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अटल बिहारी वाजपेयी पंचतत्व में विलीन, साथ ही दफन हो गए ये दो लोकप्रिय नारे

आगरा में 1988 में भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ था। इस अधिवेशन में दो नारे प्रमुखता से सृजित किए गए थे।

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atal bihari vajpayee

atal bihari vajpayee

आगरा। भारत रत्न और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन 16 अगस्त, 2018 को दिल्ली स्थित एम्स में हुआ। 17 अगस्त, 2018 को उनका अंतिम संस्कार किया गया। इसके साथ ही दो लोकप्रिय नारे सदा के लिए दफन हो गए हैं। ये ऐसे नारे थे, जिन्हें लगाते हुए भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की भुजाएं फड़क उठती थीं। वे कुछ भी करने के लिए उद्यत हो जाते थे।

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मील का पत्थर साबित हुआ भाजपा का अधिवेशन

आगरा में 1988 में भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ था। इस अधिवेशन में दो नारे प्रमुखता से सृजित किए गए थे। ये थे- अटल आडवाणी कमल निशान- मांग रहा है कमल निशान और अबकी बारी-अटल बिहारी। इन्हीं नारों के जयघोष के साथ भाजपा का राष्ट्रीय अधिवेशन सम्पन्न हुआ था। श्री क्षेत्र बजाजा कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व भाजपा नेता सुनील विकल ने बताया कि आगरा में हुआ राष्ट्रीय अधिवेशन भाजपा के लिये मील का पत्थर साबित हुआ। यहीं से भारतीय जनता पार्टी की जीत का कारवां निरन्तर आगे बढ़ता गया।

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सबसे आगे थे लालकृष्ण आडवाणी

उन्होंने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी का स्वागत आगरा वालों ने दिल खोलकर किया था। खास बात थी कि आगरा के व्यस्ततम मार्गों से निकाली शोभायात्रा में खुली जीप पर सबसे आगे लाल कृष्ण आडवाणी थे। उनके पीछे अटल बिहारी वाजपेयी, कल्याण सिंह और स्वागत अध्यक्ष सत्य प्रकाश विकल सवार थे। सत्य प्रकाश विकल बाद में उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रहे। उनका देहांत हो चुका है। कल्याण सिंह इस समय राजस्थान के राज्यपाल हैं। लाल कृष्ण आडवाणी उपप्रधानमंत्री रहे।


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