गुजरात में जैसे-जैसे उत्तरायण पर्व निकट आ रहा है, वैसे-वैसे लोगों में उत्साह बढ़ रहा है। इस पर्व को ध्यान में रखकर लोग अभी से ही पतंग की डोर (मांजा) की रंगाई करवाने लगे हैं। दूसरी ओर डोर को रंगने वालों में न सिर्फ गुजरात के लोग हैं, बल्कि राजस्थान, दिल्ली और उत्तरप्रदेश के भी हैं। शहर के विविध जगहों पर डोर की रंगाई का काम तेजी पकड़ने लगा है।अहमदाबाद के दिल्ली दरवाजा के निकट हर वर्ष दिल्ली से पतंग रंगने के लिए विशेष रूप से आने वाले इरशाद बताते हैं कि वे दीपावली के बाद से ही डोरी रंगने के लिए अहमदाबाद आ जाते हैं। इस बार वे अन्य नौ जनों को भी साथ में लाए हैं। इनमें कानपुर के भी कुछ सदस्य हैं। पतंग की डोरी रंग रहे कानपुर निवासी मोहम्मद का कहना है कि वे वर्षों से घिसने की प्रक्रिया से ही डोर को रंगने का काम करते हैं। इस प्रक्रिया से रंगी जाने वाली डोर काफी मजबूत होती है। कानपुर में पुराने टायरों की खरीद फरोख्त करने वाले मोहम्मद अपने साथियों के साथ गत 28 नवम्बर को ही डोरी रंगने के लिए अहमदाबाद आ गए हैं।
अभी 70 रुपए में हजार वार रंगते हैं डोर
मोहम्मद के अनुसार फिलहाल 70 रुपए में एक हजार वार डोरी की रंगाई की दर है। हालांकि आगामी दिनों में यह दर बढ़ जाएगी। पतंग की रंगाई के लिए अभी ग्राहकों की ज्यादा भीड़ नहीं है, लेकिन अगले दिनों में ग्राहकों की संख्या बढ़ने की पूरी संभावना है। जिससे सुबह से लेकर रात तक डोर की रंगाई की जाएगी। वे कांच, सुहागा, रंग जैसी कई वस्तुओं के मिश्रण से पंतग डोर की रंगाई करते हैं। दिल्ली दरवाजे के अलावा शहर के कालूपुर, रायपुर, बेहरामपुरा, जमालपुर, सरसपुर, चांदखेड़ा, शाहीबाग समेत विविध क्षेत्रों में इन दिनों रंगाई का काम किया जा रहा है।
डोर को जल्द रंगवाने से होता है फायदा
शहर के वस्त्राल इलाके में रहने वाले निकेत भावसार ने बताया कि वे हर वर्ष एक माह पहले ही डोरी रंगवा लेते हैं। इससे न सिर्फ सस्ती रंगाई होती है बल्कि डोर को सूखने का समय भी मिलता है। ऐसे में डोर मजबूत होती है। उन्होंने यह भी कहा कि घिसकर डोरी रंगने की प्रक्रिया ही अच्छी है।