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Papankusha Ekadashi 2024: एक नहीं दो दिन रखा जाएगा पापांकुशा एकादशी का व्रत, जानें विशेष फल के लिए क्या दान करें

Papankusha Ekadashi 2024: अश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी पापांकुशा एकादशी इस साल बेहद खास है, यह व्रत एक नहीं दो दिन रखा जाएगा। हालांकि अलग-अलग समूह अलग-अलग दिन व्रत रखेंगे। आइये जानते हैं विशेष फल के लिए पापांकुशा एकादशी के दिन क्या दान करें ..

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Papankusha Ekadashi 2024 Dan

Papankusha Ekadashi 2024 Dan: पापांकुशा एकादशी पर क्या दान करें

Papankusha Ekadashi 2024: सनातन धर्म के लोगों के लिए पापांकुशा एकादशी का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा के लिए समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को विशेष फल मिलते हैं। साथ ही जाने-अनजाने किए गए पापों से भी मुक्ति मिलती है।

कब है पापांकुशा एकादशी

पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार उदयातिथि में लोग 13 अक्टूबर 2024 को पापांकुशा एकादशी व्रत रखेंगे। इस व्रत को रखने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति के सभी पापों का अंत होता है। खास बात यह है कि यह व्रत शुभ योग में रखा जाएगा। हालांकि वैष्णव समाज के लोग 14 अक्टूबर को व्रत रखेंगे।


डॉ. व्यास के अनुसार पापांकुशा एकादशी रवि योग में पड़ रही है, इस दिन रवि योग सुबह 6:21 मिनट से बन रहा है और यह 14 अक्टूबर को सुबह 2:51 तक रहेगा। रवि योग में सभी प्रकार के दोष नष्ट हो जाते हैं। इसमें सूर्य देव का प्रभाव अधिक होता है।

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गृहस्थों के लिए पापांकुशा एकादशी व्रत


पापांकुशा एकादशी: रविवार 13 अक्टूबर 2024 को
पारण (व्रत तोड़ने का) समय: 14 अक्टूबर दोपहर 01:16 बजे से दोपहर 03:34 बजे तक
पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समयः सुबह 11:56 बजे (हरि वासर में पारण नहीं करते)

कब है गौण पापांकुशा एकादशी( वैष्णव के लिए)

गौण पापांकुशा एकादशी: सोमवार, 14 अक्टूबर 2024 को
पारण समयः 15 अक्टूबर को सुबह 6.22 बजे से 8.40 बजे तक
(पारण के दिन द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी।)

पापांकुशा एकादशी पूजा विधि

1. एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करें।

2. भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें।

3. इसके बाद मंदिर को साफ करें। एक वेदी पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।

4. भगवान का पंचामृत से स्नान करवाएं। पीले फूलों की माला अर्पित करें।

5. हल्दी या फिर गोपी चंदन का तिलक लगाएं। पंजीरी और पंचामृत का भोग अवश्य लगाएं। विष्णु जी का ध्यान करें। 6. पूजा में तुलसी पत्र शामिल करना न भूलें।

पापांकुशा एकादशी का दान और महत्व

कुंडली विश्लेषक डॉ. अनीष व्यास के अनुसार पापाकुंशा एकादशी व्रत के समान अन्य कोई व्रत नहीं है। इस एकादशी में भगवान पद्मनाभ की पूजा अर्चना की जाती है, जिससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। पापाकुंशा एकादशी हजार अश्वमेघ और सौ सूर्ययज्ञ करने के समान फल प्रदान करने वाली होती है।


पदम् पुराण के अनुसार जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा पूर्वक सुवर्ण, तिल,भूमि,गौ,अन्न,जल,जूते और छाते का दान करता है,उसे यमराज के दर्शन नहीं होते। इसके अतिरिक्त जो व्यक्ति इस एकादशी की रात्रि में जागरण करता है वह स्वर्ग का भागी बनता है। इस एकादशी के दिन दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।