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ये 15 उपाय रोक सकते हैं सड़क दुर्घटनाओं में हर साल 1.5 लाख मौतें

मैनपुरी बस दुर्घटना के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पोर्टल पर दिए सुझाव, कार और व्यावसायिक वाहनों में लगाए जाएं ब्लैक बॉक्स, कॉमर्शियल वाहनों में लगें फ्रन्ट कैमरे

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आगरा

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Abhishek Saxena

Jun 15, 2018

road accident

ये 15 उपाय रोक सकते हैं सड़क दुर्घटनाओं में हर साल 1.5 लाख मौतें

आगरा। मैनपुरी में हृदयविदारक सड़क हादसा हुआ, जिसमें एक डबल डेकर बस में सवार 17 यात्रियों की मौत हो गई। 32 यात्री घायल हो गये। यह सड़क हादसा बस ड्राइवर को झपकी आने के कारण से हुआ। घटना के परिप्रेक्ष्य में आगरा डवलपमेन्ट फाउण्डेशन (एडीएफ) के सचिव व वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन द्वारा सड़क सुरक्षा से सम्बन्धित कई सुझाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ऑनलाइन पोर्टल पर प्रेषित किए हैं। इन सुझावों पर अमल हो तो आए दिन होने वाली सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है।


1. ड्राइवरों के लिए आचार संहिता का निर्माण- वाहन चालकों के लिए एक आदर्श आचार संहिता बनाई जाए, जिसमें उनके लगातार वाहन चलाने, आराम करने, सोने, आँखों की जाँच, दवाइयाँ व शराब इत्यादि से सम्बन्धित स्पष्ट दिशा-निर्देश हों। ऐसी आचार संहिता बनाकर उसे लागू किया जाए।

2. प्रत्येक कार में ब्लैक-बॉक्स की सुविधा उपलब्ध हो-हवाई जहाज की तर्ज पर प्रत्येक कार में ब्लैक-बॉक्स जैसे यंत्र की सुविधा उपलब्ध कराई जाये। जिसमें गाड़ी की स्पीड और अन्य मुख्य नियंत्रणों की रिकॉर्डिंग दर्ज हो सके। यह उपकरण दुर्घटना के कारणों की जाँच में अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।

3. सभी व्यावसायिक वाहनों में कैमरे लगे हों-सभी व्यावसायिक वाहनों में आगे की ओर रिकॉर्डिंग की सुविधा से युक्त एक कैमरा लगा होना चाहिए जिसका मुख वाहन चालक की सीट की ओर हो और उक्त कैमरे को ब्लैक-बॉक्स की सुविधा प्रदान करने वाले यंत्र से संबद्ध किया जाना चाहिए। ऐसे कैमरे दुर्घटना के कारणों का पता लगाने में अत्यन्त सहायक सिद्ध होंगे।

4. प्रत्येक सड़क के ब्लैक स्पॉट्स को चिन्हित करते हुए एक्सीडेन्ट बुलेटिन जारी किये जाएं-सभी रोड एजेन्सियों (जैसे-एनएचएआई, राज्य लोक निर्माण विभाग, स्थानीय प्राधिकरण, विकास प्राधिकरण इत्यादि) को निर्देश दिये जायें कि वे सड़क दुर्घटनाओं से सम्बन्धित वार्षिक बुलेटिन प्रकाशित करें, जिनमें दुर्घटनाओं के ब्योरे के साथ-साथ दुर्घटना के कारणों का भी उल्लेख किया जाए। इसके साथ-साथ नियमित अंतराल पर प्रत्येक सड़क के ब्लैक स्पॉट्स (सड़क के ऐसे स्थान जहाँ दुर्घटना होने की सर्वाधिक संभावना है) को भी चिन्हित किया जाए। उन ब्लैक स्पॉट्स को दूर करने के लिए भी कारगर कदम उठाए जाएं।

