संघ परिवार की इच्छा संघ में निष्ठावान अनेक स्वयंसेवक प्रचारक आज भी हैं, पर उनकी दुर्दशा हो रही है। जो प्रचारक सैद्धांतिक बात करता है, उसको आयाम व गतिविधि या उसको घर भेज देते हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व संघ विचार परिवार के करोड़ों कार्यकर्ताओं के परिवारों की इच्छा रही है कि उनके परिवार को आर्थिक सहयोग के रूप में सरकार से काम या नौकरी मिले। 24 लाख नौकरी सरकार दे सकती है। आरएसएस की शाखा के एक गटनायक के घर से एक बच्चा नौकरी पर जा सकता है। जो व्यक्ति, जो समाज और जो देश अपने संरक्षण का काम नहीं करता, वह डूब जाता है। इसके अनेक उदाहरण हैं। सरकार किसी को नौकरी या काम नहीं दे रही है।
भाजपा कार्यकर्ताओं को फर्श बिछाने का काम आज भी कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और अनेक पार्टियों के लोग भारतीय जनता पार्टी की सरकार में काम लेते हैं, उनके काम होते हैं लेकिन भाजपा कार्यकर्ता तो ठगा सा महसूस करता है। फर्श बिछाने का काम उसको दिया जाता है। जब टिकट की बात आती है तो हम जीतने की बात करते हैं। बाहुबली और अनेक पार्टियों के गुंडे मवालियों को टिकट देकर उनको राज्यसभा, विधानसभा और लोकसभा में बिठाते हैं। यहां तक कि विद्यार्थी जीवन में भी जब महाविद्यालय में चुनाव होते हैं, तो यही काम वहां भी करते हैं।
संघ का निर्माण क्यों बंधुओं, यह बात मैं वेदना के साथ लिख रहा हूं कि आप में से बहुत कम लोग शाखा में प्रतिदिन जाते होंगे। उनमें से भी गटनायक का काम बहुत कम लोग करते हैं। उसमें से भी बहुत कम लोग ध्येय के लिए समर्पित होंगे, जो प्रचारक के रूप में निकलते होंगे। आरएसएस के द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर (गुरुजी) का सपना था कि समाज जीवन में जितने भी संगठन चल रहे हैं, उनको एक छत के नीचे लाकर हमें छाते का काम करना है। क्या वास्तव में यह काम हो रहा है? डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार की प्रेरणा से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का निर्माण हुआ। उस समय की कांग्रेस जो आजादी के लिए लड़ रही थी, उसमें डॉक्टर हेडगेवार भी काम कर रहे थे। उन्होंने विचार किया कि इस कांग्रेस में समर्पित ध्येयनिष्ठ चरित्रवान लोगों की कमी है। मुट्ठीभर सत्ता की लोलुपता के भेड़िए संगठन पर कब्जा कर रहे हैं और देशभक्तों का अपमान हो रहा है। न सरदार पटेल बोलते थे न ही कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी बोलते थे, न ही बाबू राजेंद्र प्रसाद बाबू बोलते थे। इन सबको छोड़कर उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गठन किया। क्या उस समय की राष्ट्रवादी विचार के लोगों ने जैसे आप चिल्ला रहे हैं, यह शब्द बोले होंगे या नहीं बोले होंगे, विचार करना।
संघ के उद्देश्यों का पालन नहीं आज भी क्या जिन उद्देश्यों के लिए संघ का निर्माण हुआ था, उनका पालन हो रहा है। 20 राज्यों में सरकार हमारी है। केंद्र में पूर्ण बहुमत के साथ हम आज सरकार चला रहे हैं। राज्यसभा में भी थोड़ा बहुत कम हमारा ही वर्चस्व है। क्या हिन्दुओं ने हमको तीन तलाक व एससी एसटी एक्ट के संशोधन के लिए समर्थन दिया था? इससे तो हिन्दुओं में फूट ओर पड़ेगी। जो मूलबिन्दु थे, उनसे सरकार भटक चुकी है। इन सबके लिए तो कोई आवाज उठाएगा। आपमें से बहुत लोगों को मैं व्यक्तिगत जानता हूं। कितना आप में स्वयंसेवक तत्व है। शाखा में आपमें से बहुत कम लोग जाते होंगे। मैं आज भी प्रतिदिन शाखा जाता हूं। मैं स्वयंसेवक हूं, रहूंगा। इस निष्ठा के साथ हम विचारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। हमारा मूल आधार तो संघ है। विश्लेषण है कि संघ की तर्ज पर अंतर्राष्ट्रीय हिन्दू परिषद का एक महीने के अंदर संपूर्ण भारत में फैलाव हो गया है। संघ के अनेक ऐसे भी प्रचारक हैं, जो आंतरिक रुप से सहयोग कर रहे हैं।
प्रस्तुतिः मनोज कुमार राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय बजरंग दल (अंतरराष्ट्रीय विश्व हिन्दू परिषद) मुख्यालय आगरा।