उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सर्वप्रथम फैक्ट्रियों पर प्रतिबन्ध लगाना होगा व दूसरे प्रदेशों से आयात हो रही प्रदूषण फैलाने वाली वस्तुओं को रोकना चाहिए। प्रदेश के थोक व फुटकर विक्रेताओं एवं तमाम तरह का सामान उत्पादन करने वाली फैक्ट्रियों में पाॅलीथिन का इस्तेमाल किया जा रहा है। स्टाॅक में रखी अवैध सामिग्री नष्ट करने से व्यापारी सड़क पर आ जाएंगे और आत्महत्या करने पर उतारू हो जायेंगे।
उन्होने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए योगी सरकार को निम्नलिखित चरणबद्ध कार्यक्रम चलाने होंगे:- (1) सर्वप्रथम फैक्ट्रियां बंद करनी होंगी, उन पर जो पैसा बैंक का लगा है, उन्हें माफ करना होगा।
(2) 50 माइक्राॅन से पतली थैली, गिलास, प्लेट, कटोरी आदि के विकल्प तलाशने होंगे, जिससे उद्योगपति उस उद्योग को लगा सके तथा कारीगरों को काम मिल सके।
(3) फुटकर एवं थेाक विक्रेताओं को समय दिया जाना चाहिए, जिससे अपने स्टाॅक को खाली कर लें, इस्तेमाल के बाद भी माल नष्ट करना है। नये माल को भी नष्ट करना पड़ेगा जिससे जीएसटी का नुकसान व लगी पूॅंजी का नुकसान न हो।
(4) बाजारों में प्रदूषण विभाग नगर निगम, छावनी परिषद के अधिकारी निश्चित रूप से धींगा-मस्ती दिखलायेंगे। वह 50 माइक्रोन से ज्यादा की मोटाई वाले सामान को भी 50 माइक्रोन से कम का बतलाकर व्यापारियों का उत्पीड़न करेंगे तथा अवैध वसूली तो होगी ही।
(5) पाॅलीथीन थैली बनाने वाली फैक्ट्रियों पर कड़ी नजर रखी जाये तथा उनको 60 माइक्रोन से ज्यादा मोटी थैली बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाये।
(6) हमारे जीवन का एक आवश्यक अंग बन चुकी है पाॅलीथिन। न तो कोई घर से थैली जावेगा न तरल पदार्थ लेने के लिए बर्तन/डिब्बा लावेगा, नौकरी पेशा आदमी छुट्टी करके सामान खरीदते हुए घर जाता है, क्या वह अपने कार्यस्थल पर बर्तन, डिब्बा या थैला लेकर जायेगा।
(7) प्रदेश सरकार को चाहिए कि सफाई कर्मचारियों की भर्ती करें तथा उनको आधुनिक सफाई के औजार और गाड़ी उपलब्ध करायें।
(8) प्रदेश सरकार ने 15 जुलाई से पाॅलीथिन बंद करने का तुगलकी फरमान जारी किया है वह ठीक उसी प्रकार है जिस प्रकार बगैर तैयारी के आवश्यक वस्तु अधिनियम एवं नोट बंदी थोपी गयी थी। आज तक इनसे व्यापारी व उद्योगपति उबर नहीं पाये हैं।
(9) सरकारी आदेश के अनुसार 15 अगस्त से प्रदेश में पूर्ण रूप से प्लास्टिक बंद होगी, लेकिन सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि प्लास्टिक में कौन-कौन से सामान प्रभावित होंगे।