सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा कि राज्य को विचारों की स्वतंत्रता को दबाने की बजाय इन विचारों की रक्षा की जानी चाहिए। साथ ही विभिन्न विचारों का सम्मान किया जाना चाहिए। विविध विचारों को दबाने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए बल्कि रक्षा और बढ़ावा दिया जाना चाहिए। एक दूसरे का आदर करना और अलग-अलग विचारों का सम्मान किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र सिर्फ संस्थानों के होने से नहीं होता है बल्कि विभिन्न तरह के समुदाय के लोगों की ओर से अलग-अलग तरह के विचारों का सम्मान किया जाना चाहिए। भारत के बहुलवाद को खतरा विभिन्न तरह की आवाजों को दबाने से है। उन्होंने कहा कि विचारशील संवाद प्रत्येक लोकतंत्र का अहम दृष्टिकोण है। वह भी सफल लोकतंत्र के लिए बेदह जरूरी है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का सच्चा परीक्षण उसकी इस क्षमता से है जिसमें सभी लोग अपने विचार बिना किसी डर के रख सकें।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र सिर्फ संस्थानों के होने से नहीं होता है बल्कि विभिन्न तरह के समुदाय के लोगों की ओर से अलग-अलग तरह के विचारों का सम्मान किया जाना चाहिए। भारत के बहुलवाद को खतरा विभिन्न तरह की आवाजों को दबाने से है। उन्होंने कहा कि विचारशील संवाद प्रत्येक लोकतंत्र का अहम दृष्टिकोण है। वह भी सफल लोकतंत्र के लिए बेदह जरूरी है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का सच्चा परीक्षण उसकी इस क्षमता से है जिसमें सभी लोग अपने विचार बिना किसी डर के रख सकें।