मां बाप की इकलौती बेटी ने ठानी किसानी
शारदा देवी का जन्म 1965 में सिकतरा में हुआ था। शारदा के पिता आराम सिंह सिकतरा उप डाकर में प्राइवेट नौकरी करते थे और मां त्रिवेणी देवी ग्रहणी थी। अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। शारदा के पिता के पास एक हेक्टेयर जमीन थी शारदा जब छोटी थी, तब माता पिता अक्सर खेत पर साथ लेकर जाया करते थे। शारदा के मन भी खेती करने लगन थी और बचपन के समय अपने माता पिता के साथ खेती मे हाथ बंटाती थीं। सन 1982 मे शारदा देवी की शादी एतमादपुर तहसील के ग्राम सेहफूट मे हुई। शादी के कुछ माह बाद पति कुंवर पल सिंह की उत्तर प्रदेश पुलिस में नौकरी लग गई। ससुराल में शारदा ने अपने सास भागवती देवी ससुर गीतम सिंह और जेठ अतर सिंह के साथ खेत में खूब हाथ बताया। पति के दो भाई राम बाबू लखन सिंह सरकारी नौकरी में कार्यरत थे। शारदा देवी ने सन् 2001 से फसल उगाना प्रारंभ किया। 2001 में रासायनिक विधि से फसल उगाई। लेकिन पैदावार अच्छी नहीं हुई शारदा देवी के मन में कुछ नया करने की थी। सन 2002 मे जैविक खाद्य वर्मी कंपोस्ट खाद्य विधि से फसल उगाई। लेकिन, लगातार दो वर्ष फसल की पैदावार मे गिरावट आई । लगातार दो वर्ष फसल की पैदावार मे गिरावट आने से थोड़ा मन कमजोर हुआ लेकिन, हिम्मत नहीं हारी और लगातार जैविक फसल से फसल उगाना प्रारंभ कर दिया दो वर्ष बाद लगातार फसल मे बढ़ोतरी होने लगी बढ़ोत्तरी होने पर लगन बढ़ गई और सन 2011 2012 में एक हेक्टेयर में खेत में 29-60 कुंतल बाजार पैदा किया।
शारदा देवी का जन्म 1965 में सिकतरा में हुआ था। शारदा के पिता आराम सिंह सिकतरा उप डाकर में प्राइवेट नौकरी करते थे और मां त्रिवेणी देवी ग्रहणी थी। अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। शारदा के पिता के पास एक हेक्टेयर जमीन थी शारदा जब छोटी थी, तब माता पिता अक्सर खेत पर साथ लेकर जाया करते थे। शारदा के मन भी खेती करने लगन थी और बचपन के समय अपने माता पिता के साथ खेती मे हाथ बंटाती थीं। सन 1982 मे शारदा देवी की शादी एतमादपुर तहसील के ग्राम सेहफूट मे हुई। शादी के कुछ माह बाद पति कुंवर पल सिंह की उत्तर प्रदेश पुलिस में नौकरी लग गई। ससुराल में शारदा ने अपने सास भागवती देवी ससुर गीतम सिंह और जेठ अतर सिंह के साथ खेत में खूब हाथ बताया। पति के दो भाई राम बाबू लखन सिंह सरकारी नौकरी में कार्यरत थे। शारदा देवी ने सन् 2001 से फसल उगाना प्रारंभ किया। 2001 में रासायनिक विधि से फसल उगाई। लेकिन पैदावार अच्छी नहीं हुई शारदा देवी के मन में कुछ नया करने की थी। सन 2002 मे जैविक खाद्य वर्मी कंपोस्ट खाद्य विधि से फसल उगाई। लेकिन, लगातार दो वर्ष फसल की पैदावार मे गिरावट आई । लगातार दो वर्ष फसल की पैदावार मे गिरावट आने से थोड़ा मन कमजोर हुआ लेकिन, हिम्मत नहीं हारी और लगातार जैविक फसल से फसल उगाना प्रारंभ कर दिया दो वर्ष बाद लगातार फसल मे बढ़ोतरी होने लगी बढ़ोत्तरी होने पर लगन बढ़ गई और सन 2011 2012 में एक हेक्टेयर में खेत में 29-60 कुंतल बाजार पैदा किया।
देशभक्ति ने जगाई उम्मीद
प्रारम्भ से ही देश भक्ति थी शारदा। शारदा के अंदर बचपन से देश भक्ति की
लगन थी। सन 2001 में शारदा रेडियो पर ,एक गाना सुन रही थी तभी,एक गाने ने उनकी जिंदगी बदल दी। मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती मेरे देश की धरती। सन 2001 में शारदा रेडियो पर शाम के समय ,के समय गाना सुन रही थी जैसे ही मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती मेरे देश की धरती सुना तो इसके साथ भावुक हो गई और सोचने लगी आखिर इस गाने की सच्चाई क्या है। बस वहीं से यहा बदल गई जिंदगी और निरंतर पति के साथ फसल उगाना प्रारभ कर दिया। सन 2011-12 में एक हेक्टेयर भूमि मे 29-60 कुन्तल बाजरा की फसल पैदा की। जिसकी सूचना उद्यान विभाग को दी। विभाग द्वारा शारदा देवी का नाम चयनित कर राज्य और केंद्र सरकार को भेजा गया। केंद्र सरकार बुलावे पर शारदा दिल्ली पहुंची और 15 जनवरी को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और कृषि मंत्री शारद पवार ने शारदा को ,क लाख रुपये और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।
