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किसानों ने कहा चाहे फांसी दे दो, शरीर के अंग बेचने की अनुमति दें लेकिन, अब मुकदमे नहीं झेल सकते

किसानों ने घेरा जिलाधिकारी कार्यालय, ट्रैक्टरों से पहुंचे और किया प्रदर्शन

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आगरा

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Abhishek Saxena

Aug 10, 2018

farmer protest

किसानों ने कहा चाहे फांसी दे दो, शरीर के अंग बेचने की अनुमति दें लेकिन, अब मुकदमे नहीं झेल सकते

आगरा। यमुना एक्सप्रेस वे के लिए जेपी ग्रुप द्वारा किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया था। किसान मार्च 2008 से लगातार आंदोलन कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि उनकी भूमि के मुआवजे का ग्रुप द्वारा 64 प्रतिशत मुआवजा दिलाया जाए। उन पर लगे सभी मुकदमे वापस कराए जाए। जेपी टाउनशिप को रद्द कर किसानों के नाम खसरा और खतौनी में दर्ज कराए जाए। यमुना एक्सप्रेस वे की सीबीआई जांच कराई जाए। इन मांगों को लेकर किसानों का प्रदर्शन शुक्रवार को भी जारी रहा। किसानों ने कलेक्ट्रेट पर जोरदार प्रदर्शन किया। मांग की कि प्रशासन चाहे तो उन्हें फांसी दे दे, उनके अंगों को निकालकर बेचने की अनुमति दे दे लेकिन, अब मुकदमा नहीं झेल सकते हैं।

शुक्रवार को छलेसर, बंगारा, गढ़ीरामी, चौगान, नगला गोला यमुना एक्सप्रेस वे इंटरचेंज आदि के किसान एकत्रित होकर ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल से कलेक्टेट पहुंचे। जिला मुख्यालय के गेट पर किसानों ने जमकर नारेबाजी की। जिलाधिकारी के कार्यालय में ना होने के चलते एसीएम तृतीय जब किसानों की समस्याएं सुनने आए तो उनसे बातचीत करने के लिए किसानों ने मना कर दिया। किसान जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर ही धरने पर बैठ गए। वहीं बताया गया कि जिलाधिकारी कार्यालय में मौजूद दो विधायक जब किसानों के प्रदर्शन के दौरान मौजूद थे तो किसानों का गुस्सा सातवे आसमान पर चढ़ गया। किसान डीएम ऑफिस से उठकर नारेबाजी करते हुआ मीटिंग हॉल के सामने पहुंच गए। यहां जिलाधिकारी ने एडीएम सिटी केपी सिंह को ज्ञापन लेने भेजा। लेकिन किसानों ने इंकार कर दिया। जिलाधिकारी एनजी रवि कुमार के साथ मीटिंग हॉल में किसानों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। मनोज शर्मा सर्वेस सिकरवार, श्याम सिंह चाहर, मोहन सिंह चाहर, राजपाल फौजी ने किसानों का पक्ष रखा। जिलाधिकारी ने कहा कि नौ साल से मामला लटका हुआ है और किसान परेशान हाल है। जिलाधिकारी को किसानों ने पूरा मामला समझाते हुए कहा कि अब उनकी स्थिति बहुत खराब है।

किसान बोले चाहे जो कर दो अब मुकदमा नहीं
किसानों ने कहा कि बच्चों में कुपोषण हो सकता है। भूख से भी किसी के परिवार में अनहोनी हो सकती है। प्रशासन चाहे तो किसानों को एक जगह पर एकत्रित कर गोली से मरवा सकते हैं। मिट्टी का तेल डालकर जला भी सकते हैं। फांसी भी दे सकते हैं। शरीर के अंग बेचने की अनुमति भी आप दे सकते हैं। लेकिन 80 मुकदमों को झेलने और खर्च करने की ताकत किसानों में नहीं बची है। जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया जल्द ही मीटिंग कर समस्या का समाधान करने की कोशिश की जाएगी।
ये रहे मौजूद
इस दौरान रामकिशन, रामबाबू, किशनस्वरूप गहलोत,रघुवीरसिंह, हरवीर सिंह, भीकम पाल, सुभाष उपाध्याय, सुरेंद्र यादव, हेतराम, शिवराम, मुकेश, छेदीलाल, रामवीर, नागेंद्र, लक्ष्मीनारायण, किशोर, शिवसिंह, वंशी, केशव, कुशलपाल, भोला, ललितवीर, दयालूसिंघ, नांदकिशोर, चंद्रपाल, एडवोकेट अजयचाहर, उदयवीर सिंह, नरेंद्र शर्मा, महिला नेत्री सावित्री देवी आदि उपस्थित थे।