
PM Narendra Modi
आगरा। लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारी राजनीतिक दल ही नहीं, किसान भी कर रहे हैं। राजनीतिक दलों को सत्ता में आना है, तो किसानों को अपना ऋण माफ करवाना है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने किसानों का ऋण माफ किया था। किसानों को आशा है कि लोकसभा चुनाव में भी कोई न कोई पार्टी ऋण माफी की घोषणा करेगी। इसके चलते किसान सहकारी समितियों का ऋण नहीं चुका रहे हैं। इससे ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि अगर ऋण माफी की घोषणा नहीं की तो किसान भाजपा सरकार पर भारी पड़ सकते हैं।
किसानों को आस
रबी और खरीफ की फसल करने के लिए किसानों को सहकारी समितियों के माध्यम से ऋण दिया जाता है। इसका उपयोग खाद, बीज और कीटनाशकों की खरीद में किया जाता है। फसल आने पर ऋण चुका दिया जाता है। यह क्रम फसल दर फसल चलता रहता है। जो किसान ऋण नहीं देते हैं, उनके पीछे सहकारी अमीन पड़ते हैं। किसान बचते घूमते हैं। इस बार दृश्य पलट गया है। किसानों ने सहकारी समितियों के 47.36 करोड़ रुपये दबा लिए हैं। वे अमीनों से कह रहे हैं कि चुनाव आने वाले हैं, ऋण माफ हो जाएगा। कोई अमीन ज्यादा पैसा जमा करने के लिए शोर मचाता है, तो उसे देख लेने की धमकी दी जाती है।
क्या कहते हैं आंकड़े
एक जुलाई 2017 से 30 जून 2018 तक के बकाया और वसूली पर नजर डालें तो स्थिति साफ हो जाती है।
कुल धनराशि वसूली जानी थी- 11509.48 लाख रुपये
कुल धनराशि वसूली गई- 6772.48 लाख रुपये
वसूली के लिए बकाया राशि- 4736.6 करोड़ रुपये
पूरी दम लगाने के बाद भी वसूली 58.84 फीसदी हुई है। पहले 70-75 फीसदी वसूली हुआ करती थी। ऋण माफी के दौर में 15.91 फीसदी वसूली हुई थी।
क्या है व्यवस्था
जिले में 100 सहकारी समितियां हैं। इनसे हजारों किसान जुड़े हुए हैं। बकाएदार किसानों से वसूली के लिए 26 अमीन हैं। इनमें से तीन स्थाई और 23 अस्थाई हैं। अस्थाई अमीनों को वसूली गई धनराशि से कमीशन दिया जाता है। अगस्त से मार्च तक वसूली गई धनराशि का छह फीसदी और अप्रैल से जुलाई तक वसूली गई धनराशि का चार फीसदी कमीशन मिलता है। कमीशन के चक्कर में अमीन किसानों के चक्कर काटते हैं। धमकाते हैं। जो कमजोर हैं, वे तो पैसे जमा कर रहे हैं, लेकिन बड़े किसान आंखें दिखाते हैं।
क्या है समस्या
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पूर्व भारतीय जनता पार्टी ने एक लाख रुपये तक का कृषि ऋण माफ करने की घोषणा की थी। 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं। किसानों को आस है कि फिर से कृषि ऋण माफ होगा। इसलिए चालाक किसान सहकारी समितियों का ऋण अदा नहीं कर रहे हैं। अगर वसूली के लिए अमीन किसान के अधिक चक्कर लगाता है तो उसे डांट दिया जाता है। पहले किसान अमीन को देखकर छुप जाता था। अमीन विजय गोयल का कहना है कि हम वसूली के लिए किसानों का उत्पीड़न नहीं कर सकते हैं। राजस्व विभाग की ओर से लिखित में भी आदेश आया हुआ है। एक लाख रुपये से कम के बकाएदार किसान से भी निवेदन ही कर सकते हैं।
क्या कहते हैं किसान नेता
भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष मोहन सिंह चाहर का कहना है कि ऋण माफी समस्या का समाधान नहीं है। फसल पर लागत को दोगुना मूल्य मिलने की गारंटी हो जाए तो कोई समस्या नहीं रहेगी। अधिकांश किसान ऋण लौटा रहे हैं। थोड़ी समस्या तो हर जगह होती है। वहीं फतेहाबाद के किसान अजब सिंह का कहना है कि ऋण माफी की आशा करने में बुराई क्या है। नेता हमारे वोट पर मजे मारते हैं और किसान दिन रात खपता है। आंधी तूफान में फसल बर्बाद हो जाती है।
सहकारी समिति के सचिव ने क्या कहा
पत्रिका को संजय प्लेस स्थित विकास भवन में मिले साधन सहकारी समिति फूलपुर (शमसाबाद) के सचिव ओम प्रकाश शर्मा। उन्होंने बताया कि समिति में 364 सदस्य हैं। 2.74 करोड़ रुपये की मांग के विपरीत 2.30 करोड़ रुपये वसूले गए हैं। हमने किसानों को समझाया है कि ऋण माफी के चक्कर में न पड़े। अगर बकाया नहीं देंगे तो अगली फसल के लिए ऋण नहीं मिलेगी। वैसे भी हमारी समिति में शत प्रतिशत वसूली होती है। सभी किसान अच्छे हैं। कुछ समितियां ऐसी हैं, जिनकी वसूली 10 फीसदी भी नहीं है।
सहकारी समिति के सचिव ने क्या कहा
पत्रिका को संजय प्लेस स्थित विकास भवन में मिले साधन सहकारी समिति फूलपुर (शमसाबाद) के सचिव ओम प्रकाश शर्मा। उन्होंने बताया कि समिति में 364 सदस्य हैं। 2.74 करोड़ रुपये की मांग के विपरीत 2.30 करोड़ रुपये वसूले गए हैं। हमने किसानों को समझाया है कि ऋण माफी के चक्कर में न पड़े। अगर बकाया नहीं देंगे तो अगली फसल के लिए ऋण नहीं मिलेगी। वैसे भी हमारी समिति में शत प्रतिशत वसूली होती है। सभी किसान अच्छे हैं। कुछ समितियां ऐसी हैं, जिनकी वसूली 10 फीसदी भी नहीं है।
Updated on:
17 Jul 2018 04:05 pm
Published on:
17 Jul 2018 09:58 am
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