
12 crore scam
आगरा। नहर विभाग में नहरों की सफाई के नाम पर 12 करोड़ के घोटाले हुआ है। 6 दिन में अधिकारियों ने आगरा की 610 किलोमीटर लंबाई की नहरों की सफाई करा दिया। ये मामला उद्यान सचिव के सामने उठा, तो अधिकारियों के होश उड़ गए। इस मामले में गठित जांच कमेटी भी रिपोर्ट नहीं दे पा रही है। दो बार जांच कमेटियों का गठन हुआ, लेकिन अभी तक रिपोर्ट नहीं आई है।
इसलिए आया था बजट
किसानों को टेल तक पानी मिल सके, इसके लिए नहरों की सफाई के लिए वर्ष 2017-18 में करीब 12 करोड़ रुपये का बजट आया था। 28 अक्टूबर 2017 को नहरों की सफाई के लिए टेंडर निकाला गया। टेंडर था आगरा जनपद की 600 किमी नहर की सफाई का। इस टेंडर के निकले के बाद महज छह दिन, यानि 5 नवंबर को नहरों में पानी आ गया। यानि नहरों की सफाई के लिए आया पूरा बजट खर्च हो गया।
उद्यान सचिव के सामने उठा मुद्दा
2 मई 2018 को उद्यान सचिव ने कमिश्नर सभागार में आगरा अलीगढ़ मंडल की समीक्षा बैठक की थी। इस बैठक में भारतीय किसान यूनियन के नेता श्याम सिंह चाहर ने इस मुद्दे को उठाया। उद्यान सचिव के सामने जब किसान नेता ने पोल खोलना शुरू की, तो अधिकारियों के होश उड़ गए। इसके बाद जांच कमेटी गठित कर दी गई, जिसमें सभी छह तहसीलों के एसडीएम, मुख्य विकास अधिकारी और किसान नेता शामिल थे। ये कमेटी जांच रिपोर्ट नहीं दे पाई।
दूसरी बार बनी जांच कमेटी
इस मामले में जांच पूरी नहीं हुई, तो किसान नेता ने दोबारा अधिकारियों से मामले को संज्ञान में लेना चाहा, जिसके बाद सीडीओ ने हाल ही में एक और जांच कमेटी गठित कर दी, जिसमें परियोजना निदेशक जिला ग्राम विकास अधिकारी, जिला कृषि अधिकारी, अधिशासी अभियंता गा्रमीण अभियंत्रण विभाग, सहायक अधिशासी अभियंता जिला ग्राम विकास अभिकरण आगरा को सम्मलित किया गया। एक सप्तहा में जांच देने का आदेश हुआ, लेकिन जांच पूरी नहीं हो सकी।
19 जुलाई को दिए सीडीओ ने आदेश
इसके बाद सीडीओ रविन्द्र कुमार मादंड ने 19 जुलाई को फिर से इस मामले में कमेटी को जांच के आदेश दिए हैं और तीन दिन में रिपोर्ट जांच कर आख्या प्रस्तुत करने के लिए कहा है, लेकिन ये माह भी गुजर गया, लेकिन अधिकारियों की जांच रिपोर्ट तक अभी तक नहीं आई है।
दस्तावेजों में ये स्थिति
आगरा टर्मिनल, रजवाह एफएस ब्रांच फतेहपुरसीकरी करीब पचास-साठ माइनरों का क्षेत्रफल 610 किमी क्षेत्रफल है, इसमें से लगभग 486 किमी क्षेत्र में सफाई दर्शायी गई है। सिल्ट सफाई नहीं की गई, लेकिन दस्तावेजों में सिल्ट सफाई दिखाकर पूरे बजट को साफ कर दिया गया।
ये बोले अधिकारी
चीफ डवलपमेंट आॅफीसर रविंद्र कुमार मांदड़ का कहना है कि यह प्रकरण मेरे संज्ञान में आते ही कमेटी का गठन कर दिया गया है। जांच में देरी के लिए संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई करते हुए उनके वेतन रोके गये हैं और कारण बताओ नोटिस दिए गए हैं। जांच रिपोर्ट आते ही उचित कार्रवाई की जाएगी।
Published on:
01 Aug 2018 01:12 pm
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