
आगरा में मेट्रो ट्रैक पर दौड़ी
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा डिपो परिसर में आगरा मेट्रो ट्रेन की टेस्टिंग शुरू कर दी गई है। शुरुआत में 700 मीटर लंबे टेस्ट ट्रैक पर मेट्रो ट्रेनों की टेस्टिंग की जा रही है। यूपी मेट्रो के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने आगरा वासियों को निर्धारित समय से पहले मेट्रो सेवा प्रदान करने के लिए तेज गति के साथ आगरा मेट्रो रेल परियोजना पर काम करने की बात कही है।
सभी सुविधाओं से लैस है मेट्रो ट्रेन
निदेशक सुशील कुमार ने बताया कि आगरा की मेट्रो ट्रेन अत्याधुनिक यात्री सुविधाओं से लैस है और आगरा के लोगों के लिए एक सुविधाजनक, सुरक्षित, प्रदूषणमुक्त एवं किफायती यात्रा का साधन होंगी। उन्होंने कहा कि आगरा मेट्रो ट्रेनें थर्ड रेल प्रणाली पर काम करेंगी। इस प्रणाली में पारुंपरिक तौर पर प्रयोग होने वाली ओएचई (ओवर हेड इक्युपमेंट) प्रणाली की जगह पर पटरियों के समानांतर एक तीसरी रेल (पटरी) का प्रयोग किया जाता है।
नहीं दिखेगा तारों का जाल
बता दें कि ओएचई प्रणाली में ट्रैक के ऊपर तारों का प्रयोग किया जाता है। इस प्रणाली में ट्रेनें छत पर लगे पैंटोग्राफ के द्वारा ओएचई लाइन से उर्जा लेकर चलती हैं। वहीं, थर्ड रेल प्रणाली में ट्रेनें ट्रैक के समानांतर बिछाई गई तीसरी पटरी से ऊर्जा लेकर चलती हैं। 750 वोल्ट डीसी करंट पर चलने वाली आगरा मेट्रो ट्रेनें संचालन हेतु थर्ड रेल का प्रयोग करेंगी। इस प्रणाली में कॉरिडोर के ऊपर कोई तार न होने की वजह से आगरा मेट्रो कॉरिडोर बेहद आकर्षक नजर आएगा।
ऐलिवेटिड भाग में 3 कि.मी से अधिक ट्रैक तैयार
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा आगरा मेट्रो प्रयॉरिटी कॉरिडोर के एलिवेटिड भाग में तेज गति के साथ ट्रैक बिछाने का काम किया जा रहा है। यूपी मेट्रो ने ऐलिवेटिड भाग में ताज ईस्ट गेट से फतेहाबाद रोड मेट्रो स्टेशन के बीच में अबतक अप-डाउन ट्रैक को मिलाकर 3 कि.मी से अधिक ट्रैक बिछाने का काम पूरा कर लिया गया है। यूपी मेट्रो द्वारा मेन लाइन पर हेड हार्डेंड रेल का प्रयोग करते हुए बैलास्टलैस ट्रैक बिछाया जा रहा है। वहीं, डिपो परिसर में बैलास्टिड ट्रैक बिछाने का काम पहले ही पूरा किया जा चुका है।
सुरक्षित है ट्रैक पर सफर
बता दें कि रेलवे की तुलना में मेट्रो प्रणाली में पटरियों पर गाड़ियों का आवागमन अधिक होता है, यहां मेट्रो रेल औसतन पांच मिनट के अंतर पर चलती हैं। ऐसे में तेजी से ट्रेन की स्पीड पकड़ने और ब्रेक लगाने की स्थिति में ट्रेन के पहिये और पटरी के बीच अधिक घर्षण होता है। जिसके कारण सामान्य रेल जल्दी घिस सकती है जिससे पटरी टूटने, क्रेक आदि समस्या आ सकती है, लेकिन हेड हार्डेंड रेल के अधिक मजबूत होने के कारण ऐसी कोई समस्या नहीं आती है।
वायाडक्ट में ट्रैक बिछाने के लिए सबसे पहले क्रेन की मदद से ऑटोमेटिक ट्रैक वेल्डिंग मशीन को वायाडक्ट में पहुंचाया जाता है। इसके बाद पटरी के भागों को वेल्डिंग के जरिए जोड़कर लॉन्ग वेल्डिड रेल बनाई जाती है। इसके बाद वायाडक्ट में प्लिंथ बीम की कास्टिंग कर उस पर लॉन्ग वेल्डिड रेल बिछाई जाती है। लॉन्ग वेल्डिड रेल के प्रयोग से ट्रैक पर ट्रेन के चलने से होने वाले ध्वनि प्रदूषण में कमी आती है। वहीं, बैलास्टिड ट्रैक के लिए समतल भूमि पर गिट्टी एवं कॉन्क्रीट के स्लीपरों पर पटरी बिछाई जाती हैं।
ट्रैक चेंज करने को बने क्रास ओवर
आगरा मेट्रो प्रायॉरिटी कॉरिडोर के ऐलिवेटिड भाग में ट्रेन के ट्रैक बदलने हेतु ताज ईस्ट गेट एवं फतेहाबाद रोड मेट्रो स्टेशन पर क्रॉसओवर बनाए गए हैं। यात्री सेवाओं के दौरान मेट्रो ट्रेनें इन क्रॉसओवर के जरिए ट्रैक बदलेंगी। प्रथम कॉरिडोर में ताज ईस्ट गेट पहला मेट्रो स्टेशन हैं ऐसे में जब सिकंदरा से ताज ईस्ट गेट आने वाली ट्रैन क्रॉसओवर का प्रयोग करके पुन: सिकंदरा जाने के लिए निर्धारित प्लेटफॉर्म पर जाएगी। वहीं, फतेहाबाद रोड स्टेशन पर स्थित क्रॉसओवर का प्रयोग डिपो लाइन एवं मेन लाइन के बीच आवागमन के लिए किया जाएगा।