5. सड़कों का वार्षिक ऑडिट-सम्बन्धित सड़क एजेन्सी के लिए यह अनिवार्य किया जाए कि वह अपने नियंत्रण में आने वाली प्रत्येक सड़क का वार्षिक ऑडिट किसी मान्यता प्राप्त एजेन्सी (जैसे-सीआरआरआई, आईआईटी आदि) से कराए। उस परीक्षण की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट सम्बन्धित सड़क एजेन्सी की वेबसाइट पर अपलोड की जाये। उस वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर सम्बन्धित एजेन्सी द्वारा आगे की कार्यवाही सुनिश्चित की जाए ताकि सड़कों में पाई गई कमियों को दूर किया जा सके।

6. नेशनल रोड ट्रिब्यूनल-नेशनल ग्रीन टिब्युनल (एनजीटी) की तर्ज पर नेशनल रोड ट्रिब्युनल (एनआरटी) का गठन किये जाने की भी अत्यन्त आवश्यकता है। जहाँ पर सड़क की दोषपूर्ण बनावट व डिजाइन से सम्बन्धित मामले, सड़कों के खराब रखरखाव, सड़कों के ब्लैकस्पॉट्स तथा सड़क व ट्रैफिक से जुड़े अन्य बड़े मामलों को ले जाया जा सके। उनका सार्थक निराकरण सम्भव हो सके। एनआरटी के गठन की आवश्यकता इसलिए भी है कि इसके गठन से सड़क एजेन्सियाँ अपनी सड़कों पर विशेष ध्यान केन्द्रित करते हुए उनकी देखरेख करेंगी और व्यवस्थित तरीके से सड़क सुरक्षा के प्रति सजग रहेंगी।

7. टोल प्लाजा पर वाहनों की चेकिंग-व्यावसायिक एवं यात्री वाहनों की ओवरलोडिंग की जाँच प्रत्येक टोल प्लाजा पर अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए। नियम तोड़ने वाले किसी भी वाहन को बिना जुर्माना भरे और उचित कार्यवाही किये बगैर आगे बढ़ने की इजाजत न दी जाए।

8. गतिसीमा में वृद्धि से सम्बन्धित अधिसूचना को वापस लिया जाए- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा हाईवे द्वारा अधिसूचना 6. अप्रैल, 2018 द्वारा हाईवे व एक्सप्रेसवे पर गतिसीमा को अप्रत्याशित रूप से बढ़ा दिया गया है। गतिसीमा नियंत्रण व सुरक्षा के अन्य उपाय व व्यवस्थाएं नहीं की गई हैं, जिसके कारण और अधिक हादसे व मौतें एक्सप्रेसवे पर होंगी। इसके मद्देनजर उक्त अधिसूचना को स्थगित रखना चाहिए। उन्हीं एक्सप्रेसवे पर या हाईवे पर गतिसीमा बढ़ाने की बात करनी चाहिए जहाँ व्यवस्थायें पूर्ण हैं और यातायात सुरक्षित है।

9. गतिसीमा उल्लंघन व ओवरलोडिंग के नियंत्रण हेतु निजी एजेन्सियों को भूमिका दी जाये-यातायात विभाग व ट्रैफिक पुलिस के पास मानव संसाधन व स्टाफ की कमी है, जिसके कारण वृहद स्तर पर हो रहे यातायात उल्लंघन को रोकने एवं चालान करने में वे असमर्थ

Bhanu Pratap S, [15.06.18 18:16]
हैं। इस संबंध में अच्छी निजी एजेन्सियों को अनुबंधित किया जाय जो गतिसीमा उल्लंघन व ट्रैफिक नियमों की अवहेलना करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही के लिए सभी फोटो व कागजात तैयार करके दें, जिसके आधार पर ट्रैफिक पुलिस या आरटीओ कार्यवाही कर सके।

