
High Court
आगरा। ताजमहल के शहर आगरा में जहां कभी हाईकोर्ट था, आज वही आगरा High Court bench की लड़ाई लड़ रहा है। इस लड़ाई को एक दो वर्ष से नहीं, बल्कि पिछले पांच दशकों से अधिवक्ता लगातार लड़ते आ रहे हैं। इन वर्षों में जब भी चुनाव हुए, तो नेता आश्वासन लेकर अधिवक्ताओं और आगरा की जनता के बीच पहुंचे तो जरूर, लेकिन सत्ता में आने के बाद लौटकर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
आगरा में था High Court
दीवानी के अधिवक्ता मेघ सिंह यादव ने बताया कि 1866 से 1869 तक हाईकोर्ट आगरा में रहा, लेकिन जस्टिस कैम्बबैल ने आगरा में क्रांतिकारी गतिविधियों को देखते हुए यहां से हाईकोर्ट को अस्थायी तौर पर इलाहबाद शिफ्ट करने के लिए कहा था। जज की सिफारिश पर आगरा हाईकोर्ट को अस्थायी तौर पर इलाहबाद स्थानांतरित कर दिया गया था।
1966 में खुला राज
वरिष्ठ अधिवक्ता राजवीर सिंह ने बताया कि अधिवक्ताओं को मालूम भी नहीं था कि आगरा में हाईकोर्ट रहा है, लेकिन 1966 में ये राज खुला तो यहां हाईकोर्ट बेंच की स्थापना के लिए आवाज उठाई गई। 1966 में जब हाईकोर्ट की 100वीं वर्षगांठ आगरा में मनाई गई, तब यहां के अधिवक्ताओं की आंखे खुलीं। आखिर हाईकोर्ट की स्थापना को लेकर आगरा में जश्न क्यों मनाया गया, यह सवाल अधिवक्ताओं के दिमाग में घूमा। सोेच विचार शुरू हो गया। पूरे मामले में आगरा के अधिवक्ताओं ने जांच पड़ताल करना शुरू कर दी। पुराने रिकार्ड खंगाले गए। जिसके बाद यह मालूम पड़ा कि हाईकोर्ट तो आगरा में ही था। इसे अस्थायी तौर पर इलाहबाद स्थानांतरित किया गया था।
तीन दिन के जश्न में डूबा था आगरा
दीवानी के वरिष्ठ अधिवक्ता करतार सिंह भारती ने बताया कि हाईकोर्ट की 100 वीं वर्षगांठ के अवसर पर आगरा में जश्न मनाने का फैसला लिया गया। आगरा ही नहीं, इस तीन दिवसीय भव्य आयोजन में इलाहबाद हाईकोर्ट के जजों ने भी शिरकत की। पूरा आगरा तीन दिन तक इस भव्य जश्न का गवाह बना। आगरा के अधिवक्ता भी बेहद प्रसन्न थे कि इतने भव्य आयोजन के लिये आगरा दीवानी को चुना गया। लेकिन ये खुशी काफूर उस समय हो गई, जब अधिवक्तओं को पता चला कि हाईकोर्ट तो आगरा का है, उनसे छलावा किया जा रहा है।
इंदिरा गांधी से मिले थे अधिवक्ता
वरिष्ठ अधिवक्ता दुर्गविजय सिंह भैया का कहना है कि उस समय एक प्रतिनिधिमंडल जाने माने अधिवक्ता प्रताप सिंह चतुर्वेदी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिला था। प्रताप सिंह काफी वरिष्ठ और उम्रदराज थे, जिसके चलते उन्होंने प्रधानमंत्री से बिटिया कहकर संबोधन करते हुए कहा था कि क्यों भूल गई हो कि मोतीलाल नेहरू ने भी आगरा में ही वकालत की थी। व्यंग्य कसते हुए उन्होंने कहा था कि यदि आनंद भवन आगरा में होता, तो हाईकोर्ट भी आगरा में ही होता।
जसंवत सिंह आयोग का हुआ गठन
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रताप सिंह की प्रधानमंत्री से इस मुलाकात के बाद 1982 में जसवंत सिंह आयोग का गठन हुआ। 1984 में आयोग की रिपोर्ट आई, जिसमें आगरा को होईकोर्ट बेंच के लिए उचित स्थान बताया गया।
आगरा हक मिलना चाहिए
वरिष्ठ अधिवक्ता करतार सिंह भारती ने बताया कि हाईकोर्ट आगरा में था। अब तो आगरा हाईकोर्ट बैंच के रूप में महज एक टुकड़ा मांग रहा है। इतना तो आगरा का हक बनता है। अधिवक्ता मेघ सिंह यादव ने बताया कि यहां क्रांतिकारी गतिविधियों को देखते हुए हाईकोर्ट बैंच को शिफ्ट किया गया था। ये तो गौरव की बात है कि यहां आजादी की दीवानगी इतनी अधिक थी, कि ब्रिटिश हुकूमत घबरा गई थी। इसके इनाम स्वरूप आगरा को हाईकोर्ट बैंच का तोहफा तो मिलना ही चाहिए।
Published on:
24 Jul 2019 03:23 pm
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