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Ajmer: पाथवे-वेटलैंड मामले में सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, दोनों पक्षों के एफिडेविट को किया स्वीकार

अजमेर में पाथवे-वेटलैंड संरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई।

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Supreme Court takes cognizance of disabled military cadets

विकलांग सैन्य कैडेट्स पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान (Photo-IANS)

अजमेर में पाथवे-वेटलैंड संरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। राज्य सरकार और परिवादी के एफिडेविट को शीर्ष कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी। आनासागर झील के चारों ओर बनाए गए पाथ-वे, सेवन वंडर्स और अन्य निर्माण को लेकर शीर्ष कोर्ट में राजस्थान सरकार बनाम अशोक मलिक के मामले में सुनवाई हुई।

जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने सरकार के सात पेज और मलिक के 108 पेज के एफिडेविट को स्वीकार कर लिया। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि दोनों हलफनामों का रिव्यू किया जाएगा।

अवैध माने थे वेटलैंड

बीती 16 मई को राजस्थान सरकार बनाम अशोक मलिक के मामले की सुनवाई में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 2021 में दिए निर्णय में झील के वेटलैंड क्षेत्र में बने निर्माण अवैध माने थे। लेकिन इसके बावजूद निर्माण होते गए। मलिक ने याचिका में बताया था कि यह वेटलैंड (संरक्षण और प्रबंधन) नियम-2017 का उल्लंघन है। आनासागर झील का वेटलैंड क्षेत्र निर्धारित है, इसे अन्यत्र स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है।

हटाने हैं सेवन वंडर्स

व्यवसायी अंशुल जयसिंघानी ने शीर्ष अदालत में अंतरिम प्रार्थना पत्र दायर कर जल्द सुनवाई का अनुरोध किया। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार और प्रशासन के हलफनामे के अनुसार सेवन वंडर्स को हटाने के निर्देश दिए जा चुके हैं।

झील का प्राकृतिक क्षेत्रफल कम

मलिक ने शीर्ष कोर्ट में दायर किए एफिडेविट में बताया कि अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड और राजस्थान स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने आनासागर के अंदर कंक्रीट का रास्ता बना दिया। रास्ते की आड़ में अवैध दुकानें और रेस्टोरेंट बन गए। इससे झील का प्राकृतिक क्षेत्रफल कम हो गया। यह नो कंस्ट्रक्शन जोन में आता है।