पिता चाहते थे बेटा कुछ बड़ा करे
आईएएस अफसर के पिता भी चाहते थे कि उनका बेटा कुछ बड़ा करे। अरविंद मलप्पा बंगारी ने वर्ष 1997 में कर्नाटक के धारवाड़ में स्कूल शिक्षा ग्रहण करने के बाद स्नातक की। स्नातक करने के बाद इन्होंने एग्रीकल्चर से एमएससी की। उन्होंने एक साल तक प्रयोगशालाओं में कार्य भी किया। आगरा से स्थानांतरण होने के बाद 10 अगस्त 2014 को अयोध्या में सीडीओ के पद पर कार्यभाार किया। 26 अप्रैल 2017 को मथुरा में इन्हें डीएम की कमान सौंपी गई। यहां तकरीबन 8 महीने की तैननाती के बाद आईएएस अफसर अरविंद मलप्पा बंगारी को जौनपुर का डीएम बननाया गया। इसके बाद 18 जनवरी 2023 को मुजफ्फरनगर के कलेक्टर की कमान संभाली।
कर्नाटक में प्राप्त किया था 11वां स्थान
अरविंद मलप्पा बंगारी विज्ञानी बनना चाहते थे। लेकिन प्रयोगशालाओं में वर्क के दौरान ही सिविल सर्विसेस में जाने का मन हुआ। यहीं से उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा को पास आउट कर सिविल परीक्षा को पास करने के लिए कड़ी मेहनत करनी शुरू कर दी। 2007 से 2010 तक कठिन परिश्रम के बाद सिविल सेवा का एग्जाम क्रेक कर आईएएस बनने की मंजिल को प्राप्त कर लिया। वर्ष 2011 बैच के ये आईएएस अफसर बन गए। इन्होंने सिविल सर्विस परीक्षा में ओवरआल 83वां स्थान और कर्नाटक में 11वां स्थान प्राप्त किया था। 29 अगस्त 2011 को मसूरी में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया। यहां से उन्हें 28 मई 2012 को झांसी में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया। झांसी में ट्रेनिग होने के बाद शासन ने आईएएस अफसर अरविंद मलप्पा बंगाारी का तबादला करते हुए 14 अगस्त 2013 को संत कबीर नगर में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के पद पर तैननात किया। इसके बाद 14 सितंबर 2013 को आगरा के ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के पद पर रहे।
आगरा से प्रमोद कुशवाहा की रिपोर्ट