बादशाह अकबर ने तय किया था भत्ता ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में धार्मिक व अन्य रस्मों को सम्पन्न कराने के लिए बादशाह अकबर ने मौरूसी अमले का गठन किया था। बादशाह अकबर ने ही उस जमाने में मौरूसी अमले के हकूक तय किए थे। उसके बाद से आज तक वही हकूक चलते आ रहे हैं।
यह है मौरूसी अमला
मौरूसी अमले में बावर्ची, कव्वाल, फर्राश, फानूसवाला, घडिय़ाली, नक्कारची, फातेहाख्वान, दरबान, रोशनीकुनिंदा, आवाजा खिदमती, चोबदार जैसे कई पद शामिल हैं। इनमें करीब 51 लोग कार्यरत हैं। इनके सभी के अलग-अलग कार्य शामिल हैं।
यह तय है भत्ता -बावर्ची में मुजफ्फर अली, अनवर मोहम्मद, हुसैन खान को 1 रुपया, मोहम्मद दिलनवाज और इरफान मोहम्मद को 6 रुपए और शब्बीर खान को 51 रुपए महीने के मिलते हैं।
-नक्कारची शमीमुद्दीन अहमद, जरूब खास अब्दुल कद्दूस, फातेहा ख्वान जुबेर अहमद, रकबदार हुसैन खान को 1-1 रुपया महीने का मिलता है।
-दरबान इरफान अहमद को 3 रुपया और वजन खास के रूप में कार्यरत नईम खान और कलीम खान को 2 रुपए महीने के मिलते हैं।
-रोशनीकुनिंदा नफीस अहमद को 8 रुपए, फानूसवाला असलम खान और फर्राशरोशनी तनवीर अहमद को 9 रुपए महीने के मिलते हैं।
-फलिता सोज नवेद अहमद, सरफराज अली को 14-14 रुपए, घडिय़ाली उस्मान खान को 17 रुपए महीने के मिलते हैं।
ये हैं अन्य फायदे जानकारों के अनुसार बादशाह अकबर के जमाने से चले आ रहे इस भत्ते को कभी नहीं बढ़ाया गया है। दरअसल मौरूसी अमले के लोगों ने भी कभी जोर देकर भत्ता बढ़ाने की मांग नहीं की। उधर दरगाह कमेटी का कहना है कि इस भत्ते के अलावा 5000 रुपए मेडिकल भत्ता और ट्यूशन फीस, स्कॉलरशिप दी जाती है।
हमें तो बस खिदमत करनी है इस संबंध में मौरूसी अमले के उस्मान घडिय़ाली से जब पूछा गया तो उनका कहना है कि उन्हें ख्वाजा साहब की दरगाह में खिदमत का मौका मिल रहा है, इसलिए वे हकूक बढ़ाने की बात नहीं करते। लेकिन उनका कहना है कि अन्य फायदे मिलने चाहिए। इसके लिए उन्होंने दरगाह कमेटी समक्ष काफी समय पहले से मांग कर रखी है।
कमेटी में रखेंगे मुद्दा मौरूसी अमले का भत्ता परम्परागत चला आ रहा है। दरगाह कमेटी की बैठक में इस मुद्दे को रख कर गंभीरता से विचार किया जाएगा।
-अमीन पठान, अध्यक्ष दरगाह कमेटी