन इकोनॉमी की मजबूत स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जहां अमेरिका और जापान में बॉन्ड्स यील्ड बढ़ रही है, इंडिया में यह घट रही है।

भारतीय बॉन्ड्स में बढ़ सकता है विदेशी निवेश

भारत में बॉन्ड यील्ड घटने की वजह मजबूत इकोनॉमी और कम फिस्कल डेफिसिट है। दूसरा, निवेशकों को इंटरेस्ट रेट्स में कमी होने का अनुमान है, जिससे वे बॉन्ड्स में निवेश कर रहे हैं। इससे बॉन्ड की कीमतों में मजबूती है और यील्ड कम हो रही है। उम्मीद है कि आरबीआइ (RBI) जून में अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट में एक चौथाई फीसदी की कमी कर सकता है। भारत में बॉन्ड्स की कीमतों में मजबूती जारी रहने पर विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी इसमें बढ़ सकती है।

बॉन्ड की कीमत और यील्ड में विपरीत संबंध

बॉन्ड्स की कीमत और उसकी यील्ड में विपरीत संबंध होता है। यानी बॉन्ड की कीमत बढ़ने पर उसकी यील्ड घट जाती है। बॉन्ड की कीमत घटने पर उसकी यील्ड बढ़ जाती है। यील्ड बढऩे से बॉन्ड की कीमत घट जाती है, जिससे इसके निवेशकों को नुकसान होता है। चूंकि ट्रेजरी बॉन्ड सरकार जारी करती है, इसलिए बॉन्ड यील्ड बढऩे से सरकार को बॉन्ड निवेशकों को अधिक ब्याज चुकाना होता है।

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