प्रारम्भ से ही देश भक्ति थी शारदा। शारदा के अंदर बचपन से देश भक्ति की
लगन थी। सन 2001 में शारदा रेडियो पर ,एक गाना सुन रही थी तभी,एक गाने ने उनकी जिंदगी बदल दी। मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती मेरे देश की धरती। सन 2001 में शारदा रेडियो पर शाम के समय ,के समय गाना सुन रही थी जैसे ही मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती मेरे देश की धरती सुना तो इसके साथ भावुक हो गई और सोचने लगी आखिर इस गाने की सच्चाई क्या है। बस वहीं से यहा बदल गई जिंदगी और निरंतर पति के साथ फसल उगाना प्रारभ कर दिया। सन 2011-12 में एक हेक्टेयर भूमि मे 29-60 कुन्तल बाजरा की फसल पैदा की। जिसकी सूचना उद्यान विभाग को दी। विभाग द्वारा शारदा देवी का नाम चयनित कर राज्य और केंद्र सरकार को भेजा गया। केंद्र सरकार बुलावे पर शारदा दिल्ली पहुंची और 15 जनवरी को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और कृषि मंत्री शारद पवार ने शारदा को ,क लाख रुपये और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।
विभाग ने नहीं की मदद
एक तरफ भारतीय किसान नारी शारदा देवी को भारत मे जैविक विधि द्वारा सबसे अधिक बाजरा की फसल उगाने पर तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा दिल्ली बुलाकर सम्मानित किया था। लेकिन उद्यान विभाग से शारदा को निराशा हाथ लगी। शारदा देवी ने जिस समय खेती के लिए कदम रखा था गांव के लोग मजाक उड़ाते थे। लेकिन, शारदा ने पति के सहयोग से अत्यधिक बाजरा की फसल उगा इतिहास रच दिया। इसी सोच को लेकर शारदा देवी ने अपनी जमीन मे आंवला का पौध रोपण किया पहली वर्ष फसल की उगाई सही हुई लेकिन, दो वर्ष बाद से आंवला के पेड़ कीटनाशक बीमारी का शिकार लगे रोक थाम के लिए हर संभव प्रयास किया गया । लेकिन बीमारी नहीं रुकी बीमारी को लेकर शारदा अपने पति के साथ उद्यान विभाग के चक्कर लगाना शुरू किया लेकिन, वहां तैनात कर्मचारी ने ऐसा जवाब दे दिया कि पैरो तले जमीन खिसक गई। इस वर्ष शारदा देवह ने साढ़े बारह बीघा खेत में बाजरा की फसल उगाई थी, अनुमानित दो कुन्तल प्रति बीघा की उम्मीद है। गांव के अन्य लोग शारदा के फसल उगाने के तरीके से प्रभावित हुए, लेकिन विभागीय अनदेखी के चलते फसल उगाना उचित नहीं समझा।
एक तरफ भारतीय किसान नारी शारदा देवी को भारत मे जैविक विधि द्वारा सबसे अधिक बाजरा की फसल उगाने पर तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा दिल्ली बुलाकर सम्मानित किया था। लेकिन उद्यान विभाग से शारदा को निराशा हाथ लगी। शारदा देवी ने जिस समय खेती के लिए कदम रखा था गांव के लोग मजाक उड़ाते थे। लेकिन, शारदा ने पति के सहयोग से अत्यधिक बाजरा की फसल उगा इतिहास रच दिया। इसी सोच को लेकर शारदा देवी ने अपनी जमीन मे आंवला का पौध रोपण किया पहली वर्ष फसल की उगाई सही हुई लेकिन, दो वर्ष बाद से आंवला के पेड़ कीटनाशक बीमारी का शिकार लगे रोक थाम के लिए हर संभव प्रयास किया गया । लेकिन बीमारी नहीं रुकी बीमारी को लेकर शारदा अपने पति के साथ उद्यान विभाग के चक्कर लगाना शुरू किया लेकिन, वहां तैनात कर्मचारी ने ऐसा जवाब दे दिया कि पैरो तले जमीन खिसक गई। इस वर्ष शारदा देवह ने साढ़े बारह बीघा खेत में बाजरा की फसल उगाई थी, अनुमानित दो कुन्तल प्रति बीघा की उम्मीद है। गांव के अन्य लोग शारदा के फसल उगाने के तरीके से प्रभावित हुए, लेकिन विभागीय अनदेखी के चलते फसल उगाना उचित नहीं समझा।
नहीं हुआ मृदा परीक्षण
शारदा देवी के पति कुमरपाल सिंह ने बताया कि वाचन 2010 और 11 में अच्छी फसल की पैदावार के लिए मृदा परीक्षण कराने के लिए एत्मादपुर स्थित कृषि केंद्र गए थे। वहां मृदा देने के बाद उनको परीक्षण कर नहीं बताया गया। कई दफा जाने के बाद भी उनको कृषि विभाग द्वारा परीक्षा मृदा परीक्षण जांच की रिपोर्ट नहीं दी गई, इससे वह पूरी तरह आहत हो गए।
शारदा देवी के पति कुमरपाल सिंह ने बताया कि वाचन 2010 और 11 में अच्छी फसल की पैदावार के लिए मृदा परीक्षण कराने के लिए एत्मादपुर स्थित कृषि केंद्र गए थे। वहां मृदा देने के बाद उनको परीक्षण कर नहीं बताया गया। कई दफा जाने के बाद भी उनको कृषि विभाग द्वारा परीक्षा मृदा परीक्षण जांच की रिपोर्ट नहीं दी गई, इससे वह पूरी तरह आहत हो गए।