26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बाहर नहीं मन के भीतर करें सुख की तलाश: डॉ. सुधीर शाह

-कहा, सुख की परिभाषा नहीं -'खुशी की तलाश विज्ञान एवं अध्यात्मिक पहलू' विषय पर वक्तव्य

2 min read
Google source verification
Find inner happiness: Dr. Sudhir Shah  

बाहर नहीं मन के भीतर करें सुख की तलाश: डॉ. सुधीर शाह

अहमदाबाद. हरेक व्यक्ति अपनी सोच के अनुरूप सुख की तलाश करता है, लेकिन मन का सुख सबसे अहम है। इसकी तलाश बाहर नहीं अपितु मन में की जानी चाहिए। वैसे सुख की कोई विशेष परिभाषा नहीं है, लोग अलग-अलग प्रकार से सुख पाना चाहते हैं। इनमें से अधिकांश तो शारीरिक सुख को ही श्रेष्ठ समझते हैं जबकि सच यह है कि अध्यात्मिक और मानसिक सुख के आगे इसका कोई महत्व नहीं होता। जाने माने न्यूरोलोजिस्ट प्रोफेसर एवं पद्मश्री डॉ. सुधीर वी. शाह ने यह बात कही।
डॉ. शाह शनिवार को शहर के ए.एम.ए.परिसर में आयोजित परस्यूट ऑफ हेप्पीनेस, सायंस एंड स्पिरिच्युअल आस्पेक्ट (सुख की तलाश, विज्ञान एवं अध्यात्मिक पहलु ) विषय पर वक्तव्य दे रहे थे। उन्होंने कहा कि लोग अलग-अलग ढंग से सुख की अनुभूति करना चाहते हैं। इनमें फिजिकली अर्थात शारीरिक सुख पाने वाले ज्यादा हैं। उन्होंने ऐसे सुख को अल्प समय का कहा है। जबकि मेंटल अर्थात मानसिक रूप से मिलने वाला सुख उससे बेहतर होता है और सर्वश्रेष्ठ सुख अध्यात्मिक सुख है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का मन व सोच ही सुख और दुख का कारण है। रिश्तों को अनुकूल भाव से निभाने में भी सुख मिलने की बात उन्होंने कही। यदि दुख के कार्यों पर मंथन किया जाए तो सुख का रास्ता जरूर मिलेगा। आकंाक्षाओं में कमी और सहयोगी व्यवहार से सुख की प्राप्ति संभव है।
प्रतिदिन ३० मिनट का ध्यान जरूरी
डॉ. सुधीर शाह ने कहा कि ध्यान से मन का संतोष मिलता है। इससे अध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि होती है। नियमित ३० मिनट प्रार्थना, ध्यान, योग, कसरत की जानी चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को दुखी करने वाले घमंड, आकांक्षाएं, ईष्र्या जैसे विकार कम होते हैं और मन को सुख पहुंचाने वाले कारकों में वृद्धि होती है।
महिलाओं को ज्यादा अनुभूति होती है सुख की
डॉ. शाह ने कहा कि महिलाओं के दिमाग की संरचना कुछ इस तरह से है कि वे पुरुषों की तुलना में सुख की ज्यादा अनुभूति कर सकती हैं। उनमें चुनौतियों से उबर कर स्वस्थ होने की भी क्षमता अधिक होती है। उनके दिमाग की वायरिंग और नेटवर्क कुछ इस तरह का है कि वे खुद को सहज रख पाती हैं और सुख महसूस करती हैं।