18 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

होली 2019: जानिए मीन खरमास में क्यों नहीं होता कोई मांगलिक कार्य

लग गए मीन खरमास, 14 अप्रैल तक नहीं होंगे मांगलिक कार्य, बृज में होली की विशेष महत्तवता

2 min read
Google source verification

आगरा

image

Abhishek Saxena

Mar 17, 2019

Kharmas, Kharmas In Hindu Granth, Kharmas Time, Kharmas Date, Kharmas Tithi, Kharmas Ganda Moola Rashifal, Kharmas Kaal, Malmas, Kharmas 2019, Malmas 2019, Kharmas Malmas 2019, 2019 Kharmas, 2019 Malmas, Marriage Ceremony, Wedding Muhurat, Kharmas Kaal, Makar Rashi, Dhanu Rashi, Kharmas Ganda mool, Kharmas Kya Hai, Kharmas me Kya Kare, Kharmas Me Kya Na Kare, Surya, Lord Surya, Guru Brahaspati, Surya Rashi, Brahaspati Rashi Parivartan, Kharmas 2019 March, Kharmas 2019 Time, Kharmas 2019 date

kharmas

आगरा। मीन खर मास आरम्भ हो चुका है, जो कि 14 अप्रैल तक रहेगा वैदिक हिन्दू ज्योतिष महूर्त प्रणाली के अनुसार 15 अप्रैल 2019 से फिर शुभ कार्यों का सम्पादन आरम्भ हो जाएगा। ये मानना है ज्योतिषाचार्य और वैदिक सूत्रम के चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम का।

जानिए क्या है खरमास
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि खर मास प्रत्येक शुभ कार्यों के लिए पूरी तरह वर्जित माना जाता है। सूर्य देव मासिक राशि परिवर्तन के दौरान जब-जब देवगुरु बृहस्पति ग्रह की राशि धनु और मीन राशि पर प्रति वर्ष जब एक माह तक रहते हैं तब उसे वैदिक हिन्दू पंचांग के अनुसार खर मास कहा जाता है। प्रति वर्ष 15 दिसंबर से लेकर 14 जनवरी तक अर्थात मकर संक्रांति तक धनु खर मास होता है, इसके साथ ही दूसरा खर मास प्रति वर्ष देवगुरु बृहस्पति ग्रह की दूसरी राशि मीन पर जब सूर्य देव गोचरीय ग्रह चाल में एक माह तक रहते हैं। तब उसे मीन खर मास कहा जाता है।


खर मास में निषेध होते हैं सभी शुभ कार्य
वैदिक सूत्रम चेयरमैन भविष्यवक्ता पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि खर मास में सभी प्रकार के हवन, विवाह चर्चा, गृह प्रवेश, भूमि पूजन, द्विरागमन, यज्ञोपवीत, विवाह या अन्य हवन कर्मकांड आदि तक का निषेध है। सिर्फ भागवत कथा या रामायण कथा का सामूहिक श्रवण ही खर मास में किया जाता है। ब्रह्म पुराण के अनुसार, खर मास में मृत्यु को प्राप्त व्यक्ति नर्क का भागी होता है। दिव्य आत्माओं का शरीर त्याग अगर खर मास के दौरान हो जाता है तो उसकी गणना सत्कर्मी में नहीं होती क्योंकि उसके मृत्युपरान्त संस्कार में न केवल परिजन बल्कि रिश्तेदार भी कडक ठंड में विचलित हो जाते हैं।

महाभारत में है इसकी पुष्टि
इस बात की पुष्टि महाभारत में होती है कि जब खर मास के अन्दर अर्जुन ने भीष्म पितामह को धर्म युद्ध में बाणों की शैया से भेध दिया था। सैकड़ों बाणों से विद्ध हो जाने के बावजूद भी भीष्म पितामह ने अपने प्राण नहीं त्यागे। प्राण नहीं त्यागने का मूल कारण यही था कि अगर वह इस खर मास में प्राण त्याग करते हैं तो उनका अगला जन्म नर्क की ओर जाएगा।