
आगरा। सुप्रीम कोर्ट से समायोजन रद्द होने के बाद शिक्षामित्र ने लखनउ से लेकर दिल्ली तक प्रदर्शन किया, लेकिन न तो प्रदेश सरकार और नाहीं केन्द्र सरकार, कहीं से भी मदद मिलती नहीं दिखाई दे रही है। मदद न मिलने से हताश अब तक 100 शिक्षामित्रों की जानें जा चुकी हैं, अब इस सब को रोकने के लिए शिक्षामित्र संगठन बड़ा निर्णय लेने जा रहा है।
हो रही तैयारी
सूत्रों ने बताया कि शिक्षामित्र संगठन को योगी आदित्यनाथ सरकार से अब कोई उम्मीद नहीं रही है, इसलिए शिक्षामित्र संगठन पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मदद लेगा। हालांकि जब इस मामले में उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ क अध्यक्ष गाजी इमाम आला से बात की गई, तो उन्होने बताया कि ये तो समय ही बताएगा, फिलहार शिक्षामित्रों को प्रदेश की योगी सरकार और केन्द्र की मोदी सरकार से निराशा ही हाथ लगी है और अब कोई उम्मीद भी नजर नहीं आ रही है।
सरकार ने नहीं निभाया अपना फर्ज
गाजी इमाम आला ने बताया कि लोकतांत्रिक देश में हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है। इसी अधिकार के चलते पूरे प्रदेश के शिक्षामित्र एकजुट हुए और लोकतांत्रिक तरीके से सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने का काम किया। इस नाते सरकार का फर्ज था, कि शिक्षामित्रों के लिए ठोस पहल की जाए, जिससे उनकी रोजी रोटी बच सके।
आहत हैं शिक्षामित्र
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र छौंकर ने बताया कि शिक्षामित्र आहत हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ से दो बार वार्ता हुई। आश्वासन पर धरना समाप्त हुआ। पांच सदस्यीय कमेटी गठित हुई। एकमत प्रस्ताव बनाने के लिए कहा गया, इसको भी शिक्षामित्र संगठनों ने सरकार को सौंप दिया। ये प्रस्ताव स्वीकार हुआ, विचार चला, इसे लेकर शासन स्तर की बैठक भी हुई, लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला। सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन रद्द किया, यदि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान कर रही है, तो शिक्षामित्रों के लिए अन्य रास्ते भी खुले थे, जिससे सरकार के सामने भी कोई परेशानी न आए और शिक्षामित्रों का भी जीवन बच जाए। सरकार शिक्षामित्र की 17 साल के सेवा को नजरअंदाज कर रही है। किया जा रहा है। मानवाधिकार है, कि 15 साल को सेवा किया गया है। 17 प्राथमिक शिक्षा उस स्थिति का आंकलन करना चहिए।
Published on:
21 Sept 2017 12:40 pm
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