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ताज प्रदेश की मांग करने वाले डॉ. सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि यूपी के विभाजन चार नहीं, बल्कि सात से आठ होने चाहिये। उन्होंने कहा कि वे अमेरिका जर्मन, जापान, ब्राजील आदि देशों को देख चुके हैं। वहां पर प्रदेशों की आबादी 50 से 60 लाख की होती है, लेकिन भारत आज भी पुरानी व्यवस्थाओं के साथ तरक्की का रास्ता खोज रहा है। हम बात कर रहे हैं, जब देश गुलाम था। उस समय देश में 800 के आस पास रियासत थीं। अंग्रेजों ने जब भारत को अपना गुलाम बनाया, तो यहां सुशान के लिए नहीं, बल्कि देश को लूटने के लिए बनाया था और यही कारण था कि उन्होंने अपनी व्यवस्था के अनुरूप बड़े बड़े स्टेट बना दिये। जब देश आजाद हुआ, तो अमूल चूल परिवर्तन के साथ उन्हीं व्यवस्थाओं पर शासन शुरू हो गया।
ताज प्रदेश की मांग करने वाले डॉ. सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि यूपी के विभाजन चार नहीं, बल्कि सात से आठ होने चाहिये। उन्होंने कहा कि वे अमेरिका जर्मन, जापान, ब्राजील आदि देशों को देख चुके हैं। वहां पर प्रदेशों की आबादी 50 से 60 लाख की होती है, लेकिन भारत आज भी पुरानी व्यवस्थाओं के साथ तरक्की का रास्ता खोज रहा है। हम बात कर रहे हैं, जब देश गुलाम था। उस समय देश में 800 के आस पास रियासत थीं। अंग्रेजों ने जब भारत को अपना गुलाम बनाया, तो यहां सुशान के लिए नहीं, बल्कि देश को लूटने के लिए बनाया था और यही कारण था कि उन्होंने अपनी व्यवस्था के अनुरूप बड़े बड़े स्टेट बना दिये। जब देश आजाद हुआ, तो अमूल चूल परिवर्तन के साथ उन्हीं व्यवस्थाओं पर शासन शुरू हो गया।
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छोटा होगा प्रदेश तो होगी तरक्की
डॉ. सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि यदि प्रदेश छोटा होगा, तो उसकी तरक्की की डगर भी आसान होगी। कारण है कि छोटे प्रदेश में एक तो नौकरियों का भंडार होगा, क्योंकि नौकरियां प्रदेश के लिए होती हैं। वहीं दूर दराज के आवागमन से बचाव होगा। सरकार लोगों की पहुंच में होगी। आज जिलाधिकारी से मिलना आसान नहीं होता है, लेकिन छोटे प्रदेश में बड़े से बड़े अधिकारी तक पहुंच आसानी से होती है। उन्होंने बताया कि आज यूपी पिछड़ा हुआ है, लेकिन बात कर ली जाये उत्तराखंड की, तो उत्तराखंड कहीं ज्यादा आगे है। ये तरक्की उत्तराखंड ने उत्तर प्रदेश से अलग होकर की प्राप्त की है।
छोटा होगा प्रदेश तो होगी तरक्की
डॉ. सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि यदि प्रदेश छोटा होगा, तो उसकी तरक्की की डगर भी आसान होगी। कारण है कि छोटे प्रदेश में एक तो नौकरियों का भंडार होगा, क्योंकि नौकरियां प्रदेश के लिए होती हैं। वहीं दूर दराज के आवागमन से बचाव होगा। सरकार लोगों की पहुंच में होगी। आज जिलाधिकारी से मिलना आसान नहीं होता है, लेकिन छोटे प्रदेश में बड़े से बड़े अधिकारी तक पहुंच आसानी से होती है। उन्होंने बताया कि आज यूपी पिछड़ा हुआ है, लेकिन बात कर ली जाये उत्तराखंड की, तो उत्तराखंड कहीं ज्यादा आगे है। ये तरक्की उत्तराखंड ने उत्तर प्रदेश से अलग होकर की प्राप्त की है।
छोटे होकर पाई तरक्की
डॉ. सुरेन्द्र गुप्ता ने बताया कि 2011 की जनगणना के अनुसारा हिमाचल प्रदेश की आबादी 68.5 लाख है। हिमाचल प्रदेश ने उद्योग बागवानी के बल पर यूपी को तरक्की के मामले में पछाड़ दिया। वहीं बात करें छत्तीसगढ़ की, तो छत्तीसगढ़ की तरक्की भी मध्यप्रदेश से अलग होने के बाद हुई है। ऐसे ही पंजाब से जब हरियाणा अलग हुआ, तो उसकी तरक्की के रास्ते खुले। उन्होंने बताया कि प्रशासन आबादी की दृष्टि से होना चाहिये।