10. स्मार्टकार्ड लाइसेन्सिंग-सभी मोटर वाहन चालकों के लिए स्मार्ट कार्ड लाइसेन्स होना चाहिए, जिसमें चिप लगी हो ताकि चालक का पूर्ण विवरण व हादसों का विवरण उसमें उपलब्ध रहे। जो भी चालान हों वे स्मार्टकार्ड को स्वैप करके ही होने चाहिए और यह सब डाटा केन्द्रीय डाटा सेन्टर में उपलब्ध हो ताकि भारत में कहीं भी कोई भी चालक नियमों का उल्लंघन करे तो उसके सम्बन्ध में विवरण उपलब्ध हो सके। इसके क्रम में लाइसेन्स निरस्तीकरण की कार्यवाही अमल में लाई जा सके।

11. घिसे हुए टायरों के प्रयोग पर रोक- हमारे देश में घिसे हुए टायरों के प्रयोग पर रोक नहीं है, जिसके कारण अनेक कॉमर्शियल व निजी वाहन घिसे हुए टायरों का प्रयोग करते हैं, जो घर्षण के कारण वायु प्रेशर बढ़ जाने से फट जाते हैं, जिससे बड़े हादसे यमुना एक्सप्रेसवे व लखनऊ एक्सप्रेसवे पर सामने आए हैं। इनको देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप घिसे हुए टायरों पर रोक लगाया जाना अत्यन्त आवश्यक है, जिसके लिए सरकार द्वारा कार्यवाही की जानी चाहिए।

12. एक्सप्रेसवे पर टोल के साथ इन्श्योरेन्स कवर हो- उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में नये-नये एक्सप्रेसवे बन रहे हैं, जिन पर केवल टोल लेकर ही वाहन चल सकते हैं। एक्सप्रेसवे पर बढ़ते हुए हादसे और मौतों के दृष्टिगत टोल के साथ कुछ अतिरिक्त राशि (5 से 10 रुपये तक) ले ली जाये और हादसों में मरने वालों को तात्कालिक रूप से कम से कम 5 लाख रुपये का भुगतान बीमे की राशि के रूप में किया जाये तो एक्सप्रेसवे पर हादसों के शिकार व्यक्तियों के परिजनों के लिए एक राहत के रूप में होगा।

13. ड्राइविंग लाइसेन्स आधार से यथाशीघ्र लिंक हो-अभी हाल में केन्द्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा यह कहा गया कि ड्राइविंग लाईसेन्स आधार से लिंक होंगे। यह कार्यवाही यथाशीघ्र समयबद्ध रूप से हो ताकि फर्जी लाइसेन्स पर रोक लग सके एवं एक व्यक्ति के दो लाइसेन्स जारी न हों।

14. ट्रकों व कॉमर्शियल वाहनों के लिए बाईलेन व रिलीफ सेन्टर-अनेक खराब ट्रक व बसें आदि सड़कों पर खड़ी रहती हैं, जिसके कारण तेज गति से आने वाले वाहन उनसे अनेक बार टकरा जाते हैं। अभी हाल में भी ऐसे हादसे हुए हैं। इनको देखते हुए यह आवश्यक है कि ट्रकों व कॉमर्शियल वाहनों के लिए बाईलेन व रिलीफ सेन्टर सभी वर्तमान हाईवे व एक्सप्रेसवे पर होने चाहिए।

टेक्नोलॉजी व निजी संस्थाओं का सहयोग लेना होगा

एडीएफ के द्वारा पूर्व में यमुना एक्सप्रेसवे को लेकर दो जनहित याचिकायें वर्ष 2015 व 2017 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर की थीं। अब उच्च न्यायालय ने एडीएफ को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की स्वतंत्रता प्रदान की है। एडीएफ के अध्यक्ष पूरन डावर द्वारा भी उक्त सुझावों के समर्थन में कहा कि यदि हम प्रतिवर्ष सड़क हादसों में होने वाली 1.5 लाख मौतों को घटाना चाहते हैं तो हमें टेक्नोलॉजी व निजी संस्थाओं का सहयोग लेना होगा क्योंकि वर्तमान ट्रैफिक व आरटीओ तंत्र अपर्याप्त है।