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सियासी उठापटक के बीच सोनिया ने की पुरखों के आंगन में चलहकदमी

स्वराज भवन में बिताई रात, सुबह लॉन में घूमीं, चुनिंदा लोगों से मुलाकात

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Ashish Kumar Shukla

Feb 13, 2016

प्रसून पांडेय
इलाहाबाद. नेशनल हेरॉल्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट से निजी पेशी से राहत मिलने कुछ घंटे बाद ही सोनिया गांधी शुक्रवार शाम अचानक इलाहाबाद पहुंच गईं। रायबरेली से इलाहाबाद पहुंची कांग्रेस अध्यक्ष के यहां आने की खबर न तो पार्टी पदाधिकारियों को थी न ही पार्टी के विधायक और सांसद को इस बारे में कानो-कान खबर हुई। सोनिया बमरौली हवाई अड्डे से सीधे इलाहाबाद स्थित नेहरू-गांधी परिवार के पुश्तैनी मकान स्वराज भवन पहुंचीं और रात भर यहीं रुकीं। एसपीजी सुरक्षा के कारण कांग्रेस शीर्ष नेता से वही रूबरू हो सका जिसको उन्होंने अनुमति दी। उनके प्रयाग आने को लेकर बीती शाम से ही जिनती मुंह उतनी बातें होती रहीं। कहने वाले यहां तक कह गए कि मैडम 2017 की तैयारी करने आई हैं। हालांकि कांग्रेस के स्थानीय विधायक अनुग्रह नारायण सिंह ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष यहां कमला नेहरू ट्रस्ट के कार्यों के सिलसिले में आईं थीं। यह बेहद निजी दौरा था, जिसका कोई राजनीतिक मकसद नहीं था।

कांग्रेस अध्यक्ष के पहुंचने की खबर जैसे-जैसे फैली शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक से पुराने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं और नेताओं की जमघट शुरू हो गई। हालत यह हुई कि जैसे-जैसे शाम ढली यूनिवर्सिटी जाने वाले रास्ते पर भीड़ बढ़ती गई। बाद में पुलिस ने भीड़ को यहां से हटाया। एसपीजी सुरक्षा के अलावा बड़ी संख्या में पुलिस बल भी तैनात रही। स्वराज भवन में ही सोनिया से कमला नेहरू ट्रस्ट की अधिषाशी अधिकारी मधु चंद्रा ने मुलाकात की और ट्रस्ट की एनुअल रिपोर्ट और जरूरतों पर चर्चा की। इसके बाद सोनिया सीधे कमला नेहरू कैंसर संस्थान अस्पताल पहुंची। यहां निदेशक डॉ. पॉल से उन्होंने अस्पताल के संचालन के बारे में जानकारी ली। सोनिया ने यहां कैंसर के इलाज के लिए आवश्यक उपकरणों और संसाधनों के बारे में भी पूछा। रात में भोजन के बाद सोनिया ने स्वराज भवन में ही विश्राम भी किया।

पुश्तैनी कुर्सी आनंद भवन का लॉन
शनिवार सुबह करीब सात बजे सोनिया ने स्वराज भवन और आनंद भवन के लॉन में चहल-कदमी की। लॉन में उनके लिए पुश्तैनी बेंत की कुर्सी और टेबल लगाई गई थी। सोनिया के यहां होने की खबर पर स्वराज भवन और अनंद भवन के आस-पास के लोग अपने छतों पर खड़े होकर उनका इन्तजार करते रहे। आनंद भवन के सामने मेडिकल स्टोर की छत पर खड़े बुजुर्ग ने कहा, सोनिया भले कभी यहां न रही हों लेकिन गांधी परिवार की बहू होने से हमें यह अच्छा लगा कि आज वो यहां रहीं अगर वो सबसे मिलतीं और शहर को जानती तो और बेहतर होता।

जंग-ए-आजादी का केंद्र रहा स्वराज भवन-आनंद भवन
राष्ट्रीय संपत्ति स्वराज भवन और आनंद भवन देश के स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र बिंदु रहा है। स्वराज भवन में ही इंदिरा गांधी का जन्म हुआ था। इन दोनों ऐतिहासिक भवनों छत के नीचे ही स्वतंत्रता संग्राम की योजनाएं बनी थीं। यहीं, मोती लाल नेहरू और जवाहर लाल नेहरू ने इंन्दिरा को बड़े प्यार से पाला था। आजादी से पहले आनंद भवन और स्वराज भवन में कांग्रेस का मुख्यालय हुआ करता था। पंडित नेहरू ने 1928 में पहली बार यहीं पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा वाला भाषण लिखा। भारत छोड़ो आंदोलन का प्रारूप यहीं बना। 1942 के आंदोलन में ब्रिटिश सरकार ने स्वराज भवन को जब्त कर लिया थाा जो आजादी के बाद ही यह मुक्त हो सका। आजादी के बाद 1948 में पंडित नेहरू ने स्वराज भवन में बाल भवन बना दिया। बिरासत में बचा आंनद भवन को इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद 1 नवम्बर 1970 को जवाहर लाल नेहरू स्मारक को सौंप दिया। आनंद भवन अब स्मारक संग्राहलय के रूप में दर्शको के लिए खोल दिया गया है।

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