भगवान कृष्ण का जन्म लेते ही पहरेदार सो गए। वासुदेव व देवकी की बेड़ियां और कारागार के दरवाजे खुल गए। भगवान कृष्ण को लेकर वासुदेव गोकुल गए। गोकुल से योगमाया कन्या को लेकर कारागार में लौटे तो बेड़ियां बंध गईं और दरवाजे बंद हो गए, द्वारपाल जाग गए। अर्थात भगवान में पास में आते हैं तो सारे बंधन खुल जाते हैं। लेकिन माया पास में आती है तो व्यक्ति बंधन में जकड़ जाता है। इसलिए भगवान के निकट रहिए। पूतना उद्धार, भगवान कृष्ण का नामकरण, माखन चोरी, ऊखल बंधन लीला, श्रीभगवान का गोकुल से वृन्दावन पधारना, वकासुर का वध, कालिया मर्दन आदि लीलाओं का वर्णन किया। गोवर्धन पूजा का वर्णन करते हुए कहा कि यदि लक्ष्य पवित्र और मन में सच्ची भक्ति हो तो ईश्वर भक्त के लिए कुछ भी कर सकते हैं। यही वजह थी कि भक्तों की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण ने अपनी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। कथा में मुख्य रूप से पूर्व पार्षद दीपक खरे, पार्षद हरिओम बाबा, दीपक ढल, अखिलेश बंसल, प्यारेलाल, सत्यप्रकाश यादव, धर्मेन्द्र, गौतम वर्मा, अमिता, जीतू, निर्मला, कमलेश आदि मौजूद थीं।