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Cheetah Vs Leopard दोनों में क्या है अंतर? तेंदुए या शेर की तरह दहाड़ता नहीं बल्कि बिल्ली की तरह गुर्राता है…

Kuno National Park: 75 साल बाद अब भारत में चीता भी दौड़ते दिखाई देंगे। PM Modi ने अपने जन्मदिन के मौके पर नामीबिया से लाए गए चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ दिया। लेकिन क्या आपको पता है कि राजस्थान समेत भारत में पाए जाने वाले तेंदुए और 1947 तक भारत में भारत में मिलने वाले चीता में क्या अंतर है। चीता (Cheetah) और तेंदुआ (Leopard) देखने में लगभग एक जैसे ही लगते हैं, पर दोनों में काफी अंतर है। आइए जानते हैं चीता और तेंदुआ में बड़ा अंतर क्या है…

Sep 17, 2022 / 04:39 pm

Swatantra Jain

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Cheetah And Leopard Difference: नामीबिया (Namibia) से 8 विदेशी चीते (Cheetahs) आज (17 सितंबर को) भारत के ग्वालियर (Gwalior) आ चुके हैं। श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में उनका पुनर्वास होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के जन्मदिन के मौके पर चीतों को आगमन भारत में हुआ है। चीतों को नामीबिया से भारत लाए जाने के बीच लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है कि तेंदुए और चीते में क्या अंतर होता है? दोनों देखने एक जैसे ही लगते हैं। आइए जानते हैं कि चीते और तेंदुए में क्या फर्क होता है और हम इनको कैसे पहचान सकते हैं?
जानकारों का कहना है कि, दोनों में मुख्य रूप से पांच बड़े अंतर होते हैं…

1. चीते के तेंदुओं की तुलना में कंधे लंबे होते हैं। ये तेंदुए से ऊंचे दिखाई देते हैं और ज्यादा फुर्तीले होते हैं…इनके पैर विशेष रूप से लंबे होते हैं।
2. चीते का वजन औसतन 72 किलोग्राम होता है। चीता अधिकतम 120 किमी प्रति घंटे के हिसाब से दौड़ सकते हैं। वहीं, तेंदुए बड़ी बिल्लियों में सबसे छोटे होते हैं, हालांकि ये चीतों की तुलना में अधिक भारी और मजबूत होते हैं। तेंदुए का वजन 100 किलोग्राम तक होता है।
3. चीते की तुलना में तेंदुए अधिक मांसल बिल्लियां होते हैं। तेंदुए अपनी अत्यधिक ताकत का इस्तेमाल शिकार पर घात लगाकर उसको पकड़ने में करते हैं। तेंदुए अपने भोजन की रक्षा के लिए शिकार को मारने के बाद पेड़ पर ले जाते हैं। लेकिन चीता ऐसा नहीं करता।
तेंदुए और चीते की खाल में होता है ये फर्क

4. बता दें कि चीता और तेंदुए की खाल में भी अंतर होता है। जहां चीते की खाल हल्के पीले और ऑफ व्हाइट कलर की होती है। चीते की खाल पर गोल या अंडाकार काले धब्बे होते हैं। तो वहीं तेंदुए की खाल पीले रंग की होती है और तेंदुए की खाल पर धब्बों का आकार फिक्स नहीं होता है…इनकी खाल पर वृत्ताकर ऐसे धब्बे होते हैं, जिनके बीच में भी जगह होती है।
चीता और तेंदुए के पंजे में भी अंतर

