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जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए मनमानी, मोदी सरकार की नीयत साफ तो जेवर में कराए चकबंदी

आगरा के एयरपोर्ट के लिए चार हेक्टेयर जमीन नहीं, जेवर के लिए 12 एकड़ अधिग्रहण कर रही सरकार

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आगरा

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Abhishek Saxena

Jun 11, 2018

jewar international airport

जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए मनमानी, मोदी सरकार की नीयत साफ तो जेवर में कराए चकबंदी

आगरा। जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाए जाने के लिए सरकार ने सभी कायदे कानून दरकिनार कर दिए हैं। बिना जमीन और पर्यावरण स्‍वीकृति के निवेशकों को इंटरनेशनल प्रोजेक्‍ट में निवेश करने आने को आकर्षित करने की प्रक्रिया चल रही है। सिविल सोसायटी आगरा ने जेवर में शुरू हो चुके किसानों की जमीन सरकार के द्वारा छीने जाने के प्रयास का प्रवल विरोध किया है। सिविल सोयायटी ने मांग की है कि मोदी सरकार की नीयत साफ है तो सबसे पहले जेवर में चकबंदी कराए। आगरा में चार हेक्टेयर जमीन नहीं खरीदी जा रही है और जेवर में 12 एकड़ से अधिक सिंचित जमीन को सरकार अधिग्रहित करना चाह रही है।

चकबंदी प्रक्रिया कराए सरकार
सिविल सोसायटी ने सोमवार को जेवर इंटरनेशनल पर चकबन्‍दी की प्रक्रिया के तहत एक पीआईएल डाले जाने की जानकारी दी। सिविल सोसायटी के अनिल शर्मा का कहना है कि चकबंदी में समूचा देश आता है, जिसका मकसद ग्रामीणों की जरूरतों के लिये जमीन की उपलब्‍धता सुनिश्‍चित किए जाने के साथ ही भूमि की मिल्‍कियत के रिकार्ड अपग्रेडिट करना भी है। यही नहीं 12 एकड से ज्‍यादा की सिंचित जमीन को सरकार या राजकीय अस्‍थान की जमीन में निहित करना है। यह जमीन भूमिहीनों और अनुसूचित जाति के गांव वालों के गांवों की भूमि प्रबंध समितियों की बैठक में लिए गए निर्णयों के अनुसार दर्ज होती है। जबकि जेवर में जो कुछ यमुना एक्‍सप्रेस वे अथार्टी करने जा रही है, वह इसके ठीक उलट है। खेती की जमीन के रिकॉर्ड अपडेट नहीं हैं। अधिकतम जोत सीमा से अधिक के भूमि मालिक भी सरकारी मुआवजा पाने वालों की लाइन में लगे हुए हैं। वहीं तमाम ऐसे हैं जो कि जमीन का वाजिब हक रखते हैं, लेकिन रिकार्डों के अपडेट न होने से जमीन का मुआवजा पाने की स्‍थिति में तब ही पहुंच सकेंगे। जबकि सिविल कानून की लम्‍बी प्रक्रिया पूरी कर राजस्‍व रिकार्डों में अपना नाम दर्ज करवा सकें।

कैपीटल जोन प्लान में लंबा अरसा
चकबन्‍दी रिकार्ड अपडेट न होने से जेवर तहसील की खेती की जमीन का भू उपयोग गैरकानूनी तरीके से तब्‍दील करवाने के मामले भी हमेशा के लिये दबाए जाने का प्रयास है। अब तक केवल जेवर का इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्‍लान ही बनता बिगड़ता रहा है, जबकि तहसील को नेशनल कैपीटल जोन प्‍लान में आए हुए लम्‍बा अरसा हो चुका है और यहां के लिए वाकायदा रीजनल प्‍लानिंग भी है। वर्तमान में जो कुछ चल रहा है, वह पूरी तरह से मनमानी प्रक्रिया है और सरकारी संक्षण में होने वाली एक गलत मिसाल।

जानकारियां होनी चाहिए संज्ञान में
सिविल सोसायटी आगरा जो कि आगरा में एयरपोर्ट बनाये जाने की मांग को लेकर सक्रिय है और उसका अपना सीमित सक्रियता का लक्ष्‍य रहा है। लेकिन, इंटरनेशनल एयरपोर्ट से संबधित मामलातों से निकटता रहने से जेवर में जो कुछ चल रहा है और बाद मे होने वाला उससे संबधित भी तमाम जानकारियां उसके संज्ञान में हैं।

सिविल सोसायटी ने कुछ बिंदुओं पर आपत्ति जताई है
(1) भूमि हीन किसान, जो खेतिहर मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं। खोती का रकबा खत्‍म हो जाने के बाद उनकी रोजीरोटी सीधे तौर पर प्रभावित होगी। इनकी अजीविका, आवासीय व्‍यवस्‍था के विकल्‍प को लेकर उ प्र सरकार या यमुना एक्‍सप्रेस वे अथॉर्टी अब तक कोई भी खाका सार्वजनिक नहीं कर सकी है।

(2) जेवर तहसील के गांवों में कब चकबन्‍दी हुई और सरकार ग्रामीणों के जमीन पर सिविल अधिकारों को सुनिश्‍चित करने के लिए रिकॉर्ड अपडेट करने को चकबन्‍दी करवाने की प्रक्रिया से अब भी क्यों बचना चाहती है।

(3) सिविल सोसायटी ने जेवर तहसील से आरटीआई एक्ट के तहत यह जानना चाह था, कि जैबर तहसील के कितने गांवों में 12 एकड़ से ज्‍यादा जमीन किसान हैं और इनमें से कितने ऐसे हैं जिनके द्वारा वर्ष 2014 के बाद से ग्रामीणों से जमीने खरीदी गई हैं।

(4) जेवर तहसील के तहत खेती की जमीन के उपायोग परिवर्तन के कितने मामले आए और उनमें से तहसील के द्वारा कितनों में अनुमति दी गई।

आरटीआई से नहीं आया कोई जवाब
लेकिन एक भी मामले में आरटीआई एक्‍ट के तहत तहसील से जवाब नहीं आया। ना ही इस संबध में की जाने वाली किसी कोशिश में कामयाबी की उम्‍मीद है। इसीलिए सिविल सोसायटी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में जनहित याचिका के माध्‍यम से उपरोक्त मुद्दों पर सरकार को जबान खोलने को विवश किया है। सिविल सोसायटी का कहना है कि हमारी मुख्‍य चिंता जेवर में भूमिहीन किसानों के पुनर्वास और उनके जीवन यापन के वैकल्‍पिक साधन को सुनिश्‍चत करवाने को लेकर है। इस सच्‍चाई से भी अपने को अलग नहीं मानते कि कि अगर सरकार की अदूदर्शिता पूर्ण कार्रवाहियों से जेवर से बड़ी संख्‍या में किसानों को अन्यत्र जाना पड़ा तो आगरा भी अपरोक्ष रूप से प्रभावित होगा।

हाईकोर्ट में डाली पिटीशन
जेवर में चकबन्‍दी करवाए जाने के प्रति शासन को उसका ध्‍यान आकर्षित करने के लिए सिविल सोसायटी के एडवोकेट अकलंक कुमा जैन ने चीफ जस्‍टिस कोर्ट में सिविल रिट पिटीशन पब्‍लिक इंट्रैस्‍ट दाखिल की है और संबधित पक्ष को नोटिस भी जारी किया जा चुका है। इस मौके पर शिरोमणि सिंह, राजीव सक्सेना और अनिल शर्मा ने मौजूद थे।