
Wood, cow dung
आगरा। एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार में एक पेड़ की लकड़ियों का खर्चा होता है। टेंशन ये थी, कि यदि इसी तेजी से पेड़ कटते रहे, तो हरियाली पूरी तरह खत्म हो जायेगी, लेकिन अब ये टेंशन दूर हो गया है। कोई भी पेड़ नहीं कटेगा, और लकड़ी भी मिलेगी। चौंकिये मत ये सच्चाई है। रामलाल वृद्धाआश्रम में गाय के गोबर से लकड़ी तैयार की जा रही है। इसके लिए यहां दो मशीन लगाई गई हैं।
यहां लगाई गई मशीन
गाय के गोबर से लकड़ी बनाने की ये मशीन सिकंदरा स्थित रामलाल वृद्धाआश्रम में लगाई गई है। यहां पर एक गौशाला भी है। इस गौशाला में 300 से अधिक गाय हैं। रामलाल वृद्धाआश्रम के अध्यक्ष शिवप्रसाद शर्मा ने बताया कि सिर्फ आठ गाय दुधारू हैं, बाकी अन्य गायों की सेवा की जा रही है। उन्होंने बताया कि इन गायों से जो गोबर मिलता है, उसका प्रयोग लकड़ी बनाने में किया जाता है। इसके लिये यहां दो मशीन लगाई गई हैं।
इस तरह बनती है लकड़ी
गाय के गोबर को मशीन में डाला जाता है। ये मशीन आटा की चक्की की तरह होती है। गोबर मीशन में जाने के बाद अच्छी तरह मिक्स होता है, इसके बाद एक पाइप के जरिये ये गोबर मशनी से एक लकड़ी के रूप में बाहर आता है। खास बात ये होती है, कि इस लकड़ी को सूखने में बहुत अधिक समय नहीं लगता है। तीन दिन के अंदर ये लकड़ी जलाने योग्य हो जाती है।
इसमें होता है प्रयोग
शिवप्रसाद शर्मा ने बताया कि इस गाय के गोबर से तैयार इस लकड़ी का प्रयोग अंतिम संस्कार में होता है, इसके अलावा पूजन के लिए भी लोग गाय के गोबर से बनी लकड़ियों को ले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभी लोगों को जानकारी बहुत कम है, लेकिन जैसे जैसे जानकारी बढ़ेगी और डिमांड बढ़ेगी, लकड़ी का उत्पादन भी बढ़ा दिया जायेगा।
Published on:
02 Oct 2018 05:08 pm
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