
आगरा। राशन डीलरों में रोष व्याप्त है। खाद्यान्न विभाग के अधिकारियों की मनमानी से आगरा शहर के राशन डीलर परेशान हैं। नवागत डीएसओ उमेशचंद मिश्रा द्वारा राशन डीलरों की समस्याओं को दरकिनार करने से डीलर्स में रोष व्याप्त है। आल फेयर प्राइस शॉप डीलर्स एसोसिएशन के बैनर तले पालीवाल पार्क में बैठक कर अपनी समस्याओं के समाधान के लिए विचार व्यक्त किए। डीलर्स की मानें तो उनका हर जगह सिविल सप्लाई विभाग के अधिकारी शोषण करते हैं। ई पॉश मशीन से विभाग के अनुपालन में राशन वितरण किया जा रहा है। इसके बाबजूद खाद्यान्न अधिकारी उनकी समस्याओं का समाधान नहीं करते।
डिलिवरी डोर स्टेप नहीं होती, गेहूं के बोरे का वजन भी डीलर पर
शासन के आदेश के बाद भी राशन की डिलिवरी डोर स्टेप पर नहीं की जाती है। हालसेल डीलर मिट्टी के तेल में कटौती कर तेल देता है। गेहूं के बोरे का वजन का राशन डीलर को वहन करना पड़ता है। वीआईपीवी, वीआईपी आगमन का खर्च डीलर्स के कंधों पर डाल दिया जाता है। डीलर्स को इस बात का दुख है कि इसके बावजूद वह चोर कहलाता है। डीलरों ने अपने शोषण के खिलाफ हुंकार भरने का निर्णय लिया है। शासन, प्रशासन से सीधी लड़ाई के लिए आल फेयर प्राइस शॉप डीलर्स एसोसिएशन ने सामूहिक रूप से इस्तीफा देने का एलान किया है। आगरा शहर के डीलर सामूहिक रूप से आज एससी आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद राम शंकर कठेरिया को राशन की दुकानों का इस्तीफा सौपेंगे। अगर राशन डीलर्स अपनी बात पर डटे रहे तो ग़रीब पात्र कार्ड धारकों को उनके पेट भरने के लिए राशन नहीं मिलेगा।
गरीब पात्र कार्ड धारकों का राशन बनेगा चुनौती
सिविल सप्लाई विभाग के लिए गरीब पात्र कार्ड धारकों को राशन मुहैया कराना बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। जबकि मई माह का राशन पांच तारीख से वितरण होना है। जब राशन डीलर्स इस्तीफा दे देंगे तो गरीबों का राशन वितरण कैसे होगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना सिविल सप्लाई विभाग के अधिकारी कर रहे है। गरीब की लाभ दायक योजनाओं में आधार कार्ड को अनिवार्य ना माना जाए। लेकिन, बिना आधार कार्ड के राशन वितरण करना मना है। आखिर दोषी कौन राशन डीलर्स या फिर प्रशासन।

Published on:
02 May 2018 07:37 am
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