
Gujarat Positive News : कचरे से कंचन प्राप्त कर रहा बनासकांठा जिले का बेडचा गांव
पालनपुर. स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत बनासकांठा जिले की पालनपुर तहसील के वेडंचा गांव में तरल कचरा व्यवस्थापन और ग्रे वाटर ट्रीटमेंट ने राज्य के अन्य जिलों के गांवों के लिए मिसाल कायम किया है। करीब 4500 आबादी वाले इस गांव में रोजाना इस्तेमाल होने वाले पानी के प्रबंधन से यह सिद्धि हासिल हुई है। ग्राम पंचायता जहां आमदनी पाने में सफल हुआ वहीं गंदे जल-जमाव के कारण होने वाली बीमारियों से ग्रामीणों का बचाव हो रहा है। वेडंचा गांव के 30 फीसदी परिवार की ओर से रोजाना इस्तेमाल होने वाला करीब 2 लाख लीटर पानी गांव के तालाब में बह जाता था। गंदा पानी के जमा होने से गांव में बीमारियों ने पैर पसार लिया था। इस पानी के निकास की आवश्यकता को देखते हुए ग्रामीणों ने सकारात्मक प्रयास करते हुए जिला ग्राम विकास एजेंसी की सहायता से ग्रे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना की। ग्रे वाटर ट्रीटमेंट से गांव में सिंचाई के लिए भी पानी मिलने लगा। वहीं भूमिगत जल को ऊपर लाने में भी मदद मिलने लगी।
ग्रामीणों ने की जल निकासी की व्यवस्था
गांव के 18 परिवारों ने रसोईघर और बाथरूम से पानी के निकास के लिए शॉपिट का निर्माण किया है। गांव के विभिन्न जगहों पर शॉकपिट बनाया गया है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए 5 हजार आबादी तक के ग्राम पंचायत के प्रति व्यक्ति को 280 रुपए और 5000 से अधिक आबादी वाले गांवों के प्रति व्यक्ति को 660 रुपए की सहायता राज्य सरकार देती है। बनासकांठा जिलीे के ग्राम विकास एजेंसी के निदेशक आर आई शेख ने बताया कि वंडेचा गांव में निर्मित ग्रे वाटर ट्रीटमेंट यूनिट की विशेषता है कि यह मॉडल सरल तकनीक आधारित है। इसकी स्थापना और देखरेख दोनों ही आसान है। वेडंचा गांव के सरपंच बेचर भाटिया ने बतााया कि प्लांट स्थापित होनले से उनका गांव स्वच्छ ओर सुंदर हुआ ही, गांव की आवक भी होने लगी है।
5 लाख की लागत, सरल तकनीक आधारित यूनिट
पांच लाख रुपए की लागत से स्थापित प्लांट स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) की गाइड लाइन के तहत डीवाटर्स और वेस्ट स्टेबिलाइजेशन पॉन्ड प्लांट का मिश्रित स्वरूप है। प्लांट में सरल और सस्ती तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस प्लांट की मदद से 25 दिनों में करीब 5.5 से 6 टन कार्बनिक खाद पैदा होता है। गांव की सहकारी मंडली इसकी पैकिंग कर बिक्री करती है। प्रत्येक बैग में 30 किलोग्राम खाद भरकर इसे 200 रुपए में बेचा जाता है। इससे ग्राम पंचायत को हर महीने 40-45 हजार रुपए की आवक होने लगी है। ग्राम पंचायत आत्मनिर्भर भी होने लगा है। प्लांट शुरू करने से ग्रामीणों को रोजगार भी मिला।
Published on:
28 May 2022 09:14 am
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