आजमगढ़ के मूल निवासी व अभी ऑस्ट्रेलिया में मैटेलिक रिसर्च के अरबपति डॉ. टी हसन कहते हैं कि तीस साल बाद लौट हैं, जब गए थे तब तो लौटने का मन भी नहीं था। हां, याद तो वतन की आती ही थी। बीच में शायरों की भूमि आजमगढ़ के बारे में कड़वी खबरें सुनकर मन और खराब हो जाता था। सरकार के निमंत्रण पर इस बार आए हैं तो मन बदला है। वहां भी इतनी साल रहने के बाद भी अजनबीपन लगता है, क्योंकि एक हजार में केवल दस ही अपने जैसे दिखते हैं। अपनापन तो तब आए, जब सब कम से कम अपने जैसे दिखें। इसलिए परिवार से विमर्श कर इंडिया लौटने का मन बना रहे हैं।