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पितृ पक्ष अमावस्या 2017: श्राद्ध विसर्जन करने का सबसे शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

Pitra Visarjan मूलतः पितृपक्ष की समापन बेला है। मान्यता है कि पितृपक्ष में पितृ धरा पर उतरते हैं । 

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आगरा

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Dhirendra yadav

Sep 19, 2017

आगरा। Pitru Paksha अमावस्या यानि पितरों को विदा करने का अंतिम दिन। पितृ पक्ष करीब 15 दिन चल रहा रहा था। इस दौरान लोग अपने पितरों की शान्ति के लिए पिंड दान, तर्पण और उनके निमित्त किए जाने वाले श्राद्ध को पूरी श्रद्धा से करते हैं। ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि पितृ ऋण से मुक्त होने के लिए अपने माता-पिता व परिवार के मृतकों के निमित्त श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध करके उन्हें खुश किया जाता है और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है।


अंतिम दिन जरूर करें ये काम
धर्म ग्रंथों के अनुसार श्राद्ध के 16 दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्यु तिथि पर श्राद्ध करते हैं। ऐसी मान्यता है कि पितरों का कर्ज श्राद्ध द्वारा ही चुकाया जा सकता है। जिसके लिए हिंदू धर्म के कई तरह की पूजा करने का प्रावधान है। श्राद्ध का तात्पर्य श्रद्धाभिव्यक्ति परक कर्म हैं जो देवात्माओं, महापुरुषों, ऋषियों, गुरुजनों और पितर पुरुषों की प्रसन्नता के लिए किए जाते हैं। वार्षिक श्राद्ध भी जो किए जाते हैं, उसमें श्रद्धाभाव का, पितृ पुरुषों के उपकारों के लिए उनके प्रति आभार व्यक्त करने की भक्ति भावना प्रदर्शित करने का प्रयत्न किया जाता है। इन सब प्रयत्नों में पितरों की तृप्ति के लिए उनकी पूजा-उपासना के साथ वैदिक विधान से पिण्डदान के साथ उनका तर्पण किया जाता है।

पितृविसर्जन
पितृविसर्जन मूलतः पितृपक्ष की समापन बेला है। मान्यता है कि पितृपक्ष में पितृ धरा पर उतरते हैं और पितृविसर्जन यानि श्राद्ध पक्ष की अमावस्या को पितृ हमसे विदा हो जाते हैं। कहते हैं कि जो अपने अस्तित्व को सम्मान देकर पितृ को प्रतीक स्वरूप अन्न जल प्रदान करता है उससे प्रसन्न होकर पितृ सहर्ष शुभाशिष प्रदान कर अपने लोक में लौट जाते हैं। अपने परिजनों और पूर्वजों के देहत्याग की तिथि ज्ञात न होने पर या ज्ञात तिथि पर किसी अपरिहार्य कारणों से श्राद्ध न हो पाने, अमावस्या यानि पितृविसर्जन के दिन श्राद्ध का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में प्राप्त होता है। इसके अलावा अकाल मृत्यु से ग्रसित व्यक्तियों का श्राद्ध भी इसी दिन होता है। यूं तो पितृ से सामान्य आशय पैतृक यानि पिता या उसके परिवार से माना जाता है। लेकिन यदि कोई अपने नाना-नानी का श्राद्ध करना चाहता है, तो यह क्रिया अमावस्या यानि पितृविसर्जन के दिन की जा सकती है।