5. चीता और तेंदुए के पंजों में भी अंतर होता है। चीते के पंजे तेज स्पीड से दौड़ने के हिसाब से होते हैं। चीते के पिछले पैर आगे की तुलना में बड़े और मजबूत होते हैं जिससे वे स्पीड से दौड़ सकें। चीते के पंजे सिकुड़ते नहीं हैं क्योंकि उनको दौड़ते समय तेजी से घूमना होता है। वहीं तेंदुए के आगे के पैर पीछे के मुकाबले बड़े होते हैं। इसकी वजह से वो शिकार को खींचकर आसानी से पेड़ पर ले जाते हैं। शिकार को पंजा मारते समय भी उनके बड़े पैर काम आते हैं।
6. बाघ, शेर या तेंदुए की तरह चीते दहाड़ते नहीं हैं। उनके गले में वो हड्डी नहीं होती जिससे ऐसी आवाज़ निकल सके, वे बिल्लियों की तरह धीमी आवाज़ निकालते हैं और कई बार चिड़ियों की तरह बोलते हैं।
नामीबिया में चीते और तेंदुओं का सहवास

प्राप्त जानकारी के मुताबिक़ नामीबिया में तो चीते और तेंदुए जंगल में साथ ही रहते रहे हैं लेकिन फ़िलहाल के लिए मध्य प्रदेश आ रहे चीतों को कूनो पार्क में तेंदुओं से दूर रखा जा रहा है। हालांकि आगे चल कर उन्हें जंगल में मौजूद 150 से भी ज़्यादा तेंदुओं से जूझना पड़ेगा।

चीते के बारे में जानिए ये दिलचस्प जानकारियाँ भी आपको हैरान कर सकती हैं…

चीता दुनिया का सबसे तेज़ दौड़ने वाला जीव है लेकिन वह बहुत लंबी दूरी तक तेज़ गति से नहीं दौड़ सकता, अमूमन ये दूरी 300 मीटर से अधिक नहीं होती।
चीते दौड़ने में सबसे भले तेज़ हों लेकिन कैट प्रजाति के बाकी जीवों की तरह वे काफ़ी समय सुस्ताते हुए बिताते हैं।
गति पकड़ने के मामले में चीते स्पोर्ट्स कार से तेज़ होते हैं, शून्य से 90 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार पकड़ने में उन्हें तीन सेकेंड लगते हैं।

चीता का नाम हिंदी के शब्द चित्ती से बना है क्योंकि इसके शरीर के चित्तीदार निशान इसकी पहचान होते हैं।
चीता कैट प्रजाति के अन्य जीवों से इस मामले में अलग है कि वह रात में शिकार नहीं करता है।

चीते की आँखों के नीचे जो काली धारियाँ आँसुओं की तरह दिखती है वह दरअसल सूरज की तेज़ रोशनी को रिफ़लेक्ट करती है जिससे वे तेज़ धूप में भी साफ़ देख सकते हैं।
मुग़लों को चीते पालने का शौक़ था, वे अपने साथ चीतों को शिकार पर ले जाते थे जो आगे-आगे चलते थे हिरणों का शिकार करते थे।

भारत में चीते को 1952 में लुप्त घोषित कर दिया गया था, अब एक बार फिर उन्हें दोबारा भारत में बसाने की कोशिश हो रही है।
भारत में जो चीते लाए गए हैं वे खुले मैदानों में शिकार करने के आदी हैं, उनके मध्य प्रदेश के जंगलों में शिकार करना कितना आसान होगा, यह अभी देखना बाक़ी है।

जानकारों का ये भी कहना है कितेंदुआ बेहद आक्रामक होता है जबकि चीते उससे कहीं कम हमला करते हैं। दूसरी बात, तेंदुआ अपने इलाक़े में बिरादरी के भी दूसरों का रहना पसंद नहीं करता। अब शेर या बाघ से तो वो लड़ता नहीं, लेकिन चीतों पर हमला करना आम बात है।
दुनिया भर में इस समय चीतों की संख्या लगभग सात हज़ार है जिसमें से आधे से ज़्यादा चीते दक्षिण अफ़्रीका, नामीबिया और बोत्सवाना में मौजूद हैं।

भारत ने 1950 के दशक में चीते को विलुप्त घोषित कर दिया था और देश में एक भी जीवित चीता नहीं बचा था, और ये पहला मौका है जब एक इतने बड़े मांसाहारी जानवर को एक महाद्वीप से निकालकर दूसरे महाद्वीप के जंगलों में लाया जा रहा है।

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