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जानिये आखिर क्यूँ भगवान श्री राम ने खुद को अयोध्यावासियों की नज़रों से बचाया था

फैजाबाद के गयासपुर में आज भी मौजूद हैं रामायणकालीन स्मृतियाँ भगवान श्री राम से जुडी कथाएं

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फैजाबाद : मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की कथा को तो फिल्म निर्देशक रामानंद सागर कृत रामायण सीरियल में देश का हर नागरिक देख चुका है ,श्री राम चरित मानस की चौपाइयां भले ही सबकी समझ में न आती हों लेकिन भगवान श्री राम की कहानी को किताबों के माध्यम से हर कोई जानता है ,घर के बड़े बूढ़ों के मुहं से बचपन से लेकर जवानी तक भगवान श्री राम के आदर्शों को आत्मसात कारने की सीख मिलती रही है ,सत्य की असत्य पर विजय कथा के मुख्य किरदार दशरथ पुत्र भगवान श्री राम की कथा से जुड़े तमाम तथ्य आज भी अयोध्या से लेकर चित्रकूट और श्रीलंका में पाए जाते हैं लेकिन कई कहानियां ऐसी भी हैं जो आज भी अनकही हैं और बहुत कम लोग उसके बारे में जानते हैं ऐसी ही एक कहानी से आज हम आपको रूबरू करा रहे हैं जो रामायणकालीन है और आज भी उसके प्रमाण उपलब्ध हैं .


फैजाबाद के गयासपुर में आज भी मौजूद हैं रामायणकालीन स्मृतियाँ भगवान श्री राम से जुडी कथाएं


फैजाबाद शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित बीकापुर क्षेत्र के गयासपुर गांव में आज भी राम के वनवास की हजारों साल पुरानी स्मृतियां मौजूद हैं . बताया जाता है कि पिता की आज्ञा पालन के लिए चौदह वर्षो के लिए वनवास जाने के लिए भगवान राम ने तमसा तट पर ही अपना पहला पड़ाव डाला था,उस समय राजा राम को भगवान को मनाकर अयोध्या वापस ले चलने के लिए अयोध्या की प्रजा भगवान श्री राम के पीछे पीछे चल पड़ी थी लेकिन अयोध्यावासी राजा रामचंद्र को तो नही मना पाए, उल्टा भगवान ने ही उन्हें लौटने के लिए बाध्य कर दिया.भगवान राम ने मंत्री सुमंत जी को ऐसे मार्ग से ले जाने के लिए बाध्य करते है जिससे पुरवासी उन्हें दोबारा न खोज सकें. भगवान का निर्देश मिलने के बाद सुमंत जी ने रथ को दाएं-बाएं के सभी मार्गो पर इस कदर बार- बार घुमाया कि मार्ग की घास बुरी तरह से कुचल गयी.कहते हैं कि इस क्षेत्र में जमीन पर घास पर उनके कुचले जाने के निशान मौजूद हैं. दिलचस्प बात ये है कि गयासपुर की पौराणिकता से शायद स्थानीयवासी भी परिचित नहीं हैं. रात्रि में अवधवासियों को चकमा देकर चले जाने से अवाक पुरवासियों के मुंह से निकला विस्मयकारी शब्द ही गयासपुर के नाम से विख्यात हो गया.