मनी लांडरिंग प्रकरण
अहमदाबाद. गुजरात उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से मनी लांडरिंग प्रकरण के तहत विदेश में हवाला के मार्फत रकम के ट्रांसफर के आरोपी निलंबित आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा को सशर्त जमानत प्रदान की।
प्रवर्तन निदेशालय ने शर्मा के खिलाफ मनी लांडरिंग का मामला दर्ज किया था। न्यायाधीश ए. जे. देसाई ने केन्द्र सरकार की ओर से इस आदेश पर रोक की मांग भी खारिज कर दी। केन्द्र सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने के लिए कुछ दिनों के लिए फैसले पर रोक की मांग की थी।
इस वर्ष जनवरी महीने में विशेष पीएमएलए अदालत ने शर्मा की जमानत याचिका खारिज कर दी थी जिसे शर्मा ने बाद में उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। शर्मा को यह जमानत पीएमएलए की धारा 45 को असंवैधानिक ठहराए जाने के बाद मिली है।
ईडी ने वर्ष 2012 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की ओर से दर्ज प्राथमिकी के आधार पर शर्मा के खिलाफ मनी लांडरिंग के तहत मामला दर्ज किया था। जुलाई 2016 में मनी लांडरिंग के मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2004 में कच्छ जिला कलक्टर के रूप मेें वेलस्पन ग्रुप को बाजार भाव से 25 फीसदी दर कम भाव पर जमीन आवंटित किया था। इससे राज्य सरकार को 1.2 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ। ईडी ने जांच में पाया कि शर्मा की पत्नी एक कंपनी में सिर्फ एक लाख रुपए का निवेश कर कंपनी की 30 फीसदी हिस्सेदार बन गई। इसके बदले शर्मा की पत्नी को अमरीका में बैंक खातों में करोड़ों रुपए हवाला के मार्फत मिले।
उधर शर्मा ने इस प्रकरण में आरोपमुक्ति की याचिका भी दायर की है। इस मामले में उच्च न्याायलय ने विशेष पीएमएलए अदालत से इस संबंध में अदालती कार्रवाई पर रोक लगा रखी है। तब न्यायालय ने यह अवलोकन किया था कि रिकॉर्ड पर सामग्री को देखते हुए प्रथम दर्शनीय मामला शर्मा के पक्ष में प्रतीत होता है। इस मामले पर न्यायालय ने ईडी से जवाब मांगा है। इस याचिका पर सुनवाई 10 अप्रेल को होगी।