आजीडेम चौराहे के निककट किशोरभाई वेकरिया की हेलमेट की दुकान हैं। वह कुछ रकम (डिपॉजिट) लेकर सामान्य लोगों को हेलमेट देते हैं। भावनगर हाईवे के आसपास के गांवों के लोग बिना हेलमेट के दुपहिया वाहन से काम से जाते हैं। हेलमेट नहीं होने पर किशोरभाई कुछ रकम लेकर हेलमेट देते हैं। हेलमेट वापस करने पर वह डिपॉजिट लौटा देते हैं।
किशोरभाई का कहना है कि हाईवे प्रोजेक्ट एवं नए ट्रैफिक नियमों के चलते सामान्य लोग जुर्माना भरने की स्थिति में नहीं होतें है, ऐसे में इस तरह से लोगों की मदद करने के उद्देश्य से यह कार्य आरंभ किया है। नकी मदद करने के लिए इस तरह हेलमेट देना शुरू किया गया है। प्रथम दिन ही १० से अधिक लोग हेलमेट बिना मूल्य किराए पर ले गए। उनका कहना है कि गांवों से आने वाले लोगों को कितनी परेशानी होती है। गांवों के लोग हेलमेट भूल जाते हैं और हेलमेट की देखरेख में परेशानी होती है। इसके लिए इस प्रकार सेवा करने का शुरू किया गया है।
हेलमेट रखने की व्यवस्था
उधर राजकोट शहर में ही हेलमेट रखने की व्यवस्था शुरु की गई है। हेलमेट को लेकर इधर-उधर घूमना मुश्किल होता है। साथ ही हेलमेट चोरी होने का भी डर रहता है, ऐसे में राजकोट के शैलेष सेठ ने हेलमेट रखने की व्यवस्था शुरू की गई। शहर के सोनी बाजार के निकट मांडवी चौक स्थित जैन देरासर के बाहर हेलमेट रखने का बोर्ड लगाया गया है। सोनी बाजार में लोग खरीदारी करने के लिए आते हैं, लेकिन यहां सख्ती ज्यादा होने के कारण हेलमेट का ध्यान रखना भी एक समस्या है। ऐसे में हेलमेट रखने की व्यवस्था की गई है, जहां १० रुपए किराया लगता है। प्रथम दिन २० जनों ने हेलमेट रखा था।