
Shravan Month
बरेली। श्रावण मास में जितना महत्त्व सोमवार का है, उतना ही महत्त्व मंगलवार का होता है क्योंकि इस दिन मंगला गौरी व्रत होता है। अनुकूल विवाह एवं सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए ये व्रत काफी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। बालाजी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्मा का कहना है कि भविष्य पुराण के अनुसार यह व्रत श्रावण माह में मंगलवार के दिन करते हैं। कम से कम पांच वर्ष तक श्रावण माह में इस व्रत को करना चाहिए। यह व्रत भगवान शिव और मां पार्वती के निमित्त कृपा प्राप्ति के लिए किया जाता है।
यदि विवाह होने के बाद यह व्रत किया जाये तो प्रथम श्रावण अपने पीहर में तथा अन्य चार वर्षों तक ससुराल में करना चाहिए। विवाहित स्त्रियां इस व्रत को संतान प्राप्ति एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिए भी करती हैं। इस वर्ष श्रावण मास में ये व्रत 31 जुलाई, 7 अगस्त, 14 अगस्त और 18 अगस्त को पड़ेगा।
कैसे करें व्रत
जिस श्रावण माह में मंगलवार के दिन व्रत आरम्भ करें। उस दिन संकल्प लेकर चौकी पर एक सफेद, एक लाल कपड़ा बिछा कर मां पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें, तत्पश्चात् आटे का एक बड़ा 16 मुंह वाला दीपक 16 बत्तियों के साथ प्रज्ज्वलित करें। पूजा का संकल्प लें। सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा करें। उस पर पंचामृत, जनेउ, चंदन, रोली, सिंदूर, सुपारी, लौंग, पान, चावल, फूल, बिल्ब पत्र, इलायची, फल, मेवा, प्रसाद चढ़ाकर आरती करेें, फिर कलश की पूजा करें। इसके बाद नवग्रहों के नाम की चावल की नौ ढ़ेरियां बनाकर उनकी भी पूजा करें। इसके बाद षोडश मातृका की 16 गेंहू की ढे़रियां बनाकर उनकी पूजा कर रोली व जनेउ चढ़ायें। रोली, जनेउ, हल्दी, मेंहन्दी एवं सिन्दूर चढ़ायें। अन्त में मंगला गौरी का पूजन करें।
कैसे करें मंगला गौरी का पूजन
मंगला गौरी के पूजन के लिए एक थाली में चकला रख लें। उस पर मंगला गौरी की मिट्टी की प्रतिमा बनायें। आटे की लोई बनाकर रख लें। पहले मंगला गौरी को (पंचामृत, जल दूध, दही, चीनी और घी) बनाकर स्नान करायें। स्नान कराने के बाद वस्त्र पहनायें, फिर नथ पहनाकर रोली, चन्दन, हल्दी, सिन्दूर, मेंहदी, काजल लगाकर श्रंगार करें। फिर 16 प्रकार के फूल, 16 माला, 16 तरह के पत्ते, 16 आटे के लड्डू, 16 फल, पांच तरह की मेवा, 16 बार सात तरह का अनाज, 16 जीरा, 16 धनिया, 16 पान, 16 सुपारी, 16 लौंग, 16 इलाइची, एक सुहाग की डिब्बी में रोली, मेहन्दी, काजल, हिंगुर, सिन्दूर, तेल, कंघा, शशी, 16 चूड़ी, एक रूपया उन पर दक्षिणा सहित चढ़ाकर मंगला गौरी की कथा सुनें। चौमुखा दीपक बनाकर उसमें 16 तार की चार बत्तियां बनायें और कपूर से आरती उतारकर परिक्रमा करें। इसमें बिना नमक के एक ही रोटी खायें। दूसरे दिन मंगला गौरी को समीप के कुऐं अथवा तालाब में विसर्जित कर भोजन करें। 16 मंगलवार व्रत करके उसका उद्यापन करें।
Updated on:
31 Jul 2018 02:30 pm
Published on:
31 Jul 2018 11:18 am
बड़ी खबरें
View Allआगरा
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
