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मैं क्या कर रहा हूं, सोचने से जिंदगी बनेगी बेहतर : आचार्य सुनील सागर

गुजरात यूनिवर्सिटी परिसर में चातुर्मास प्रवचन अहमदाबाद. दिगंबर जैन आचार्य सुनील सागर ने रविवार को कहा कि जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए मेरे साथ क्या हो रहा है, ये सोचने के बजाए मैं क्या कर रहा हूं, ये सोचना शुरू कर दीजिए, जिंदगी बेहतर बन जाएगी।गुजरात यूनिवर्सिटी परिसर में चातुर्मास प्रवचन के दौरान उन्होंने […]

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गुजरात यूनिवर्सिटी परिसर में चातुर्मास प्रवचन

अहमदाबाद. दिगंबर जैन आचार्य सुनील सागर ने रविवार को कहा कि जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए मेरे साथ क्या हो रहा है, ये सोचने के बजाए मैं क्या कर रहा हूं, ये सोचना शुरू कर दीजिए, जिंदगी बेहतर बन जाएगी।
गुजरात यूनिवर्सिटी परिसर में चातुर्मास प्रवचन के दौरान उन्होंने कहा कि अक्सर लोगों की शिकायत होती है कि मेरे साथ ऐसा हो रहा है, मेरे साथ वैसा हो रहा है, मेरे साथ हमेशा गलत होता है। कभी इस ढंग से सोचना चालू कर दें कि मेरे साथ तो बहुत कुछ भला हो रहा है। मुझे एक सुंदर शरीर मिला, मुझे पूरी इंद्रियां मिलीं, मैं आंखों से देख सकता हूं, मुझे एक अच्छा परिवार मिला। मैं देव शास्त्र गुरु का सानिध्य पा सकता हूं। मैं भक्ति, पूजा, आराधना कर सकता हूं। मेरे पास क्या है, इस पर ध्यान केंद्रित कीजिए।
आचार्य ने कहा कि लोग अभाव की जिंदगी जीते हैं, जो उपलब्ध है, अगर उससे जीना सिख जाएं तो ये जिंदगी स्वर्ग हो जाएगी। जो उपलब्ध नहीं है, उसके लिए रोते रहते हैं। जो मिला है, उसका कभी नाम भी नहीं लेते है।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग तो परेशान हो जाते हैं। अभाव का रोना मत रोइए, जो उपलब्ध है उसका आनंद लेना सीख जाइए।
आचार्य ने कहा कि जो कुछ उपलब्ध हैं, कभी उसका विचार कीजिए। दूसरों की खुशी में खुशी मनाओ। आनंदमय जीवन जिओ, जीवन का कल्याण होगा।