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गड्ढा मुक्त नहीं हो पाया योगी का यूपी, मानसून ने सपना कर दिया चकनाचूर

मानसून में डराने लगी सड़कें, हादसों को दावत दे रहे गड्ढे।

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आगरा

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Dhirendra yadav

Sep 04, 2018

Yogi Adityanath

Yogi Adityanath

आगरा। उत्तर प्रदेश के सीएम बनते ही योगी आदित्यनाथ ने दावा किया था कि वह 15 जून 2017 तक प्रदेश की सभी सड़कों को गड्ढा मुक्त करा देंगे, लेकिन ये दावा हवा हवाई साबित हुआ। 2017 के बाद से अब तक कई सड़कें ऐसी रहीं, जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विकास का एजेंडा नहीं पहुंच पाया। विश्व मानचित्र पर अपनी अलग पहचान रखने वाले आगरा की बात करें, तो यहां तो सड़कों का हाल बेहद बुरा है। पढ़िये पत्रिका की खास रिपोर्ट।

आगरा की हालत गंभीर
वर्ष 2017 में चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले यूपी गड्ढा मुक्त का दावा किया था। शुरुआत में कार्य में तेजी दिखी, लेकिन इस मिशन में कई सड़कें छूट गईं और फिर क्या समय बीतने के साथ ही गड्ढा मुक्त का ये अभियान फाइलों में सिमटता चला गया। इस दौरान कई मार्ग ऐसे रहे, जहां गड्ढा मुक्त का तनिक भी असर दिखाई नहीं दिया। ऐसे ही मार्ग से जब पत्रिका टीम गुजरी, तो वहां के लोगों ने अपना दर्द बयां किया।

यहां की हालत सबसे अधिक खराब
सिकंदरा के पॉश ऐरिया माने जाने वाले पश्चिमपुरी रोड पर कई शानदार कॉलोनियां हैं, जिसमें फ्रैंडस पुरम, फ्रैंड्स पुरम एक्सटेंशन, दुष्यंत नगर, शुलभ पुरम, बांग्ला हाउसिंग शामिल हैं। इसके साथ ही ये मार्ग शास्त्रीपुरम, पश्चिम पुरी जैसे बड़े ऐरिया को एमजी रोड टू और बोदला सिकंदरा मार्ग को भी जोड़ता है। इस सड़क की आप तस्वीर देखेंगे, तो चौंक जायेंगे। कारण है कि यहां मानूसन के बाद जलभराव की इतनी गंभीर स्थित हो गई है, कि एक तरफ का मार्ग तो पूरी तरह बंद हो गया है। वहीं जो मार्ग खुला है, उस पर भी गहरे गड्ढे हैं।

ये बोले लोग
जब यहां के स्थानीय लोगों से बात की, तो उन्होंने कहा अधिकारी सुनवाई नहीं करते हैं। संतोष त्योगी ने बताया कि उनके द्वारा कई बार अधिकारियों से इस मामले में शिकायत की गई है, लेकिन अधिकारी सुनते नहीं हैं। वहीं स्थानीय निवासी दीपक ने बताया कि ऐसा नहीं है कि अधिकारी इस मार्ग से गुजरते न हों, लेकिन अधिकारियों की गाड़ी इतनी लग्जरी हैं कि इन गड्ढों को आसानी से पार कर जाती हैं, जिससे उन्हें कोई परेशानी नहीं होती है। स्थानीय लोगों ने बताया कि इस मार्ग पर तीन वर्ष पहले रिपेयरिंग का कार्य हुआ था, उसके बाद किसी ने सुध नहीं ली है।