पूरी तरह आत्मनिर्भर है मेट्रो ट्रेन
आगरा मेट्रो ट्रेन का निर्माण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मुहिम 'आत्मनिर्भर भारत' एवं 'मेक इन इडिंया' के तहत गुजरात के सावली में स्थित मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट में किया जा रहा है। वहां से बनकर अबतक तीन मेट्रो ट्रेनें आगरा आ चुकी हैं, जिनकी टेस्टिंग आगरा मेट्रो डिपो में की जा रही है।
दो कारीडोर पर चलेगी मेट्रो
गौरतलब है कि ताजनगरी में 29.4 किमी लंबे दो कॉरिडोर का मेट्रो नेटवर्क बनना है, जिसमें 27 स्टेशन होंगे। ताज ईस्ट गेट से सिकंदरा के बीच 14 किमी लंबे पहले कॉरिडोर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है । इस कॉरिडोर में 13 स्टेशनों का निर्माण होगा। जिसमें 6 एलीवेटिड जबकि 7 भूमिगत स्टेशन होंगे। इस कॉरिडोर के लिए पीएसी परिसर में डिपो का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही आगरा कैंट से कालिंदी विहार के बीच लगभग 16 कि.मी. लंबे दूसरे कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा, जिसमें 14 ऐलीवेटेड स्टेशन होंगे।
आगरा मेट्रो ट्रेनों की विशेषताएँ
1. इन ट्रेनों में ‘रीजेनरेटिव ब्रेकिंग’ का फ़ीचर होगा, जिसकी मदद से ट्रेनों में लगने वाले ब्रेक्स के माध्यम से 35% तक ऊर्जा को रीजेनरेट करके फिर से सिस्टम में इस्तेमाल कर लिया जाएगा। वायु-प्रदूषण को कम करने के लिए इन ट्रेनों में अत्याधुनिक ‘प्रॉपल्सन सिस्टम’ भी मौजूद होगा।
2. इन ट्रेनों में कार्बन-डाई-ऑक्साइड सेंसर आधारित एयर कंडीशनिंग सिस्टम होगा, जो ट्रेन में मौजूद यात्रियों की संख्या के हिसाब से चलेगा और ऊर्जा की बचत करेगा।
3. ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेशन को ध्यान में रखते हुए ये ट्रेनें संचारित आधारित ट्रेन नियंत्रण प्रणाली से चलेंगी।
4. आगरा मेट्रो की ट्रेनों की यात्री क्षमता 974 यात्रियों की होगी।
5. इन ट्रेनों की डिज़ाइन स्पीड 90 किमी./घंटा और ऑपरेशन स्पीड 80 किमी./घंटा तक होगी।
6. ट्रेन के पहले और आख़िरी कोच में दिव्यांगजनों की व्हीलचेयर के लिए अलग से जगह होगी। व्हीलचेयर के स्थान के पास ‘लॉन्ग स्टॉप रिक्वेस्ट बटन’ होगा, जिसे दबाकर दिव्यांगजन ट्रेन ऑपरेटर को अधिक देर तक दरवाज़ा खुला रखने के लिए सूचित कर सकते हैं ताक़ी वे आराम से ट्रेन से उतर सकें।
7. ट्रेनों में फ़ायर एस्टिंग्यूशर (अग्निशमन यंत्र), स्मोक डिटेक्टर्स और सीसीटीवी कैमरे आदि भी लगें होंगे।
8. आगरा मेट्रो ट्रेनें थर्ड रेल यानी पटरियों के समानान्तर चलने वाली तीसरी रेल से ऊर्जा प्राप्त करेंगी, इसलिए इसमें खंभों और तारों के सेटअप की आवश्यकता नहीं होगी और बुनियादी ढाँचा बेहतर और सुंदर दिखाई देगा।
9. इन ट्रेनों को अत्याधुनिक फ़ायर और क्रैश सेफ़्टी के मानकों के आधार पर डिज़ाइन किया गया है।
10. हर ट्रेन में 24 सीसीटीवी कैमरे होंगे, जिनका विडियो फ़ीड सीधे ट्रेन ऑपरेटर और डिपो में बने सेंट्रल सिक्यॉरिटी रूम में पहुँचेगा।
11. हर ट्रेन में 56 यूएसबी (USB) चार्जिंग पॉइंट्स भी होंगे।
12. इन्फ़ोटेन्मेंट के लिए हर ट्रेन में 36 एलसीडी पैनल्स भी होंगे।
13. टॉक बैक बटन: इस बटन को दबाकर यात्री आपात स्थिति में ट्रेन ऑपरेटर से बात कर सकते हैं। यात्री की लोकेशन और सीसीटीवी का फ़ुटेज सीधे ट्रेन ऑपरेटर के पास मौजूद मॉनीटर पर दिखाई देगा।
Published on:
03 May 2023 06:03 pm
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