8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मौतों का एक्सप्रेसवेः आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर 20 माह में 2368 हादसे और 227 मौतें

-ओवरटेकिंग लेन के अन्दर खड़ा करके टायर बदल रहा था ट्रक चालक, इस कारण हुआ हादसा।-मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनसुनवाई पोर्टल पर दी गई जानकारी, हादसे रोकने के लिए दिए गए अनेक सुझाव।

3 min read
Google source verification

आगरा

image

suchita mishra

Feb 14, 2020

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे

आगरा। 12 फरवरी, 2020 की रात्रि में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर हुआ बस हादसा सभी को झकझोरने वाला है। इसमें 14 लोगों की मौत हुई। अनेक गम्भीर रूप से घायल हैं। यह घटना लखनऊ एक्सप्रेसवे पर पहली घटना नहीं है। इससे पूर्व भी अनेकों वीभत्स हादसे इस एक्सप्रेसवे पर हो चुके हैं, जिनमें सैकड़ों लोग काल-कवलित हुए और सैकड़ों गंभीर रूप से घायल हुए। आंकड़ों से स्पष्ट है कि यह 302 किलोमीटर लम्बा एक्सप्रेसवे कितना जानलेवा सिद्ध हो रहा है।

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर हादसे
अगस्त 2017 से मार्च 2018 तक (8 माह) हादसे 858, मौतें 100
अप्रैल 2018 से दिसम्बर 2018 तक (9 माह) हादसे 1113, मौतें 91
जनवरी 2019 से मार्च 2019 तक (तीन माह) हादसे 402, मौतें 36
20 माह में कुल हादसे 2368, मौतें 227

इस मुद्दे को लेकर आगरा डेवलपमेन्ट फाउण्डेशन के सचिव व वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज की। हादसों में कमी के लिए सुझाव भी दिये। जो वाहन इस एक्सप्रेस-वे पर चलते-चलते खराब हो जाते हैं या दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं उन्हें क्रेन के माध्यम से 10 मिनट के अन्दर हटाया जाये। यह हादसा इसी कारण से हो गया कि ट्रोला का ड्राइवर ट्रोले के पहिये को एक्सप्रेसवे की ओवरटेकिंग लेन के अन्दर खड़ा करके टायर बदल रहा था। एक्सप्रेसवे पर ट्रक बाईलेन भी 10-10 किमी0 पर एक्सप्रेसवे के दोनों ओर होना चाहिये जहां पर क्षतिग्रस्त या खराब या रुके हुये ट्रक खड़े हो सकें ताकि तेज गति से आने वाले वाहन उनसे न टकरायें।

बस में भी सीट बेल्ट अनिवार्य हो
सुझावों में यह भी कहा गया कि निजी व सरकारी बसों में सीट बैल्ट अनिवार्य रूप से होनी चाहिये ताकि हादसा होने की स्थिति में बस यात्री गंभीर रूप से चुटैल होने से बच सके। इस सम्बन्ध में सरकार को तुरन्त पहल करनी चाहिये। घिसे हुये टायरों के उपयोग पर तुरन्त रोक लगनी चाहिये और घिसे हुये टायरों वाले वाहन को एक्सप्रेसवे पर प्रवेश की अनुमति नहीं होनी चाहिये। इस सम्बन्ध में शासना द्वारा नियम बनाया जाना चाहिये।

वाहन चालक द्वारा वाहन चलाने की अवधि
एक्सप्रेसवे पर हादसों का मुख्य कारण वाहन चालक को नींद आना या अत्यधिक थका होना होता है। विदेशों में कोई भी वाहन चालक निश्चित समय से अधिक वाहन नहीं चला सकता है और उसे रुकना ही पड़ता है। इस प्रकार का कोई नियम भारत में नहीं है जो बनाया जाना चाहिये और उसे कड़ाई से लागू किया जाना चाहिये। यह उल्लेखनीय है कि 100 किमी0 की गति से चलने वाले वाहन 1 सेंकेड के अन्दर लगभग 30 मीटर चल लेते हैं। अतः वाहन चालक की झपकी सड़क हादसों का बहुत बड़ा कारण है।

प्रत्येक हादसे की विश्लेषणात्मक रिपोर्ट
एक्सप्रेस-वे पर जो भी सड़क हादसा हो उसके सम्बन्ध में एक स्थायी कमेटी द्वारा अध्ययन करके रिपोर्ट दी जाये जो प्रचारित-प्रसारित हो ताकि हादसों के कारण से प्रशासन व जनता अवगत हो और उन्हें बचाने के लिये आवश्यक जागृति उत्पन्न हो व कार्यवाही हो। इस सम्बन्ध में मोटर व्हीकल एक्ट की धारा-135 में भी प्राविधान है। उ0प्र0 रोड सुरक्षा कोष नियमावली, 2014 के नियम-10(ए)(पप) के अनुसार यह आवश्यक है कि सड़क सुरक्षा कोष की प्रबन्ध कमेटी द्वारा रोड एक्सीडेन्ट डाटा बेस मैनेजमेन्ट सिस्टम विकसित हो।

चालान हों
गति सीमा उल्लंघन या अपनी लेन पर न चलने के लिये प्रत्येक गलती करने वाले वाहन का चालान होना चाहिये। प्रतिदिन हजारों वाहन तेज गति से चलते हुये देखे जा सकते हैं लेकिन मात्र 5000 वाहनों का अब तक चालान हुआ है जो कि अत्यन्त दुःखद है। एक ओर राजस्व की हानि है वहीं दूसरी ओर सड़क हादसों को न्योता दिया जाता है।

सी0आर0आर0आई की अध्ययन रिपोर्ट लागू हो
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे इण्डिस्ट्रयल डेवलपमेन्ट अथॉरिटी (यूपीडा) द्वारा सेन्ट्रल रोड रिसर्च इन्स्टीटयूट (सी0आर0आर0आई) द्वारा आगरा लखनऊ एक्स्रपेस-वे की सड़क सुरक्षा के सम्बन्ध में अध्ययन कराया गया है किन्तु रिपोर्ट का खुलासा अभी तक नहीं किया गया है। सूचनाअधिकार में मांगने पर भी रिपोर्ट उपलब्ध नहीं करायी गयी है। रिपोर्ट की संस्तुतियों को लागू किया जाना चाहिये।

यूपीडा पारदर्शिता के साथ कार्य करे
यूपीडा द्वारा इस एक्सप्रेस-वे पर होने वाले सड़क हादसों व चालान आदि के सम्बन्ध में गोपनीयता रखी जाती है और सूचना-अधिकार में मांगे जाने के उपरान्त भी सूचना उपलब्ध नहीं करायी जाती है। जहां एक ओर मानव सुरक्षा का महत्वपूर्ण पक्ष है वहां दूसरी ओर राज्य सरकार की एजेंसी द्वारा हादसों की संख्या को छिपाने का प्रयास नहीं करना चाहिये। हादसों के आंकड़़ों के प्रचार-प्रसार से वाहन चालकों के मध्य डर और जागरूकता दोनो हीं उत्पन्न होंगी।

कैमरों की संख्या बढ़ायी जाए
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर 10 स्थानों को बढ़ाकर 20 स्थानों पर कैमरे लगाये जायें। गति उल्लंघन करने वाले वाहनों को चालान के सम्बन्ध में समस्त कार्रवाई टोल संचालनकर्ता मै0 ईगल इन्फ्रा इण्डिया लि0 द्वारा ही की जाये।