
नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है सिदी सैयद की जाली
अहमदाबाद. शहर में स्थित मस्जिद अपनी नक्काशी एवं प्राचीनता के कारण प्रसिद्ध हैं, उन्हीं में शामिल है सिदी सैयद की मस्जिद, जो अपनी नक्काशी के लिए विश्व प्रसिद्ध है। ईस्वी सन् १५७० के दशक में बनाई गई यह मस्जिद सिदी सैयद की जाली के नाम से विश्व प्रसिद्ध है।
मस्जिद में पत्थर पर बारीकी से नक्काशी कर जाली का निर्माण किया गया है, जिनमें एक-दूसरे से जुड़े वृक्ष एवं पत्तियों की कलात्मक आकृत्तियां हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। वर्ष २०१७ में भारत के दौरे पर आए जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे को भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस मस्जिद को दिखाया था।
शहर के लाल दरवाजा स्थित सिदी सैय्यद की मस्जिद का निर्माण ईस्वी सन् १५७० के दशक में सिदी सैयद ने कराया था। वे हब्शा (इथोपिया) से यमन होकर गुजरात आए थे और बाद में सुल्तान नासिर-उल-दिन महमूद शाह तीसरे के यहां सेवा दी थी। वे गरीबों की मदद करने वाले दरियादिल मानस के रूप में प्रसिद्ध थे और उनके पास पुस्तकों का बड़ा संग्रहालय था। गुजरात के अंतिम शासक सुल्तान मुजफ्फरशाह तीसरे के शासन काल के दौरान इस भव्य स्मारक का निर्माण किया गया।
-ब्रिटिश शासन में सरकारी कार्यालय के रूप में हुआ मस्जिद का उपयोग
मस्जिम में लगे शिलालेख के अनुसार ब्रिटिश शासन के दौरान मस्जिद का उपयोग सरकारी कार्यालय के रूप में हुआ था। ईस्वी सन् १९८० में लंदन और न्यूयोर्क के संग्रहालय के लिए मस्जिद की जालियों की नकल कागज पर उतारी, जिनमें से लकड़ी के दो मॉडल बनाए गए थे। अभी तक जीवनरूपी वृक्ष को व्यक्त करने वाली मस्जिद की जाली अहमदाबाद शहर की विशिष्ट पहचान बनी हुई हैं।
मस्जिद में करीब १० जालियां हैं, जिनमें से दो जालियों में पत्थर पर वृक्ष एवं पत्तियों की नक्काशी की गई है और पांच जालियों में अन्य आकृतियां हैं। इसके अलावा, तीन जालियां खुली हुई हैं। बारह स्तंभों पर टिकी मस्जिद के द्वार पर दो मीनार और अंदर १५ गुम्बद बने हुए हैं। मस्जिद के पास ही सिदी सैयद की मजार बनी हुई है।
कौमी एकता का संदेश देती हैं जालियां :
मस्जिद की जालियां पत्थर की बनी हुई हैं। एक ही पत्थर पर बारीकी से की गई नक्काशी के लिए मस्जिद विश्व प्रसिद्ध है, जिसमें एक-दूसरे से जुड़ी वृक्ष और पत्तियों की कलात्मक आकृतियां कौमी एकता का संदेश देती हैं। यहां पर गुजरात सहित देश के ही नहीं, अपितु विश्वभर के पर्यटक जालियों को देखने के लिए आते हैं।
फरीदभाई शेख, सिक्युरिटी गार्ड, सिदी सैयद मस्जिद, अहमदाबाद
Published on:
28 May 2019 03:58 pm
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